Bihar News: बिहार में जब कोई अच्छा कार्य करता है तो उसे इनाम के बदले बाकी वो हर चीज मिल जाती है जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है और इस का ताजा उदाहरण है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) के प्रिय अधिकारी केके पाठक (KK Pathak) जिन्हें मुख्यमंत्री ने हाल ही में शिक्षा व्यवस्था सुधानरे की जिम्मेदारी दी थी लेकिन लगातार अपनी कार्यो से शिक्षा व्यवस्था तंदुरुस्त करने वाले केके पाठक (KK Pathak) अचानक से छुट्टी पर चले गए है जिसके बाद बिहार में ये चर्चा का विषय बन गया है कि क्या केके पाठक की छुट्टी कर दी गई या वो खुद ये विभाग छोड़ दिये है।
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दरअसल शिक्षा विभाग (Education Department) के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने स्वास्थ्य से जुड़े कारणों का हवाला देते हुए पहले 8 से 14 जनवरी तक की छुट्टी का ऐलान किया था, लेकिन इसे अब 16 जनवरी तक बढ़ा दिया गया जिसके बाद से सियासी हवा और तेज हो गई है। केके पाठक के छुट्टी पर जाने के बाद शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ प्रसाद उनकी जिम्मेदारी निभा रहे है।
छुट्टी की तारीखों के संदर्भ में अचानक दो दिनों की छुट्टी को बढ़ा देने से कयासों का सिलसिला फिर शुरू हो गया है। केके पाठक की छुट्टी के समय उनकी टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि 13 जनवरी को पटना के गांधी मैदान में सीएम नीतीश कुमार बीपीएससी से दूसरे चरण में चयनित शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटा जाएगा। केके पाठक को भी इस कार्यक्रम में शामिल होना था, लेकिन उनकी छुट्टी के कारण वह इसमें शामिल नहीं होंगे।
लेकिन केके पाठक के द्वारा लगातार उठाये जा रहे नए नए नियम को देखते हुए उनका विरोध भी शुरू हो गया था और शिक्षकों, शिक्षक नेताओं और राजनीतिक दलों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोला है और कुछ दिन पहले विधान पार्षदों ने राज्यपाल से मुलाकात करके उनकी हटाने की मांग की है।
वहीं दूसरी ओर जो सबसे बड़ी बात निकलकर सामने आ रही है कि केके पाठक शिक्षा माफिया की आंखों में खटक रहे थे। बिहार की पूरी कोचिंग लॉबी केके पाठक को हटाने के लिए लगातार प्लानिंग और प्लॉटिंग में जुटी हुई थी। जानकारों के मुताबिक शिक्षा विभाग में वैसे लोग, जो केके पाठक के आने के बाद अपना मतलब पूरा होता हुआ नहीं देख रहे थे। वे लोग भी केके पाठक के पीछे पड़े हुए हैं। बिहार में शिक्षा माफिया की लॉबी सबसे मजबूत मानी जाती है। केके पाठक ने आने के बाद जैसे ही 11वीं 12वीं और बाकी कक्षा के पढ़ाई का स्तर सुधारा, शिक्षा माफिया सक्रिय हो गए। जानकारों की मानें, तो बिहार में शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण सुधार और बदलाव शिक्षा माफिया नहीं चाहते हैं जिसकी वजह से ये केके पाठक का खुलकर विरोध कर रहे है।
केके पाठक के द्वारा शिक्षा सुधार के लिए उठाये गए कदम
1-केके पाठक के आदेश पर मिशन दक्ष की शुरुआत की गई है। इसके तहत 10 हजार शिक्षकों को पढ़ाई में कमजोर 50 हजार बच्चों को गोद लेना है। इसमें हाईस्कूल के दसवीं और 12वीं के सभी शिक्षकों को शामिल किया गया है।
2-बिना कोई जानकारी स्कूल से गायब रहने वाले शिक्षकों के वेतन में कटौती का भी फ़रमान जारी किया था। इसके अलावा इन शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया जा था कि आखिर वो बिना सूचना स्कूल क्यों नहीं आ रहे।
3-केके पाठक ने कुछ दिन पहले सभी नवनियु्क्त बीपीएससी शिक्षकों से कहा कि आपलोगों ने मेरिट साबित कर दिया है। अब गांव के बच्चों को आगे बढ़ाना होगा। आपलोगों को गांव में ही पढ़ाना होगा, जिन्हें गांव में पढ़ाना पसंद नहीं उनके लिए यह नौकरी नहीं है।
4-केके पाठक के आदेश पर अब स्कूल में 15 दिन से अधिक अनुपस्थित रहने पर नाम काटने के आदेश दिए गए हैं। अब तक 20 लाख से अधिक बच्चों के नाम काट दिए हैं। इस एक्शन के बाद से बच्चों में अब अनुपस्थिति कम हो गई है।
5-केके पाठक ने बिहार सरकार के सभी स्कूलों में 75 फीसदी उपस्थिति को अनिवार्य कर दिया है। इससे यह हुआ कि जो छात्र-छात्राएं बाहर रहकर कोचिंग कर रहे थे उन्होंने घर लौटना शुरू कर दिया। फिर अब स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति बढ़ने लगी है। हालांकि, कुछ जगह इसका विरोध भी देखने को मिल रहा है।