MP में कमलनाथ या शिवराज..पढ़िए किसकी बनने जा रही है सरकार?

मध्यप्रदेश राजनीति
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सूर्यांश सिंह, ख़बरीमीडिया
MP Election 2023:
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के इस रिकॉर्डतोड़ मतदान ने सियासी दलों (Political Parties) की धड़कनें बढ़ा दी है। एमपी की 230 विधानसभा सीटों (Assembly Seats) के लिए बीते शुक्रवार को वोट डाले गए। वोट डालने के लिए कई जगहों पर देर रात तक लोग कतारों में खड़े नजर आए। चुनाव आयोग के मुताबिक राज्य में कुल 76.2 प्रतिशत वोट पड़े है। जो अब तक का रिकॉर्ड (Record) बन गया है।

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आपको बता दें कि 2018 में 75.63 प्रतिशत तो 2013 में 72.13 प्रतिशत वोट पड़े थे। चुनाव आयोग के मुताबिक विधानसभा की करीब 85 सीटों पर 80 प्रतिशत से ज्यादा वोट पड़े हैं। सिवनी जिले के बरघाट सीट पर सबसे ज्यादा 88.2 प्रतिशत वोट डाले गए हैं।

एमपी विधानसभा चुनाव 2023 में टूटे कई रिकॉर्ड

बालाघाट जिले के सोनेवानी मतदान केंद्र (Polling Booth) में सबसे कम 42 मतदाता हैं। लेकिन यहां 100 प्रतिशत मतदान हुआ है। बालाघाट नक्सल बेल्ट माना जाता है और यहां दोपहर 3 बजे तक ही मतदान करवाया गया।
पहली बार महिला वोटरों (Women Voters) ने जमकर मतदान किया है। आयोग के मुताबिक कुल 2.72 करोड़ महिला वोटरों में से 1.93 करोड़ ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है।
2020 में बागी हुए कांग्रेस के 22 में से 14 विधायकों की सीट पर इस बार पिछली बार की तुलना में ज्यादा वोट पड़े हैं। इनमें कई मंत्रियों की सीट भी शामिल हैं। ये सभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ गए थे।
पहली बार विधानसभा चुनाव में 3 केंद्रीय मंत्री और 7 सांसद मैदान में थे। 6 पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिवार भी चुनाव मैदान में उतरे हुए थे।

समझिए क्या है वोटिंग का ट्रेंड?

मध्य प्रदेश के वोटिंग (Voting) में जो बढ़ोतरी हुई है। क्या वह सामान्य है? मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता नितिन दुबे कहते है कि जिस तरह से मतदाता रात तक लंबी-लंबी कतारों में लगे रहे, इसे सामान्य नहीं कहा जा सकता है। यह सत्ता विरोधी लहर है और लोगों ने कांग्रेस के पक्ष में जमकर मतदान किया है। कांग्रेस (Congress) पिछली बार से ज्यादा मजबूती से सरकार बनाएगी।
भाजपा के प्रवक्ता हितेश वाजपेई बताया कि 2 प्रतिशत वोट मध्य प्रदेश के चुनाव में हर बार बढ़ता है वाजपेई वोट प्रतिशत बढ़ने की मुख्य वजह दिनों-दिन बढ़ रही जनसंख्या और चुनाव आयोग की जागरूकता अभियान को बताते हैं।

महिला वोटों से मिलेगी सत्ता की चाभी

महिलाओं ने इस बार मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में जमकर मतदान किया है। आयोग के मुताबिक पिछली बार की तुलना में इस बार 18 लाख से ज्यादा महिलाओं ने वोट डाले हैं। आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2018 में 52 विधानसभा सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा वोट किया था। जानकारों का कहना है कि इस बार यह संख्या 100 के पार जा सकता है। ऐसे में महिलाओं के वोट उन सीटों पर काफी अहम रहने वाला है। जहां पर कांटे या त्रिकोणीय मुकाबला है। महिलाओं को साधने के लिए बीजेपी की ओर से लाड़ली बहना योजना चलाई जा रही थी। कांग्रेस (Congress) ने इस योजना की काट में नारी शक्ति योजना शुरू करने की बात कही थी।

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सत्ता विरोधी वोट बूथ तक जा पाए या नहीं?

