नीलम सिंह चौहान, खबरीमीडिया
Devuthani Ekadashi: देवउठान एकादशी का सनातन धर्म में एक खास तरह का महत्व होता है। इस दिन से चातुर्मास का समापन होकर शुभ मुहूर्त काल का आरंभ माना जाता है। आज यानी 23 नवंबर को पूरे देश में Devuthani Ekadashi मनाई जा रही है। दूसरे दिन यानी कल तुलसी विवाह किया जाएगा। Devuthani Ekadashi को एक अबूझ मुहूर्त माना जाता है और इस दिन से विवाह सहित सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। वहीं, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मानें तो Devuthani Ekadashi के दिन से सृष्टि के संचालक भगवान विष्णु और सारे भगवान चार महीनों के लिए योग निद्रा से जागते हैं और अपने अपने कार्यों को वापस से ग्रहण कर लेते हैं।
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ऐसे में जानते हैं कि क्या है Devuthani Ekadashi का शुभ मुहूर्त और महत्व:
Devuthani Ekadashi के तिथि की शुरुआत 22 नवंबर को रात्रि के 11 बजकर 3 मिनट से शुरू होकर 23 नवंबर को रात्रि 9 बजकर 1 मिनट तक होगा। व्रत का पारण 24 नवंबर को सुबह 6 बजे से 8 बजकर 13 मिनट तक करना अच्छा और शुभ माना गया है।
जानिए Devuthani Ekadashi के दिन क्या है तुलसी पूजा का महत्व
देवउठान एकादशी के दिन मां तुलसी जी की पूजा करने का एक खास तरह का महत्व है। इस दिन मां तुलसी के चारों तरफ आटे और हल्दी का स्तंभ बनाकर उनकी पूजा अर्चना की जाती है। पूजा के साथ तुलसी मां की परिक्रमा भी की जाती है। मान्यता अनुसार तुलसी के साथ अगर आमला का गमला लगाते हैं तो हर तरह की समस्या टल जाती है। वहीं गौ की पूजा करना भी इस दिन शुभ माना जाता है।
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Devuthani Ekadashi का महत्व
देवउठान एकादशी के दिन से माना जाता है कि भगवान विष्णु जी योग निद्रा से बाहर आते हैं और उसके बाद से जगत का काम देखने लग जाते हैं यानी कि वापस से अपने कार्यों को प्रारंभ कर देते हैं। इस दिन भगवान विष्णु पाताल लोक को छोड़कर वापस वैकुंठ धाम आ जाते हैं। चातुर्मास के दौरान ही भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी के दिन से देवउठान एकादशी में पाताल में रहते हैं।