Ayodhya राम मंदिर के किले को भेद पाना नामुमकिन..ऐसी होगी सुरक्षा

दिल्ली NCR

Ram Mandir Security: उत्तर प्रदेश के अयोध्या (Ayodhya) जिले में बन रहे भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का काम जोरों पर चल रहा है। अगले साल यानी कि 2024 के 22 जनवरी को रामलला मंदिर में विराजमान होंगे। इसके लिए तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। तैयारियां से लेकर राम मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था को भी लेकर काफी ध्यान दिया जा रहा है। मंदिर परिसर की सुरक्षा को अभेद्य बनाया जा रहा है। राम मंदिर (Ram Mandir) परिसर में आतंकियों द्वारा हमला करने की धमकियां अक्सर मिलती रहती हैं। अब मंदिर परिसर, पूरी तरह ‘नो-फ्लाइंग जोन’ (‘No-flying zone’) घोषित हो चुका है। ड्रोन, हवाई जहाज या चॉपर, यहां से नहीं गुजर सकेंगे।
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फिदायीन अटैक (Fidayeen Attack) और डार्क नेट जैसे खतरों से राम मंदिर की बेजोड़ सुरक्षा व्यवस्था की गई है। परिसर के ‘6’ स्तरीय सुरक्षा घेरे में सेंध लगाना किसी के भी बस की बात नहीं है। सुरक्षा बलों को ‘जी 20’ शिखर सम्मेलन की तरह विशेष पास जारी किए जाएंगे, जिससे कोई भी सुरक्षा कर्मी अपनी ड्यूटी से इधर-उधर न हो सके। मंदिर परिसर और उसके आसपास लगभग छह सौ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से लैस सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। अयोध्या में सीआरपीएफ, यूपीएसएसएफ, पीएसी और सिविल पुलिस चप्पे-चप्पे पर तैनात रहेगी।

पुलिस और फौज के रूप में भी आ सकते हैं आतंकी

कई बार ऐसी सूचना मिली है कि राम मंदिर के सुरक्षा घेरे को तोड़ने के लिए विदेशी आतंकी ग्रुप एक्टिव है। इनमें अफगानिस्तान और पाकिस्तान के आतंकी समूह शामिल हैं। ये समूह, नेपाल के जरिए भारत में प्रवेश कर मंदिर में हमला करने की रणनीति बनाते रहते हैं। मंदिर पर फिदायीन अटैक का भी एक बड़ा खतरा रहा है। इस तरह के इनपुट में ऐसी संभावना जताई गई है कि मंदिर में पुलिस और फौज की वर्दी पहनकर आतंकी प्रवेश करने की कोशिश करेंगे।
पहले ब्लास्ट और उसके बाद फायरिंग, हमले के लिए आतंकी कुछ इसी तरह की प्लानिंग कर सकते हैं। ऐसे संभावित हमलों को ध्यान में रखते हुए मंदिर परिसर की सुरक्षा को और सख्त कर दिया गया है। मंदिर की सुरक्षा में सीआरपीएफ, यूपीएसएसएफ, पीएसी और लोकल पुलिस की तैनाती की गई है। अब यूपीएसएसएफ को स्थायी तौर पर मंदिर की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जा सकती है, इसके मद्देनजर ही इस फोर्स के जवानों को प्रशिक्षिण दिया गया है। प्राण प्रतिष्ठा समारोह से एक सप्ताह पहले मंदिर परिसर और उसके आसपास, एक विशेष सिक्योरिटी घेरा बना दिया जाएगा।

हर समय मंदिर में तैनात रहता है बमरोधी दस्ता

सीआईएसएफ ने मंदिर परिसर की सुरक्षा के लिए कई अहम सुझाव दिए हैं। यूपी सरकार उन सुझावों को ध्यान में रखकर काम कर रही है। इस बल के शीर्ष अफसरों ने मंदिर परिसर का निरीक्षण किया था। इंटेलिजेंस इनपुट जुटाने के लिए अलग से एजेंसियों को जिम्मेदारी दी गई है। मंदिर के 6 स्तरीय सुरक्षा घेरे में सटीक खुफिया जानकारी जुटाने के लिए आईबी, आईएलयू ‘खुफिया संपर्क इकाई’ और सीआरपीएफ की इंटेलिजेंस विंग, को विशेष टॉस्क सौंपा गया है।
मंदिर परिसर की सुरक्षा को तीन भागों में बांट दिया गया है। रेड जोन में मंदिर परिसर के अंदर वाला हिस्सा शामिल है। येलो जोन में आसपास के वे सभी रास्ते शामिल किए गए हैं, जो मंदिर परिसर की ओर जाते हैं। ग्रीन जोन का दायरा इससे कुछ ज्यादा होता है। यूपी पुलिस, पीएसी और सीआरपीएफ की एक बटालियन, 24 घंटे मंदिर परिसर में तैनात रहेगी। ये बल सभी तरह के हमलों का जवाब देने सक्षम हैं।

