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CGHS: केंद्रीय कर्मचारियों के CGHS को लेकर मोदी सरकार का बड़ा तोहफ़ा

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CGHS: केंद्रीय कर्मचारियों के CGHS को लेकर मोदी सरकार ने बड़ा तोहफ़ा दिया है।

CGHS: देश में स्वास्थ्य सेवाओं को समावेशी बनाने की दिशा में केंद्र सरकार (Central Government) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों (Pensioners) के ट्रांसजेंडर बच्चे और भाई-बहन भी उम्र की किसी सीमा के बिना सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (CGHS) और केंद्रीय सेवा, 1944 नियम के तहत चिकित्सा लाभ उठा सकेंगे। यह फैसला न केवल एक प्रशासनिक सुधार है, बल्कि समानता और सामाजिक न्याय की दिशा में भी एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

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क्या है नया नियम?

स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी सर्कुलर के मुताबिक, अब ट्रांसजेंडर आश्रितों को CGHS और अन्य केंद्रीय स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लेने के लिए आयु की कोई बाध्यता नहीं होगी। हालांकि, यह लाभ केवल उन्हीं आश्रितों को मिलेगा जो पूरी तरह से आर्थिक रूप से आश्रित हैं। आश्रितों की परिभाषा और आय सीमा की शर्तें पहले से ही 2016 की अधिसूचना में तय की जा चुकी हैं।

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जरूरी दस्तावेज और शर्तें

इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए ट्रांसजेंडर आश्रित को जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी ट्रांसजेंडर प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा। यह प्रमाणपत्र ट्रांसजेंडर पर्सन्स (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत वैध माना जाएगा। इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि स्वास्थ्य सुविधा का लाभ केवल वास्तविक और पात्र लोगों तक ही पहुंचे।

CGHS में हाल के सुधारों की झलक

पिछले एक वर्ष में CGHS में कई महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं। पोर्टल और मोबाइल ऐप को और अधिक यूज़र-फ्रेंडली बनाया गया है। कैशलेस इलाज की सुविधा को अधिक अस्पतालों और डायग्नोस्टिक सेंटरों तक विस्तारित किया गया है। नई निजी चिकित्सा संस्थाएं भी इस स्कीम में जोड़ी गई हैं। दवाओं की उपलब्धता और वितरण प्रणाली को मजबूत किया गया है। इसके अतिरिक्त, वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग हेल्पडेस्क भी स्थापित किए गए हैं, जिससे पेंशनभोगियों और वरिष्ठ कर्मचारियों को काफी राहत मिली है।

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क्यों है यह कदम महत्वपूर्ण?

सरकार का यह फैसला महज एक नीतिगत बदलाव नहीं, बल्कि समाज के हाशिए पर खड़े समुदायों को मुख्यधारा में शामिल करने की दिशा में एक संवेदनशील प्रयास है। ट्रांसजेंडर आश्रितों को अब वह स्वास्थ्य सुरक्षा प्राप्त होगी जो परिवार के अन्य सदस्यों को मिलती है। इससे न केवल उनकी जीवन गुणवत्ता बेहतर होगी, बल्कि ट्रांसजेंडर समुदाय को समाज में सम्मान और गरिमा से जीने का अधिकार भी मजबूत होगा।