Bengaluru के इंजीनियर की कहानी वायरल, जिसने हजारों लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
Bengaluru News: देश के आईटी हब बेंगलुरु (Bangalore IT Hub) से एक भावुक कर देने वाली कहानी सोशल मीडिया (Social Media) पर सामने आई है, जिसने हजारों लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। एक इंजीनियर (Engineer) की 43.5 लाख रुपये सालाना पैकेज वाली नौकरी (Job) छूटने के बाद जिंदगी पूरी तरह बदल गई है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस मामले को एक यूजर ने साझा किया, जिसकी पोस्ट अब तेजी से वायरल हो रही है। पढ़िए पूरी खबर…

टैक्स में दिया 30 लाख, अब कोई मदद नहीं
@venkat_fin9 नाम के यूजर ने अपनी पोस्ट में कहा कि उनके जानने वाले सलीम, जो NIT के टॉपर रह चुके हैं, बेंगलुरु में एक अच्छी IT कंपनी में काम करते थे। उनकी सालाना सैलरी 43.5 लाख थी। लेकिन बीते महीने कंपनी ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया। कंपनी ने सिर्फ 3 महीने का सेवरेंस पे (नौकरी से हटाए जाने पर मिलने वाला मुआवजा) दिया और उसके बाद से सलीम बेरोजगार हैं।
वेंकटेश (Venkatesh) ने लिखा कि सलीम ने पिछले 5 वर्षों में करीब 30 लाख टैक्स के रूप में सरकार को दिए, जिसमें अकेले पिछले साल 11.22 लाख का भुगतान किया। लेकिन जब उन्हें जरूरत पड़ी, तो सिस्टम ने कोई मदद नहीं की। न कोई सोशल सिक्योरिटी, न जॉब सिक्योरिटी, और न ही किसी तरह का मानसिक या आर्थिक समर्थन।
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डिप्रेशन में गए, बच्चों की फीस सेविंग से भर रहे
सलीम अब डिप्रेशन में हैं। वे अपने बचत और सेवरेंस अमाउंट का इस्तेमाल अपने बच्चों की पढ़ाई में कर रहे हैं। हर बच्चे की सालाना फीस लगभग 1.95 लाख है। सौभाग्य से उन पर कोई होम लोन नहीं है, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में खुद को पूरी तरह असहाय और असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
यूजर ने कहा कि सलीम ने उनसे अपनी पहचान गुप्त रखने को कहा, लेकिन देश के लिए उनका संदेश बेहद जरूरी है। उन्होंने लिखा, ‘भारत में असली करदाता यही अनुभव करते हैं। वे भुगतान करते हैं, कानून का पालन करते हैं, योगदान करते हैं और जब संकट आता है, तो कोई साथ नहीं देता।’
वायरल हो रही है पोस्ट, छिड़ गई बहस
इस पोस्ट को खबर लिखे जाने तक 8.8 लाख से ज्यादा बार देखा गया, जबकि 9,500 से ज्यादा लाइक्स और 950 से अधिक कमेंट्स आ चुके हैं।

X पर लोगों ने इस मुद्दे को लेकर तीखी बहस शुरू कर दी है। एक यूजर ने लिखा, ‘दुनिया में हर जगह यही स्थिति है।’ दूसरे ने कहा, ‘सरकार टैक्स के पैसे से स्कूल, अस्पताल और सड़कें चलाती है।’ वहीं, कुछ यूजर्स ने सुझाव दिया कि ‘नौकरी गंवाने वालों को टैक्स में राहत दी जानी चाहिए, जिससे वे खुद को फिर से खड़ा कर सकें।’
एक यूजर ने लिखा, ‘बुनियादी जीवनशैली बनाए रखते हुए नई नौकरी ढूंढने और स्किल बढ़ाने का पर्याप्त वक्त और सपोर्ट मिलना चाहिए।’ वहीं किसी ने कहा, ‘अब यह नया नॉर्मल बनता जा रहा है। सिर्फ सरकार को दोष देने या टैक्स की शिकायत करने से कुछ नहीं होगा, बल्कि सिस्टम को जिम्मेदार बनाना होगा।’
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सिस्टम में बदलाव की मांग
इस पूरे प्रकरण के बाद एक बार फिर भारत में सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था और बेरोजगारी में मदद के उपायों को लेकर बहस तेज हो गई है। क्या टैक्स (Tax) चुकाने वालों के लिए कोई सुरक्षा कवच होना चाहिए? क्या उन्हें नौकरी जाने की स्थिति में सरकारी सहायता मिलनी चाहिए?

