Bank: इस बैंक की भी वित्तीय हालात खराब, पढ़िए पूरी डिटेल
Bank News: अगर आपका भी बैंक एकाउंट है तो यह खबर खास आपके ही लिए है। आपको बता दें कि भारत की एक और सहकारी बैंक (Cooperative Bank) डूबने की कगार पर है। जिससे बैकिंग सेक्टर की स्थिरता को लेकर चिंता और ज्यादा बढ़ गई है। नवीनतम संकट में न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक (New India Co-operative Bank) की आर्थिक स्थिति खराब है। यह बैंक बीते दो सालों से वित्त वर्ष 2024 तक घाटे की रिपोर्ट कर रहा है। मार्च 2024 के अंत में बैंक की लोन बुक ₹1,174.85 करोड़ थी, वहीं इस बैंक की जमा राशि ₹2,436.38 थी। जबकि न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक की करीब 60% जमा राशि की मैच्योरिटी अवधि एक से तीन साल है, इसके तीन-चौथाई से ज्यादा लोन एक ही सेक्टर-रियल एस्टेट में फोकस हैं। आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही आरबीआई (RBI) ने वित्तीय गड़बड़ियों और जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर के सभी तरह के लेन-देन पर रोक लगाए हैं।
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जानिए पूरी डिटेल
रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) में बैंक का एक्सपोजर वित्त वर्ष 2020 में 11.4% से बढ़कर उसकी लोन बुक का 35.6% तक पहुंच गया है। वित्तीय वर्ष 24 के आखिरी तक, इसका रियल एस्टेट एक्सपोजर ₹418.34 करोड़ था, जिसमें रेजिडेंशियल और कमर्शियल दोनों सेगमेंट में शामिल किया गया था। बैंक का मार्च 2024 तक सकल गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) अनुपात 7.96% था। वहीं बैंक का घाटा पिछले साल के ₹42.1 करोड़ से वित्त वर्ष 24 में कम होकर ₹22.8 करोड़ पहुंच गया, संपत्ति की गुणवत्ता पिछले तीन सालों में काफी खराब हो रही है। वित्त वर्ष 2013 में सकल एनपीए अनुपात 7.5% और वित्त वर्ष 2022 में 6.4% था। जबकि सहकारी बैंक ने वित्त वर्ष 23 में ₹10.8 लाख की धोखाधड़ी की सूचना दी थी, पिछले वर्ष ऐसी कोई घटना दर्ज नहीं की गई थी।
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बैंक पर लग गई है पाबंदी
भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने बीते साल न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक (New India Co-operative Bank) पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं, जिसमें जमाकर्ताओं द्वारा फंड को निकालने पर भी रोक शामिल है। इन प्रतिबंध के बाद भी ग्राहक अपने करंट अकाउंट, सेविंग अकाउंट या फिर किसी भी अकाउंट से पैसे नहीं निकाल सकते। साथ ही बैंक कोई नया लोन भी नहीं पास कर सकता है। न ही किसी तरह की नई डिपॉजिट स्वीकार कर सकेगा। रिजर्व बैंक का यह निर्देश 6 महीने के लिए लागू है।
इसको लेकर आरबीआई का कहना है कि बैंक की मौजूदा नकदी स्थिति को देखते हुए यह फैसला लिया गया है कि वह जमाकर्ता के बचत बैंक या चालू खातों या किसी दूसरे प्राकर से किसी भी राशि की निकासी की अनुमति न दे। बैंक कर्मचारियों के वेतन, किराए और बिजली के बिल जैसी कुछ जरूरी मदों के विषय में खर्च कर सकता है मुंबई स्थित इस बैंक के 1.3 लाख जमाकर्ताओं में 90 प्रतिशत से ज्यादा के खातों में पांच लाख रुपये तक जमा हैं।
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हैरान हैं ग्राहक
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई के इस फैसले के बाद सैकड़ों खाताधारक अपने पैसे वापस पाने के लिए बैंक ब्रांच में पहुंच रहे हैं। बता दें कि प्रति जमाकर्ता ₹5 लाख तक की ग्राहक जमा जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (DICGC) बीमा कवर के तहत सुरक्षित है। इसका मतलब होता है कि अगर भविष्य में बैंक की हालत और भी खराब होती है और इसे बंद करना पड़ेगा तो हर ग्राहक को अधिकतम 5 लाख रुपये तक ही वापस मिलेंगे।