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अगर कोई आतंकी हमला होता है या विस्फोट के जरिए कोई व्यक्ति/समूह, मंदिर को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है तो उसे पहले ही नेस्तानाबूद कर दिया जाता है। जो इनपुट मिले हैं, उनमें मंदिर परिसर को नुकसान पहुंचाने के लिए आसपास कोई दंगा कराया जा सकता है। बम फेंकने व सशस्त्र हमले से निपटने का भी पूरा इंतजाम है। बमरोधी दस्ता हर समय मंदिर में तैनात रहता है।

मंदिर को नुकसान पहुंचाने के लिए डार्क नेट की मदद

राम मंदिर तक पहुंचने के मार्ग भी सुरक्षा के हिसाब से बनाए गए हैं। एक स्पेशल मार्ग है, जहां पर तीन जगहों पर चेकिंग होती है। ऐसा नहीं है कि कोई व्यक्ति किसी भी मार्ग से मुख्य मंदिर तक बिना चेकिंग के पहुंच सकता है। उसके लिए एक मार्ग निश्चित किया गया है। मंदिर में कुछ भी लाना सख्त मना किया गया है। कुछ महीने पहले ही एक व्यक्ति ने डार्क नेट का इस्तेमाल कर मंदिर को उड़ाने की धमकी दी थी। पुलिस ने उसे तुरंत ही पकड़ ली थी। इसके बाद सोशल मीडिया पर भी सुरक्षा एजेंसियों की नजर है। डार्क नेट और इंटरनेट के माध्यम से अपराध को अंजाम देने वाले दूसरे तौर तरीकों पर भी नजर रखी जा रही है। मंदिर की सुरक्षा के लिए आसपास के इलाके में भी गहन जांच पड़ताल होती है।
आस पास के लोगों के यहां कौन आ रहा है, ये सब बताना पड़ता है। इसका एक रिकॉर्ड तैयार किया जाता है। किसी व्यक्ति के यहां कोई समारोह है, तो बाकायदा उस पर इंटेलिजेंस की पैनी नजर होती है। यह देखा जाता है कि वहां कोई अपराधी, मंदिर को नुकसान पहुंचाने की साजिश तो नहीं रच रहे। मंदिर के आसपास के इलाके में किसी को मैपिंग करने की इजाजत नहीं है।

मंदिर की सुरक्षा होगी यूपीएसएसएफ के हवाले

मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद यहां की सुरक्षा यूपीएसएसएफ के हाथों में होगी। यूपी पुलिस की स्पेशल सर्विस यूनिट में पीएसी के जवानों को शामिल किया गया है। मंदिर में एनएसजी की टीम भी निरीक्षण करती रहती है। मंदिर के आसपास आठ मस्जिद हैं। वहां तैनात सुरक्षा बलों को यह ट्रेनिंग दी गई है कि हमले की स्थिति में किसकी क्या जिम्मेदारी रहेगी। सर्विलांस के लिए अयोध्या में ही लगभग 2500 से भी ज्यादा कैमरे लगाए गए हैं।

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वाहनों को एक तय दूरी पर रोका जा रहा है। अगर कोई खास मेहमान है, तो उसके लिए पास जारी किया जाता है। इसके बाद भी सुरक्षा कर्मी, उसे अकेला नहीं छोड़ते। बतौर गाइड, वे उसके साथ रहते हैं। मंदिर परिसर की सुरक्षा को लेकर विशेष समीक्षा रिपोर्ट तैयार होती रहती है। इस काम को समय समय पर विभिन्न एजेंसियां अंजाम देती हैं। सिक्योरिटी सर्वे होता रहता है।