नोएडा एक्सटेंशन की इस सोसायटी में आया ख़तरनाक जानवर..देखते ही भागने लगे लोग

दिल्ली NCR
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Jyoti Shinde, Editor

ख़बर ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सोसायटी से है जहां अचानक मॉनिटर छिपकली(Monitor Lizard) या गोह कहते हैं, नज़र आया। दरअसल मॉनिटर छिपकली सेंट जॉन स्कूल के सामने मौजूद सोसायटी निराला ग्रीनशायर(Nirala Greenshire) सोसायटी के अंदर एक गाड़ी में छिपा बैठा था। जैसे ही लोगों की नज़र पड़ी..सोसायटी में हड़कंप मच गया। कड़ी मशक्कत के बाद मॉनिटर छिपकली को पकड़कर जंगल में छोड़ा गया। मॉनिटर छिपकली के दिखने से सोसायटी में दहशत है।

छिपकली प्रजाति, सांप इसका भोजन
एक्सपर्ट के अनुसार गोहरा शांत जीव है। यह छिपकली की प्रजाति का है। ये छिपकली से बहुत बड़े आकार का होता है। व्यस्क गोहरे की लंबाई ढाई से तीन फीट तक हो सकती है। सांप जैसी जीभ होने के कारण इसे लोग जहरीला मानते हैं। गांव व शहरों में आज भी लोगों में यह धारणा है कि गोहरे का काटा पानी भी नहीं मांगता। मतलब गोहरे के काटने से तुरंत मौत हो जाती है। यह पूरी तरह मिथक है। मॉनिटर छिपकलियां मांसाहारी होती हैं और आहार के रूप में कीड़े, रेपटाइल, पक्षियों, मछलियों आदि का सेवन करते हैं। ये अपने आस-पास के छोटे जीवों को भी खाता है। सांप और पक्षियों के अंडे इसे पसंद हैं। जहरीले जीवों की खाद्य शृंखला को नियंत्रित करता है। अंग्रेजी में इसे मॉमन इंडियन लिजार्ड, मोनिटर लिजार्ड, बंगाल लिजार्ड व बंगाल मॉनिटर आदि नाम से जाना जाता है।

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कैसे वातावरण में रहते हैं मॉनिटर छिपकलियां?
मॉनिटर छिपकली कई वातावरणों में रहने के अनुकूल होती हैं। वे या तो जंगलों और रेनफॉरेस्ट या जलीय क्षेत्रों में पाए जा सकते हैं। इसके साथ ही मॉनिटर छिपकलियां गर्म और शुष्क क्षेत्रों में भी पाए जा सकते हैं।

ज्यादातर प्रजातियां अपनी कम उम्र में पर फ़ीड करती हैं और बाद में कशेरुक पर भोजन करने के लिए स्थानांतरित हो जाती हैं। हिरण सबसे बड़ी एडल्ट प्रजातियों में से लगभग 50% छिपकलियों का आहार है।

क्या मॉनिटर छिपकली खत्म होने के कगार पर है?
आईयूसीएन रेड लिस्ट (IUCN Red List) के अनुसार, मॉनिटर छिपकली की अधिकांश प्रजातियां के विषय में कोई चिंता नहीं जताई जा रही लेकिन विश्व स्तर पर उनकी जनसंख्या घट रही है। कई प्रजातियों को आवश्यक रूप से खतरा नहीं है, लेकिन यदि ऐसी प्रजातियों पर व्यापार नियम लागू नहीं किए जाते हैं तो वे विलुप्त हो सकते हैं। दक्षिण भारत के कई हिस्सों में प्रोटेक्टेड स्पीशीज एक्ट (Protect Species Act) के तहत मॉनिटर छिपकलियों को पकड़ना या मारना पूरी तरह से प्रतिबंधित है।

इंडस्ट्री में मॉनिटर छिपकली का उपयोग

ट्रेडिशनल दवाएं
मॉनिटर छिपकली का उपयोग ट्रेडिशनल दवाओं में किया जाता है। हालांकि से कितना प्रभावी है इस बात का कोई साइंटिफिक प्रूफ नहीं है। इसका उपयोग भारत और पाकिस्तान के कई हिस्सों में दर्द, स्किन इंफेक्शन और बवासीर को ठीक करने के लिए भी किया जाता है।

लेदर इंडस्ट्री
लेदर इंडस्ट्री में मॉनिटर छिपकलियों का बहुत इस्तेमाल किया जाता है। लेदर इंडस्ट्री मे मॉनिटर छिपकली के खाल के लिए उनका बड़े पैमाने पर शोषण किया जाता है।

फूड इंडस्ट्री
कई एशियाई, अफ्रीकी और महासागरीय देशों में मॉनिटर छिपकली के मांस और अंडे का आहार के रूप में सेवन किया जाता है।

म्यूजिक इंडस्ट्री

मॉनिटर छिपकली के खाल का उपयोग कर्नाटक संगीत ताल वाद्य कांजीरा बनाने में किया जाता है।

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