J.Sharma ख़बरीमीडिया
ISRO: मंगलयान और चंद्रयान की कामयाबी के बाद इसरो ने एक बार फिर इतिहास रच दिया। गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट सफलतापूर्वक लॉन्च कर दी गई। इसरो (ISRO) ने जिस क्रू मॉड्यूल को लॉन्च किया। उसे टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 और टेस्ट व्हीकल डेवलपमेंट फ्लाइट भी कहा जा रहा है। इस मिशन के सफल होने की जानकारी इसरो चीफ एस सोमनाथ (S Somnath) ने दी। उन्होंने गगनयान (Gaganyan) के क्रू मॉड्यूल की सफलता पर इसरो की पूरी टीम को बधाई भी दी।
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हालांकि मिशन की लॉन्चिंग के वक़्त एक पल ऐसा भी आया जब सबकी सांसे थम गईं। क्योंकि पहले ख़राब मौसम की वजह से लॉन्चिंग को टाला गया फिर आखिरी वक्त पर तकनीकी खराबी आने की वजह से मिशन को रोकना पड़ा। जिसकी जानकारी इसरो चीफ ने दी और बताया कि इंजन सही से चालू नहीं हो पाया। इसी वजह से लॉन्चिंग को रोकना पड़ा। इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि रॉकेट के साथ लगाया गया व्हीकल पूरी तरह सुरक्षित है। उन्होंने यहां तक कहा कि गड़बड़ी का पता लगाकर वो जल्द ही लौटेंगे। हुआ भी ऐसा ही इसरो की टीम ने फौरन तकनीकी खामी का पता लगाकर उसे ठीक कर दिया। जिसकी जानकारी इसरो ने ट्वीट के जरिए दी। ट्वीट में बताया गया कि गगनयान के टीवी-डी1 लॉन्च की खराबी का पता लगाकर उसे ठीक कर दिया गया है। ट्वीट में लॉन्च का नया वक़्त भी बताया कि गगनयान की टेस्ट फ्लाइट अब सुबह 10 बजे लॉन्च होगी। तय वक्त के मुताबिक प्रक्षेपण को अंजाम दिया गया। जिसमें इसरो के हाथ कामयाबी लगी और इसरो ने एक बार फिर इतिहास रच दिया।
इसरो चीफ ने बताया कि रॉकेट से आसमान में जाने के बाद क्रू एस्केप सिस्टम एक्टिव हुआ। उसके बाद क्रू मॉड्यूल रॉकेट से अलग किया गया और पैराशूट खुल गए फिर वो समंदर में लैंड कर गए। इसरो ने सिर्फ सफल लॉन्च को ही अंजाम नहीं दिया बल्कि टेस्ट फ्लाइट-डी1 मिशन के क्रू मॉड्यूल को समंदर से रिकवर भी कर लिया गया है। नौसेना ने इसकी पुष्टि भी कर दी है। नौसेना की टीम समंदर में क्रू मॉड्यूल कि रिकवरी के लिए पहले से मौजूद थी। इसरो चीफ ने भी बंगाल की खाड़ी से क्रू मॉड्यूल के मिलने के बारे में बताया। जिसका मतलब ये हुआ कि इसरो का ये मिशन पूरी तरह सफल रहा।
आखिर क्यों जरूरी थी ये टेस्टिंग
अब आपको बताते हैं कि गगनयान से पहले ये टेस्टिंग आखिर जरूरी क्यों है? असल में साल 2025 में इसरो अंतरिक्ष में मानव सहित यान भेजने की तैयारी में जुटा है। इस मिशन पर अंतरिक्ष यात्री 3 दिनों तक रहेंगे। मिशन का लक्ष्य अंतरिक्ष यात्री को 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना है। ऐसे में वो सही सलामत वापस धरती पर लौट आएं इसीलिए इस टेस्टिंग को किया गया। आसान शब्दों में कहे तो अबॉर्ट टेस्ट का मतलब होता है कि किसी भी तरह की दिक्कत होने पर अंतरिक्ष यात्री को मॉड्यूल के साथ सुरक्षित वापस लाया जा सके। गगनयान की सफलता के लिए इसरो इस तरह के कई टेस्ट मिशन को अंजाम देने की योजना बना चुका है।
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