कक्षा 1 से 12 तक के सिलेबस में शामिल होगी शिबू सोरेन की बायोग्राफी
Jharkhand News: झारखंड सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल के तहत फैसला लिया है कि राज्य के स्कूलों में दिशोम गुरु शिबू सोरेन (Dishom Guru Shibu Soren) की जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने घोषणा की है कि वर्ष 2026 से कक्षा 1 से 12 तक के सिलेबस में शिबू सोरेन के जीवन और संघर्ष को पढ़ाया जाएगा। इस कदम का उद्देश्य नई पीढ़ी को अपने राज्य के इस महान नायक की विरासत और योगदान से परिचित कराना है।

पहली से बारहवीं तक के पाठ्यक्रम में शामिल होगी बायोग्राफी
आपको बता दें कि इस निर्णय के तहत कक्षा 1 से 12 तक की आठ किताबों में दिशोम गुरु के जीवन पर आधारित अध्याय जोड़े जाएंगे। कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को उनकी जीवनी सरल शब्दों और कहानियों के माध्यम से पढ़ाई जाएगी, ताकि छोटे बच्चे इसे आसानी से समझ सकें। वहीं, उच्च कक्षाओं में उनके सामाजिक-राजनीतिक संघर्ष, आदिवासी अस्मिता और संसदीय योगदान जैसे विषयों को विस्तार से शामिल किया जाएगा। शिक्षा विभाग का मानना है कि इससे छात्रों को अपने इतिहास और समाज की जड़ों की गहरी समझ मिलेगी।
SCERT और JEPC कर रहे तैयारी
शिबू सोरेन की जीवनी को केवल किताबों तक सीमित नहीं रखा जाएगा। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) और झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (JEPC) ने सामग्री तैयार करने का काम शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों की एक टीम अलग-अलग आयु वर्ग के लिए उपयुक्त भाषा और प्रस्तुति का चयन कर रही है, जिससे यह विषय बच्चों के लिए प्रेरक और रोचक हो। इसके अलावा, प्रोजेक्ट वर्क और गतिविधियों के जरिए भी विद्यार्थियों को इस विषय से जोड़ा जाएगा।
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शिक्षा सचिव ने बताया ऐतिहासिक कदम
शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह ने इस पहल को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने झारखंड की पहचान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनके संघर्ष, मूल्य और जनता के अधिकारों के लिए उनकी प्रतिबद्धता नई पीढ़ी को प्रेरित करेगी। उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि विद्यार्थी न केवल उनके जीवन से परिचित हों, बल्कि यह भी समझें कि समाज में बदलाव लाने के लिए संघर्ष और ईमानदारी कितनी जरूरी है।’

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने किया स्वागत
इस फैसले ने राजनीतिक हलकों में भी खासी चर्चा बटोरी है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने इसे ऐतिहासिक कदम बताते हुए इसका स्वागत किया है। JMM के वरिष्ठ नेता मिथिलेश ठाकुर ने अपने X हैंडल पर लिखा, ‘दिशोम गुरु शिबू सोरेन की जीवनी अब स्कूलों में पढ़ाई जाएगी। यह न केवल पाठ्यक्रम का हिस्सा है, बल्कि झारखंड की अस्मिता और पहचान का सम्मान भी है। उनकी विरासत नई पीढ़ी को मार्ग दिखाएगी।’ यह निर्णय पाठ्यक्रम के साथ-साथ झारखंड की अस्मिता और पहचान का भी सम्मान है। दिशोम गुरु अमर रहें!
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बच्चों को अपनी मिट्टी से जोड़ने की दिशा में कदम
सरकार का मानना है कि यह निर्णय विद्यार्थियों में अपने नायक के प्रति सम्मान को बढ़ाएगा और झारखंड की सांस्कृतिक चेतना को बल देगा। यह पहल बच्चों को अपनी मिट्टी से जोड़ने और उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस कदम से न केवल शिबू सोरेन के योगदान को याद किया जाएगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि झारखंड की नई पीढ़ी अपने इतिहास और संस्कृति से गहराई से जुड़े।

