Dilroz Murder Case News: पंजाब के लुधियाना कोर्ट (Ludhiana Court) ने पंजाब के सबसे चर्चित दिलरोज हत्याकांड (Dilrose Murder Case) में दोषी महिला को फांसी की सजा सुनाई है। साल 2011 में दोषी महिला नीलम ने अपने पड़ोस में रहने वाली ढाई साल की बच्ची दिलरोज को जिंदा दफन कर दिया था। नीलम ने बच्ची का पहले अपहरण (Abduction) किया था। सेशन जज मुनीष सिंघल (Munish Singhal) की अदालत ने उसे दोषी ठहराया था। दोषी महिला को सजा मिलने से पीड़ित परिजनों ने अदालत का आभार जताया है। पढ़िए पूरा मामला…
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दिलरोज की हत्या की दोषी नीलम को जब फांसी की सजा सुनाई गई तो वह जज के सामने फूट-फूटकर रोने लगी। उसने जज से रहम की अपील की। नीलम ने कहा, ‘जज साहब, प्लीज मुझे बख्श दो। मेरे भी दो बच्चे हैं।’
इस पर टिप्पणी करते हुए सेशन जज मनीष सिंघल (Manish Singhal) ने कहा कि नीलम ने जो हरकत की है, उससे समाज को बचाने और सुधारने की जरूरत है। इस पर कोई रहम नहीं बनता। उम्मीद है कि सजा के इस फैसले के बाद कोई भी आपराधिक तत्त्व ऐसा घिनौना काम नहीं करेगा, जिससे समाज को शर्मसार होना पड़े।
नीलम ने 28 नवंबर 2021 को शिमलापुरी इलाके से बच्ची दिलरोज को स्कूटी पर किडनैप कर सलेम टाबरी इलाके में गड्ढा खोद कर जिंदा दफन कर दिया था। इस मामले में बीते शुक्रवार को सेशन जज मुनीष सिंघल की अदालत ने उसे दोषी ठहराया था।
न्यायपालिका पर भरोसा कायम हुआ
नीलम को फांसी की सजा होने के बाद दिलरोज के पिता हरप्रीत सिंह (Harpreet Singh) ने कहा कि आज उन्हें इंसाफ मिला है। इसके लिए वह कानून का और देश के सिस्टम का आभार जताते हैं, जिन्होंने हत्यारी महिला को फांसी की सजा सुनाई। पूरे देश के लोगों का भरोसा एक बार फिर न्यायपालिका पर कायम हुआ है।
दिलरोज के वकील परोपकार सिंह कोर्ट के बाहर आते ही दिलरोज के माता-पिता के साथ रो पड़े। वहीं, बाहर खड़े लोगों ने उनकी जय-जयकार की। परोपकार सिंह ने कहा कि आज का कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है। इससे समाज को मैसेज भी गया है कि इस तरह की घिनौनी हरकत करने वाले को कोर्ट नहीं छोड़ता।
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नीलम पड़ोसी के बच्चों से जलती थी
दिलरोज के पुलिसकर्मी (Policeman) पिता हरप्रीत सिंह ने पुलिस को दिए बयान में बताया था कि वह अपने बच्चों के लिए बाजार से खिलौने और चीज लेकर आते रहते थे। नीलम का तलाक हो चुका था। इसलिए, वह अपने बच्चों के लिए यह सब नहीं ला पाती थी। इससे वह दिलरोज से रंजिश रखने लगी। इसके बाद एक दिन वह दिलरोज को स्कूटी पर बिठाकर ले गई और उसे गड्ढा खोदकर जिंदा दफना दिया। इससे उसकी मौत हो गई।
पुलिस (Police) को दी शिकायत में परिजनों ने बताया था कि दिलरोज घर से गायब हुई थी। इसके बाद उसकी अपने स्तर पर तलाश की गई। नीलम भी दिलरोज की तलाश करने का नाटक कर रही थी। बाद में किडनैपिंग के शक में पुलिस को शिकायत दी। पुलिस जांच के लिए मौके पर पहुंची और इलाके में CCTV कैमरे चेक किए। इस दौरान पुलिस को दिखा कि नीलम ही बच्ची को स्कूटी पर बैठाकर ले जा रही थी। इसके बाद पुलिस ने नीलम को हिरासत में ले लिया।
पुलिस पूछताछ में हत्या की बात कबूल की
पुलिस की पूछताछ में नीलम ने दिलरोज (Dilroz) की हत्या की बात कबूल कर ली। उसने पुलिस को बताया कि वह दिलरोज को एल्डिको के नजदीक खाली जगह पर ले गई। वहां उसने गड्ढे में उसे जिंदा दफन किया। नीलम के इस खुलासे के बाद पुलिस और परिवार उस जगह पहुंचे और बच्ची को गड्ढे से बरामद किया।
बच्ची को तुरंत डीएमसी अस्पताल (DMC Hospital) ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। तब नीलम के खिलाफ आईपीसी की धारा 364 (हत्या के इरादे से अपहरण), हत्या (302) और सबूत नष्ट करने (201) के तहत केस दर्ज कर लिया। आज उस मामले में कोर्ट ने नीलम को फांसी की सजा सुनाई है।