Malegaon Blast Case: मालेगांव ब्लास्ट केस से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि मालेगांव विस्फोट (Malegaon blast) के आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित ने विशेष एनआईए कोर्ट में अपना लिखित बयान दिया है। मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित (Lieutenant Colonel Prasad Purohit) ने अपने वकील विरल बाबर के जरिए विशेष एनआईए कोर्ट में अपना लिखित बयान दिया है। उन्होंने दावा किया है कि मुंबई एटीएस (Mumbai ATS) के अधिकारियों ने उन्हें प्रताड़ित किया था और उनका दाहिना घुटना तोड़ दिया था। पुरोहित ने अपने बयान में लिखा है कि एटीएस अधिकारी उनसे अवैध रूप से पूछताछ कर रहे थे और आरएसएस-विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ सदस्यों, गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का नाम लेने के लिए प्रेशर बना रहे थे।
ख़बरीमीडिया के Youtube चैनल को फौलो करें।
ये भी पढ़ेंः SC से दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत..1 जून तक मिली जमानत
पुरोहित ने आगे यह भी दावा किया है कि साल 2008 के अगस्त महीने में, मालेगांव विस्फोट होने से एक महीने से भी पहले एनसीपी के तत्कालीन अध्यक्ष (Sharad Pawar) ने अलीबाग में एक रैली को संबोधित करते हुए बयान दिया था कि सिर्फ इस्लामिक आतंकवादी ही नहीं हैं, बल्कि हिंदू भी आतंकी हैं। लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित ने यह भी कहा कि यह पहली बार था जब हिंदू आतंकवाद शब्द गढ़ा गया। इस बयान के तुरंत बाद 29 सितंबर, 2008 को मालेगांव में विस्फोट की दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई थी।
एटीएस पर लगाए यह आरोप
पुरोहित ने अपने बयान में कहा है कि उन्हें 29 अक्टूबर 2008 को गिरफ्तार कर लिया गया था, हालांकि एटीएस ने उन्हें गिरफ्तार नहीं दिखाया था। उन्होंने कहा कि मुंबई में उनकी गिरफ्तारी के तुरंत बाद, उन्हें खंडाला में एक अलग बंगले में ले जाया गया, जहां तत्कालीन एटीएस प्रमुख दिवंगत हेमंत करकरे और परम बीर सिंह (एटीएस के तत्कालीन संयुक्त आयुक्त) सहित अन्य अधिकारी उनसे पूछताछ किए।
ये भी पढ़ेंः गर्मियों में नारियल पानी पीने वालों के लिए सावधान करने वाली ख़बर
लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने बताया है कि हेमंत करकरे और परम बीर सिंह बार-बार मुझे सिमी, आईएसआई और डॉ जाकिर नाइक की गतिविधियों की मैपिंग में मेरी सहायता करने वाले मेरे इंटेलिजेंस नेटवर्क और सोर्सेज के बारे में जानकारी देने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहे थे। मैंने अपने सोर्सेज और नेटवर्क के बारे में उन्हें जानकारी देने से मना कर दिया। क्योंकि यह इंटेलिजेंस के वसूलों के खिलाफ है।
मेरे सीनियर ने मेरी पीठ में छुरा घोंपा और..-पुरोहित
पुरोहित के अनुसार एक सैन्य अधिकारी कर्नल पीके श्रीवास्तव, जो मेरे सीनियर थे और अब रिटायर्ड हैं, उन्होंने पीठ में छुरा घोंपा और मुझे एटीएस को दे दिया। पुलिस हिरासत में मुझ पर हमला करने वाले वह पहले व्यक्ति थे। इसके बाद छह कांस्टेबलों ने मुझे बांध दिया और परम बीर सिंह ने भी मुझपर हमला किया। मेरे साथ ऐसा सलूक किया गया जो किसी जानवर के साथ भी नहीं किया जाता है। मेरे साथ दुश्मन देश के युद्धबंदी से भी बदतर सलूक किया गया।
मालेगांव विस्फोट की जिम्मेदारी लेने के लिए बनाया गया प्रेशर
उन्होंने आगे बताया है कि करकरे, परम बीर सिंह और कर्नल श्रीवास्तव इस बात पर जोर देते रहे कि मालेगांव बम विस्फोट की जिम्मेदारी मैं ले लूं। उन्होंने मुझ पर आरएसएस और वीएचपी के वरिष्ठ सदस्यों, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ का नाम लेने के लिए भी खूब दबाव डाला। यह प्रताड़ना 3 नवंबर 2008 तक लगातार जारी रही। पुरोहित ने दावा किया कि उन्हें दी गई यातना के कारण उनका घुटना टूट गया, जिसके कारण अब वह चल नहीं पाते हैं। उन्होंने दावा किया कि उन्हें गोली मारने की योजना थी। आपको बता दें कि पुरोहित को 5 नवंबर, 2008 को, औपचारिक रूप से गिरफ्तार दिखाया गया।
जानिए पूरी कहानी मालेगांव ब्लास्ट की
विशेष अदालत उन सभी आरोपियों के बयान दर्ज कर रही है जिन पर मालेगांव विस्फोट में उनकी कथित भूमिका के लिए केस चल रहा है। कोर्ट ने अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर पुरोहित और कुछ अन्य आरोपियों के बयान दर्ज करने का काम पूरा कर लिया है। आपको बता दें कि 29 सितंबर, 2008 को मालेगांव में एक चौराहे पर मोटरसाइकिल में रखे गए बम में विस्फोट हुआ था। इस घटना में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 लोग घायल हुए थे।