RTE Admission 2024: नोएडा में आरटीई के तहत बच्चों का एडमिशन होगा। नोएडा के प्राइवेट स्कूलों (Private Schools) में शिक्षा के अधिकार के तहत दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लेकिन बड़े स्कूल आरटीई पोर्टल (RTE Portal) से गायब नजर आ रहे हैं। जिसके चलते अभिभावकों (Parents) को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा विभाग की ओर से स्कूलों की मैपिंग (Mapping) में बदलाव की वजह से हुआ है। पढ़िए पूरी खबर…
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नोएडा के स्कूलों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के अनुसार 2024-25 सत्र के लिए पहले चरण की आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है। लेकिन बड़े स्कूल आरटीई पोर्टल से गायब नजर आ रहे हैं। जिसके चलते अभिभावकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा विभाग की ओर से स्कूलों की मैपिंग में बदलाव की वजह से हुआ है।
नोएडा के नगरीय क्षेत्रों के अधिकतर स्कूलों की मैपिंग (Mapping) ग्रामीण क्षेत्रों में कर दी गई है। जिसके चलते नोएडा नगरीय क्षेत्र में आवेदन करते समय अधिकतर स्कूलों का विकल्प नहीं मिल रहा है। बता दें कि नियम के मुताबिक अभिभावक 1 किलोमीटर के दायरे में आने वाले स्कूलों में ही अपने बच्चों का दाखिला कर सकते हैं। इस दायरे से बाहर के स्कूलों के लिए आवेदन किया तो फॉर्म ही रद्द हो जाएगा।
ग्रामीण क्षेत्र का विकल्प भी चुनें
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राहुल पंवार (Rahul Panwar) ने बताया है कि इस बार नोएडा की मैपिंग ग्राम पंचायत के हिसाब से हुई है। इसलिए नगरीय क्षेत्रों में स्कूल नहीं दिख रहे होंगे। इसलिए नोएडा क्षेत्र के अभिभावकों को आरटीई के तहत आवेदन के समय नगरीय क्षेत्र की जगह ग्रामीण क्षेत्र का विकल्प चुनना होगा। जिसमें अपने गांव का चयन करने के बाद नजदीकी स्कूल दिख जाएंगे।
नोएडा के स्कूलों में आरटीई से दाखिले के नियम
बेसिक शिक्षा अधिकारी (Basic Education Officer) की ओर से जारी निर्देश के मुताबिक अभिभावकों को आरटीई दाखिला कराते समय वार्ड, ग्राम पंचायत और दूरी समेत सभी नियमों का पालन करना है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुसार हो रहे दाखिले की प्रक्रिया 4 चरणों में आयोजित की जाएगी। छात्रों के परिवार की सालाना आय 8 लाख रुपये से कम होनी चाहिए।
करीब 16000 से ज्यादा सीटों पर होगा एडमिशन
आरटीई के अनुसार इस साल नोएडा के प्राइवेट स्कूलों (Noida Private Schools) में कुल 16482 सीटों पर एडमिशन होगा। दाखिले की प्रक्रिया 20 जनवरी से ही शुरू हो चुकी है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुसार निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित हैं।