उपजिलाधिकारी से निष्पक्ष जांच की मांग, “केवल रिश्वत वाले मामलों में ही रिपोर्ट दी जाती है” — गंभीर आरोप, “प्रशासन की साख दांव पर” — न्यायिक हस्तक्षेप की मांग, धन की मांग न मानने पर दी गई नकारात्मक रिपोर्ट”
Greater Noida: दादरी तहसील के राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप एक बार फिर चर्चा का विषय बन गए हैं। स्थानीय अधिवक्ता गौरव शर्मा, जो रफ़्तार टुडे अख़बार में कंसल्टेंट एडिटर के रूप में भी कार्यरत हैं, ने राजस्व निरीक्षक अशोक कुमार पर अनैतिक धन की मांग, प्रक्रियात्मक लापरवाही और जानबूझकर नकारात्मक रिपोर्ट देने के गंभीर आरोप लगाए हैं। एडवोकेट शर्मा ने इस संबंध में श्रीमती उपजिलाधिकारी महोदया, तहसील दादरी, जनपद गौतमबुद्ध नगर को एक लिखित प्रार्थना पत्र सौंपा है, जिसमें उन्होंने अशोक कुमार के विरुद्ध तत्काल निलंबन/बर्खास्तगी तथा विभागीय जांच की मांग की है।
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सीमांकन विवाद से उपजा भ्रष्टाचार का मामला
एडवोकेट गौरव शर्मा की भूमि राजस्व ग्राम मोहिउद्दीनपुर उर्फ़ गौरवपुर, दादरी, खाता संख्या 169, खसरा संख्या 350, तथा संबंधित चकमार्ग संख्या 352 से जुड़ी है। इस भूमि के सीमांकन के लिए उन्होंने 27 फरवरी 2025 को तहसील दादरी में सीमांकन प्रार्थना पत्र दाखिल किया था, जिस पर उपजिलाधिकारी द्वारा आदेश पारित किया गया और राजस्व निरीक्षक अशोक कुमार को जांच का दायित्व सौंपा गया। वाद संख्या T202511270224593 (गौरव शर्मा बनाम निशा शर्मा आदि) के तहत यह मामला दर्ज हुआ था, जिसकी प्रथम तिथि 17 जून 2025 निर्धारित थी।
“धन की मांग न मानने पर दी गई नकारात्मक रिपोर्ट” — गौरव शर्मा का आरोप
प्रार्थना पत्र में गौरव शर्मा ने उल्लेख किया है कि “राजस्व निरीक्षक अशोक कुमार ने सीमांकन कार्यवाही किए बिना और मुझे बिना किसी सूचना दिए 15 सितंबर 2025 को एकतरफा रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी। जब मैंने प्रगति की जानकारी चाही, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से अनैतिक धन की मांग की।” उन्होंने बताया कि रिश्वत देने से इनकार करने पर अशोक कुमार ने उन्हें धमकियां दीं, यह कहते हुए कि “तुम्हारा इसमें कोई अधिकार नहीं है, मैं रिपोर्ट क्यों दूं।” गौरव शर्मा का कहना है कि अधिकारी ने जानबूझकर नकारात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत कर उनके सीमांकन प्रार्थना पत्र को 27 अक्टूबर 2025 को निरस्त करवा दिया, जिससे उन्हें भारी नुकसान हुआ।
“केवल रिश्वत वाले मामलों में ही रिपोर्ट दी जाती है” — गंभीर आरोप
एडवोकेट शर्मा ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि राजस्व निरीक्षक अशोक कुमार केवल उन्हीं प्रकरणों में रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं जहां से अनैतिक लाभ प्राप्त होता है। अन्य मामलों को या तो लंबित रख दिया जाता है या जानबूझकर नकारात्मक रिपोर्ट दी जाती है। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी माता के नाम से पूर्व में प्रस्तुत सीमांकन आवेदन को भी लगभग 18 महीने तक लंबित रखकर खारिज कर दिया गया, जो इस अधिकारी की कार्यशैली पर गम्भीर प्रश्नचिह्न खड़े करता है।
“प्रशासन की साख दांव पर” — न्यायिक हस्तक्षेप की मांग
गौरव शर्मा ने उपजिलाधिकारी महोदया से निवेदन किया है कि इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए—1) राजस्व निरीक्षक अशोक कुमार के विरुद्ध तत्काल निलंबन या बर्खास्तगी की प्रक्रिया प्रारंभ की जाए।
2) पूरे मामले की विस्तृत विभागीय जांच कराई जाए, ताकि सत्य सामने आ सके।
3) सीमांकन प्रार्थना पत्र की पुनः न्यायोचित जांच कराई जाए, जिससे वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो सके। उन्होंने कहा कि एक जिम्मेदार अधिवक्ता और नागरिक होने के नाते वे भ्रष्टाचार को स्वीकार नहीं कर सकते। इसीलिए उन्होंने यह मामला खुलकर उठाया है ताकि अन्य लोग भी प्रशासनिक उत्पीड़न से मुक्त रह सकें।
प्रशासन की निष्पक्षता ही जनता का विश्वास” — गौरव शर्मा
पत्र में गौरव शर्मा ने लिखा है “राजस्व निरीक्षक अशोक कुमार का आचरण न केवल शासन की नीति के विपरीत है, बल्कि तहसील प्रशासन की साख को भी आघात पहुंचा रहा है। यदि ऐसे अधिकारी बिना जांच के बचते रहेंगे, तो ईमानदार नागरिकों को न्याय मिलना असंभव हो जाएगा।” उन्होंने कहा कि उन्हें पूर्ण विश्वास है कि उपजिलाधिकारी महोदया न्यायहित में इस मामले को प्राथमिकता से संज्ञान में लेंगी और कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करेंगी।
प्रकरण के दस्तावेज और प्रमाण
गौरव शर्मा ने अपने प्रार्थना पत्र के साथ निम्न दस्तावेज संलग्न किए हैं
सीमांकन आदेश की प्रति (27 फरवरी 2025)
वाद संख्या T202511270224593 का विवरण
राजस्व निरीक्षक की रिपोर्ट की प्रति
पूर्व में उनकी माता के आवेदन की स्थिति रिपोर्ट, इन दस्तावेजों के आधार पर उन्होंने यह दावा किया है कि राजस्व निरीक्षक ने जानबूझकर प्रशासनिक प्रक्रिया को बाधित किया।
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जनता की नजर अब तहसील प्रशासन पर
स्थानीय स्तर पर यह मामला चर्चा का विषय बन गया है। दादरी क्षेत्र के कई नागरिकों और अधिवक्ताओं ने भी प्रशासन से मांग की है कि इस प्रकार के भ्रष्टाचार को सख्ती से समाप्त किया जाए। लोगों का कहना है कि अगर इस शिकायत की निष्पक्ष जांच की गई, तो राजस्व विभाग की कई गड़बड़ियां सामने आ सकती हैं।
न्याय की उम्मीद अब उपजिलाधिकारी से
एडवोकेट गौरव शर्मा का यह मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि उस न्याय व्यवस्था की साख का प्रश्न बन गया है जिस पर जनता विश्वास करती है। अब सबकी निगाहें तहसील प्रशासन पर टिकी हैं कि क्या इस भ्रष्टाचार के खिलाफ तत्काल और निष्पक्ष कार्रवाई होगी या मामला फाइलों में दब जाएगा।

