JNU में अंतर्राष्ट्रीय युवा शोधकर्ता सम्मेलन (IYRC)-2024 का आयोजन

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“आज के अनुसंधान: भारतीय और विदेशी भाषाओं के संदर्भ में”

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, के भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अध्ययन संस्थान व तमिल अध्ययन केंद्र द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईसीएसएसआर) के सहयोग से दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय युवा शोधकर्ता सम्मेलन (International Young Researchers’ Conference) 2024 आयोजित किया गया जिसका मुख्य विषय “आज के अनुसंधान: भारतीय और विदेशी भाषाओं के संदर्भ में” 29 फरवरी-1 मार्च 2024 को हाइब्रिड मोड में आयोजित किया गया। सम्मेलन को आईसीएसएसआर, वी.के. ग्लोबल पब्लिकेशन, गोयल पब्लिकेशन एवं लैंगर्स इंटरनेशनल ने समर्थन व सहयोग दिया।

29 फरवरी को प्रातः 9:00 बजे दीप प्रज्वलन के साथ सम्मेलन का उद्घाटन किया गया जिसकी मेज़बानी डॉ. मर्सी ग्योते ने की। सम्मेलन निर्देशक एवं भाषा, साहित्य और संस्कृति अध्ययन संस्थान की विभागाध्यक्ष प्रो. शोभा सिवसंकरण ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए इसे सीखने और सूचनाओं के आदान-प्रदान का मंच बताया अर्थात् ऐसे मंच उभरते शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों को अपने शैक्षणिक योगदान का प्रदर्शन करने, विचार साझा करने और साथी शोधकर्ताओं और सहकर्मियों के साथ मिलकर काम करने का अवसर प्रदान करते हैं, ताकि उनके अनुसंधान को प्रबल किया जा सके।

सहायक प्रोफेसर डॉ. सोनू सैनी ने सम्मेलन के लक्ष्य एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि प्राप्त कुल 350 शोधपत्रों में से 121 को प्रस्तुति के लिए चुना गया। मंच पर मौजूद गणमान्य व्यक्तियों और आयोजन समिति के सदस्यों द्वारा सार-पुस्तक का विमोचन किया गया। यह संख्या ऐसे अंतःविषय मंच की आवश्यकता दर्शाती है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. रविकेश ने भारतीय और विदेशी भाषाओं में शोध के हालिया रुझानों पर प्रकाश डाला।  

विशिष्ट अतिथि प्रो. धनंजय सिंह, सदस्य सचिव, आईसीएसएसआर ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए सहयोगात्मक कार्य के महत्व पर प्रकाश डाला। प्रो. अशोक चावला, सलाहकार (जापान), विदेश मंत्रालय भारत ने अपने मुख्य भाषण में कुशलतापूर्वक अनुसंधान करने पर विभिन्न विचारों, रणनीतियों, कार्यों को साझा किया। प्रो. उदय नारायण सिंह, कला संकाय अध्यक्ष, एमिटी स्कूल आफ लैंग्वेजेस गुड़गांव ने अपने भाषण में अनुसंधान में विचारणीय नैतिकता और विभिन्न प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा की। कोरियाई भाषा केंद्र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय  के सहायक प्रोफेसर डॉ. सत्यांशु श्रीवास्तव ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया और सभी का आभार व्यक्त किया।

पहले दिन का सत्र सुबह 10:30 बजे आरंभ हुआ और शाम 7:00 बजे तक जारी रहा। इन सत्रों की अध्यक्षता प्रो. पौथांग हाओकिप, डॉ. अलाउद्दीन शाह, प्रो. रंजना बनर्जी, डॉ. शाहबाज़ आमिल, प्रो. आर. थामोथरन, डॉ. लवी श्रीवास्तव, प्रो. रोज़ी सिंह, डॉ. योगेश कुमार राय, डॉ. हरि माधव रे, डॉ. मिलिंद अवध, डॉ. मुकेश कुमार, डॉ. गौस मशकूर खान, डॉ. अजय कुमार कर्नाटि, डॉ. किरण सिंह वर्मा, डॉ. अरिहंत कुमार वर्धन द्वारा की गयी।

