उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
Nodia News: अगर आप नोएडा-ग्रेटर नोएडा में रहते हैं और आपने किराए पर फ्लैट दे रखा है या फिर देने वाले हैं तो ये ख़बर ध्यान से पढ़िए। क्योंकि इन जगहों पर टैक्स चोरी का बड़ा मामला सामने आया है। किरायेनामे (Rent deed) के नाम पर करोड़ों रुपये की राजस्व की चोरी की जा रही है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा में 100-100 रुपये के स्टांप पेपर (Stamp Paper) पर किरायानामा कराकर ब्रोकर-स्टांप वाले बिजनेस चला रहे हैं, जबकि आपको बता दें कि किराए के लिए पंजीकृत (Register) किरायानामा कराना अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने से सरकार को हर किरायेनामे पर दो प्रतिशत का राजस्व शुल्क का नुक़सान हो रहा है।
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प्रशासन का अनुमान है कि इससे 500 करोड़ से अधिक के राजस्व की चोरी हो रही है। इसी को लेकर प्रशासन ने अब 38 विभागों से किराये का बिजनेस चलाने वालों का ब्योरा मांगा है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 38 विभागों के करीब दस हजार कारोबारी हैं। इनमें से किराये की दुकानों और फैक्टरियों में काम करने वालों की संख्या भी खूब है। इसके लिए दुकान या फैक्टरी के मालिक से किरायानामा भी किया है, लेकिन पंजीकृत किरायानामा नहीं कराया है। ज्यादातर ने केवल सौ रुपये के स्टांप पेपर पर किरायानामा किया है, जो गैरकानूनी है।
प्रशासनिक अफसरों ने जानकारी दी कि पंजीकृत किरायेनामे में 11 माह या उससे अधिक की अवधि के किराये की धनराशि पर दो प्रतिशत स्टांप शुल्क देना होता है। अगर किरायानामा 30 या उससे अधिक वर्ष का है तो उस पर पांच प्रतिशत स्टांप शुल्क देना होता है, लेकिन नोएडा में काफी संख्या में कारोबारी व अन्य लोग पंजीकृत किरायानामा नहीं करा रहे हैं, इससे राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। अब इन कारोबारियों को चिह्नित किया जा रहा है। इसके बाद राजस्व वसूली की कार्रवाई होगी।
38 विभागों से मांगी गई जानकारी
प्रशासन 38 विभागों से जुड़े कारोबारियों की जानकारी जुटाने में लगा हुआ है। खाद्य विभाग में 1200 रेस्तरां पंजीकृत हैं। इनमें किराये पर चलने वाले रेस्तरां के किरायेनामे की जांच हो रही है। इसी तरह आबकारी विभाग की 500 से अधिक दुकानों के भी किरायेनामे की जांच की जा रही है। उधर, जीएसटी विभाग से जुड़े व्यापारियों का ब्योरा जुटाया जा रहा है।
छह माह में मिले 944 करोड़ रुपये
जिला प्रशासन को किरायेनामे से बड़ी रकम राजस्व के रूप में मिलती है। इसी वित्तीय वर्ष में अप्रैल से सितंबर के बीच 18615 पंजीकृत किरायेनामे किए गए। इनसे प्रशासन को 944 करोड़ का राजस्व मिला है, जबकि मार्च, 2024 तक यह आंकड़ा एक हजार करोड़ से भी ऊपर जाने की उम्मीद है। वहीं, वित्तीय वर्ष 2022-23 में केवल 17509 पंजीकृत किरायेनामे हुए। इनसे 683 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था।
अपर जिलाधिकारी अतुल कुमार ने कहा कि सभी विभाग से कारोबारियों का ब्योरा मांगा है। ब्योरा आने के बाद पंजीकृत किरायानामा नहीं कराने वालों को चिह्नित कर राजस्व वसूली की जाएगी।