UP में लिफ्ट एक्ट पर मुहर..लेकिन लागू करने की ये है चुनौतियाँ

उत्तरप्रदेश ग्रेटर नोएडा- वेस्ट दिल्ली NCR नोएडा

UP Lift Act: उत्तर प्रदेश में बहुमंजिला इमारतों के लिए लिफ्ट एक्ट में तो मुहर लग गई है, लेकिन लिफ्ट एक्ट (Lift Act) को लागू होने में कई चुनौतियां हैं। आपको बता दें कि नोएडा-ग्रेटर नोएडा (Noida-Greater Noida) समेत कई शहरों में बनी हाइराइज सोसायटीयों में से अक्सर लिफ्ट हादसे की खबर सामने आती रहती है, जिसपर अंकुश लगाने के लिए लिफ्ट एंड एस्कलेटर विधेयक 2024 को मंजूरी मिली, इस एक्ट को मंजूरी मिलने से बहुमंजिला इमारतों में रहने वाले लोगों ने राहत की सांस ली है।

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नोएडा-ग्रेटर नोएडा में हैं 600 से भी ज्यादा हाइराइज सोसायटी

5 सालों के लंबे संघर्ष के बाद लिफ्ट एक्ट यूपी में लागू तो हो गया, लेकिन अब इसे लागू कराना एक बड़ी चुनौती होगी। बात अगर गौतमबुद्ध नगर (Gautam Buddha Nagar) की करें तो नोएडा व ग्रेटर नोएडा में 600 से अधिक भी ज्यादा हाइराइज सोसायटी हैं। जिसमें लगभग 10 लाख लोग रहते हैं। पांच साल के लंबे संघर्ष के बाद लिफ्ट एक्ट लागू तो हो गया, लेकिन अब इसे लागू कराना भी प्रशासन व प्राधिकरण के सामने बड़ी चुनौती होगी।

हाइराइज सोसायटियों के साथ औद्योगिक और संस्थागत इकाइयों में लिफ्टों को एक्ट के दायरे में लाने के लिए काफी मशक्कत करनी होगी। आपको बता दें कि अभी तक लिफ्ट लगाने के बाद रखरखाव के लिए कोई भी नियम कानून नहीं बनाए गए थे। फ्लैटों में कब्जा मिलने से पहले लिफ्ट का नियमित रखरखाव न होने की वजह से उनमें तकनीकी खामी आती रहती है।

अक्सर होते हैं हादसे

हाइराइज सोसायटियों में तो अक्सर ही लिफ्ट हादसे होते रहते हैं। बड़ी समस्या यह है कि लिफ्ट की वारंटी व गारंटी भी समाप्त हो चुकी है। लागू एक्ट में बहुमंजिला इमारतों के साथ निजी व सार्वजनिक परिसरों में लिफ्ट संचालन के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है।

अधिकारी लिफ्ट एक्ट (Lift Act) को लेकर अधिकारिक तौर पर किसी तरह का निर्देश न आने की बात कह रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक गाइडलाइन का इंतजार किया जा रहा है। एक्ट के नियमों का सख्ती से पालन हो इसकी कार्ययोजना बैठकर बनाई जाएगी।

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पहले भी हो चुके हैं कई दर्दनाक हादसें

नोएडा-ग्रेटर नोएडा की हाइराइज सोसायटियों में लिफ्ट में खराबी के कारण लिफ्ट के नीचे आने या लोगों के फंसने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। किसी की जवाबदेही तय न होने की वजह से किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाती थी।

लिफ्ट को लेकर लोगों में डर का माहौल

बीते साल नोएडा के सेक्टर 137 स्थित पारस टियेरा सोसायटी में लिफ्ट गिरने से एक बुजुर्ग महिला की जान चली गई थी तो वहीं 15 सितंबर 2023 को ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित आम्रपाली ड्रीम वैली बिल्डर परियोजना में लिफ्ट गिरने से आठ मजदूरों की मौत हो गई थी। जिसके बाद से लोगों में डर का माहौल रहता है, खासकर लिफ्ट का प्रयोग करने के समय। लिफ्ट एक्ट लागू हो जाने के बाद लोगों को कहीं न कहीं उस डर से भी मुक्ति मिलेगी।

2016 से ही हो रही है मांग

शहर बसावट के बाद लोगों को इस समस्या का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ा है। आपको बता दें कि लोग साल 2016 में ही किसान चौक पर एकजुट होकर महाराष्ट्र व दिल्ली की तर्ज पर लिफ्ट एक्ट की मांग की। लोक निर्माण विभाग ने साल 2018 में लिफ्ट एंड एलिवेटर एक्ट लागू करने के लिए ड्राफ्ट बनाया था।

गौतमबुद्ध नगर ने जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने कहा कि लिफ्ट एक्ट की गाइडलाइन का इंतजार किया जा रहा है। दिए गए बिंदुओं को कड़ाई से लागू कराया जाएगा।

रखरखाव सबसे जरूरी

जानकार के मुताबिक एक लिफ्ट कि औसत आयु 20-25 साल हो सकती है, लेकिन तब ही जब उसकी मरम्मत का ध्यान रखा जाए। अगर ध्यान नहीं रखा जाएगा तो यह उम्र कम भी हो सकती है। नेशनल बिल्डिंग कोड 2016 के अनुसार 15 मीटर से ज्यादा ऊँचाई वाली इमारत के लिए लिफ्ट अनिवार्य से होनी चाहिए और 30 मीटर से ऊँची बिल्डिंग के लिए स्ट्रेचर लिफ्ट भी अनिवार्य बताई गयी है। लिफ्ट के लिए जो सबसे बात है, वह निश्चित अंतराल पर उसकी मरम्मत की जाए।