पहले सत्र में 60 से अधिक शोधकर्ताओं ने अपने ज्ञानवर्धक शोधपत्र प्रस्तुत किये । सम्मेलन में विभिन्न विस्तृत विषयों पर चर्चा की गई, जिसमें शामिल हैं: भाषा और उसकी पहचान, जो विभिन्न सांस्कृतिक संदर्भों में व्यक्तिगत और सामूहिक पहचान को आकार देने में भाषा की भूमिका का महत्व दर्शाती है; साहित्य और सामाजिक परिवर्तन,  जिसमें विश्लेषण किया गया कि कैसे साहित्य सामाजिक परिवर्तनों और मानदंडों को प्रतिबिंबित और प्रभावित करता है और अनुवाद तकनीक, जो भारतीय और विदेशी भाषाओं से अनुवाद की तकनीकों को प्रदर्शित करते हैं।

दूसरे दिन का सत्र सुबह 10:00 बजे से आरंभ हुआ जिनकी अध्यक्षता प्रो. साधना नैथानी, डॉ. लिपि विश्वास सेन, डॉ. विनय कुमार गुप्ता, प्रो. बाबू थलियाथ, श्री संतोष कुमार रंजन, प्रो.अख़लाक़ अहमद , श्री संजय कुमार झा, डॉ. मर्सी वी. ग्योते, डॉ. कौशल कुमार, डॉ. अनिल कुमार सिंह, डॉ. सत्यांशु श्रीवास्तव, डॉ. नीरजा समजदार, डॉ. सोनू सैनी, डॉ.मीनाक्षी सुंदरियाल और डॉ. गौरव कुमार ने की।  62 से अधिक शोधकर्ताओं ने इस सत्र में अपने विद्वत्तापूर्ण शोधपत्र प्रस्तुत किए।

इन सत्रों में  विविध व्यापक विषयों पर चर्चा की गई जिसमें सांस्कृतिक विविधता और समावेश शामिल है, जो सांस्कृतिक विविधता के प्रभाव और विभिन्न समुदायों और समाजों के लिए इसकी चुनौतियों और‌ लाभों का विश्लेषण करता है वहीं भाषा और तकनीक के विषय भी शामिल हैं, जो भाषा और तकनीक के बीच संबंध को दर्शाते हैं, जिसमें भाषा संरक्षण और डिजिटल संचार जैसे विषयों पर विचार मंथन किया गया। वहीं उभरती शिक्षण पद्धतियों पर भी गौर किया गया जिसमें भाषा, साहित्य और संस्कृति के शिक्षण और संबंधित क्षेत्रों में भविष्य में उभरते रुझानों का गहन विश्लेषण किया गया।

सम्मेलन का समापन शाम 5:30 बजे समाप्ति सत्र के साथ हुआ, जिसकी अध्यक्षता सम्मेलन निर्देशक एवं भाषा, साहित्य और सांस्कृति अध्ययन संस्थान की विभागाध्यक्ष प्रो. शोभा सिवसंकरण ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ की। निर्देशक ने आयोजन समिति के सदस्यों प्रो. आर. थामोथरन, डॉ. राजेश पासवान, डॉ. गौरव कुमार, डॉ. विनय कुमार गुप्ता, डॉ. अनिल कुमार सिंह, डॉ. गौस मशकूर खान, डॉ. मर्सी वी. ग्योते, डॉ. अरिहंत कुमार वर्धन, डॉ. सत्यांशु श्रीवास्तव, डॉ. सोनू सैनी की सराहना की । उन्होंने सभी स्वयंसेवकों के सक्रिय कार्य की भी सराहना की। प्रो. सिवसंकरन ने भारत के विभिन्न राज्यों से आए सम्मेलन के प्रतिभागियों के साथ-साथ रूस के वक्ताओं का आभार व्यक्त किया।