आमतौर पर जब किसी चुनाव के वोटिंग में बढ़ोतरी होती है। तो उसे सत्ता विरोधी (Anti Establishment) लहर से जोड़कर देखा जाता है। मध्य प्रदेश के संदर्भ में भी कांग्रेस इसे ही आधार बना रही है। और जब-जब वोट प्रतिशत बढ़ता है, तब-तब सत्ताधारी दल को नुकसान होता है। लेकिन सवाल है कि क्या सत्ता विरोधी वोट बूथ तक पहुंचा या नहीं? ग्वालियर दक्षिण सीट, जहां पिछली बार कांग्रेस 111 वोटों से जीती थी। वहां इस बार वोटिंग काफी धीमा रहा।
यहां के एक बूथ का वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। वीडियो में कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक जिले के कलेक्टर से स्लो वोटिंग कराने को लेकर बहस कर रहे हैं। पाठक का आरोप है कि कलेक्टर ने मुस्लिम इलाकों में जानबूझकर समय से वोटिंग नहीं करवाई। दिमनी में भी कम मतदान चर्चा का विषय है। यह सीट अभी कांग्रेस के पास है, लेकिन यहां से चुनाव केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर लड़ रहे हैं।

सपा और बीएसपी उम्मीदवार पर चर्चा

दिमनी, सिरमौर, सुमावली, सतना जैसी 2 दर्जन सीटों पर बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) के उम्मीदवार कांग्रेस और बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। इसी तरह देवतालाब, निवाड़ी समेत 1 दर्जन सीटों पर सपा मजबूत स्थिति में है। पिछले चुनाव में बीएसपी को 2 और सपा को 1 सीटों पर जीत मिली थी। इस बार अखिलेश यादव ने काफी मेहनत की है। बीएसपी से आकाश आनंद भी सक्रिय थे। ऐसे में सपा और बीएसपी को मिले वोट भी नतीजे को काफी प्रभावित करेगा।

क्या नए वोटर जीत-हार तय करेगें?

चुनाव आयोग के मुताबिक मध्य प्रदेश में इस बार 18 से 19 साल के 22 लाख युवा वोटर (Young Voter) थे। जिनका नाम पहली बार मतदाता सूची में था। इन वोटरों के मुद्दे और वोटिंग के पैटर्न भी जीत-हार तय करने में अहम भूमिका निभाएगा। मध्य प्रदेश के रत्नदीप बांगरे ने बताया कि युवा वोटरों का मुख्य मुद्दा फ्री बीज और रोजगार था। दोनों पार्टियों ने उन्हें लुभाने के लिए कई अहम घोषणाएं की। और राजनीतिक परिदृश्य में काफी बदलाव आया है। नए वोटर अब खुद फैसला लेने लगे हैं और इस बार युवाओं ने बढ़ चढ़कर मतदान भी किया है। ऐसे में आप यह कह सकते हैं कि यह जिधर गए होंगे उसकी सरकार बननी तय है।

वोट बढ़ने पर इन राज्यों में क्या हुआ था?

आपको बता दें कि इसी साल कर्नाटक (Karnataka) में चुनाव हुए थे। जहां 73.19 प्रतिशत मतदान हुआ था। यह 2018 के मुकाबले एक प्रतिशत ज्यादा था। वोट बढ़ने की वजह से कांग्रेस को फायदा हुआ और पार्टी अकेले दम पर सरकार बनाने में कामयाब हो गई। रिजल्ट में 90 सीट वाली कांग्रेस 135 सीटों पर पहुंच गई। बीजेपी 75 के आसपास सिमट गई। जेडीएस को 19 सीटों पर जीत मिली। वहीं गुजरात चुनाव के वोटिंग में कमी आई तो सत्ताधारी दल को जबरदस्त फायदा हुआ। गुजरात में इस बार 64.25 प्रतिशत वोट पड़े थे। जो पिछली बार से करीब 3 प्रतिशत कम था। वोटिंग प्रतिशत में गिरावट का फायदा सीधे सत्ताधारी बीजेपी को मिली। पार्टी ने रिकॉर्ड सीटों से गुजरात में जीत हासिल की है।

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