ज़रुरत से ज्यादा ना सोचें..मुश्किल में पड़ जाएंगे..हेल्थ भी जाएगा

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Overthinkin: आजकल लोगों को एक समस्या काफी परेशान कर रही है, वह है ओवरथिंकिंग। क्या आप भी ओवरथिंकिंग करते हैं। ओवरथिंकिंग (overthinking) यानी बिना किसी कारण से किसी भी बात के बारे में काफी समय तक सोचते ही रहना और अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करना। जब हमारे शरीर को डर का एहसास होता है, तो इससे निपटने के लिए एक नेचुरल इंपल्स की तरह ओवरथिंकिंग होना शुरू हो जाती है। जब डर, चिंता, तनाव, कंफ्यूजन, इनसिक्योरिटी (Insecurity) या कुछ भी उलझन भरी स्थिति का सामना करना पड़ता है, तो ओवरथिंकिंग एक कोपिंग मैकेनिज्म (Coping Mechanism) की तरह सामने आता है।

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ओवरथिंकिंग (Overthinkin) से दिमाग में कोई बात अटक सी जाती है और हर समय घूम कर दिमाग उसी बात की चिंता सताने लगती है। आपका दिमाग इस स्थिति को सोच-सोचकर और भी बुरा बना सकता है, क्योंकि ये काल्पनिक मापदंड बना कर और भय पैदा करता है। कुछ लोग जजमेंट के डर से भी ओवरथिंकिंग करने लगते हैं।

क्या है ओवरथिंकिंग के कारण

कुछ लोग अपने काम में फेल हो चुके प्रयासों के कारण भी ओवरथिंकिंग करते हैं। कुछ लोग अनावश्यक उम्मीदों का पिटारा ले कर चलते हैं, इसलिए ओवरथिंकिंग करने लगते हैं और उम्मीदों पर खरा न उतरने के डर से हर समय स्थिति को कैसे सही करें इसी बात को लेकर सोचते रहते हैं। खुद को सुरक्षित महसूस करने के लिए हम किसी भी स्थिति या निर्णय के हर पहलू पर हजार तरीके से विचार करते हैं, जिससे हमारी सुरक्षा कहीं आड़े न आए। आज इस खबर में हम जानेंगे कैसे निपटें ओवरथिंकिंग की समस्या से-

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कैसे बचें ओवरथिंकिंग से

ओवरथिंकिंग से बचने के लिए एक मात्र तरीका यही है कि इस बात को स्वीकार कर लिया जाए कि ओवरथिंकिंग होती ही रहेगी। कोई चाहे या न चाहे दिमाग में अटकी हुई कोई बात अनावश्यक जोर ही डालेगी। जब हम इस असलियत को स्वीकार कर लेंगे, तभी इससे निपटने के हजार रास्ते भी मिलने लगेंगे।

जब इस बात का पता चल जाए कि आप ओवरथिंकिंग मोड (Overheating Mode) में जा रहे हैं, तो सबसे पहले गहरी लंबी सांस लें। इस बात से सहमत हो जाएं कि आपका दिमाग आपको सुरक्षित रखने के लिए ऐसा करता है। इसे कोई बीमारी न समझें।

हर दिन दिमाग में आ रहे 60 से 80 हजार विचारों में हर एक विचार को महत्व और स्पेस देने की जरूरत नहीं है। गहरी सांस लें और मूव ऑन करने का प्रयास करें। इस बात को समझें कि असल प्रॉब्लम इतनी बड़ी नहीं है, जितना आपका दिमाग उसे सोंच कर बड़ी बना रहा है।

जिम जाएं, योग क्लास ज्वाइन करें या मेडिटेशन करें। ये सभी आदतें दिमाग को स्वस्थ रखती हैं और अनावश्यक ओवरथिंकिंग से बचाती हैं। स्थिति कंट्रोल से बाहर जाती हुई दिखे और आपको अकेला महसूस हो, तो कुंठित हो कर डिप्रेशन में जाने की जगह साइकेट्रिस्ट (Psychiatrist) से सलाह लें।