कुमार विकास, ख़बरीमीडिया
नए संसद भवन के पहले ही दिन केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा महिला आरक्षण बिल को पेश कर दिया गया है लेकिन इसपर अब सियासत भी अब शुरू हो गई है। नारी शक्ति वंदन बिल के मुद्दे पर कई विरोधी दल बीजेपी सरकार द्वारा लाई गई इस बिल के समर्थन में आ गए हैं।
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महिला आरक्षण बिल पर उत्तरप्रदेश की 2 बड़ी पार्टियां एक हो गई है और वो कोई और नहीं बल्कि 2019 का लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ने वाले अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और मायावती की बसपा है। जिन्होंने ने इस बिल का समर्थन करते हुए ओबीसी महिला आरक्षण बिल की भी मांग कर दी है।
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महिला आरक्षण को लेकर सपा-बसपा ओबीसी महिलाओं को भी रिजर्वेशन दिए जाने के मुद्दे पर एक साथ दिखाई दे रही है. सपा सांसद प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने कहा कि सपा इस बिल का समर्थन करेगी. उन्होंने कहा कि “महिला आरक्षण बिल पर हम लोगों ने हमेशा मांग की है कि पिछड़े वर्ग की महिलाएं है वो ज्यादा पढ़ी लिखी महिलाओं का मुकाबला नहीं कर सकती हैं इसलिए उनके लिए भी आरक्षण होना चाहिए, लेकिन सरकार नहीं मान रही है. हम इस बिल का विरोध इसलिए नहीं करेंगे, क्योंकि ये महिलाओं का हक है और उन्हें मिलना चाहिए.”सपा ने मुस्लिम महिलाओं के लिए भी आरक्षण की मांग की।
बसपा सुप्रीमो मायावती भी ऐसी ही मांग करते हुए दिखाई दीं. मायावती ने कहा कि हमारी पार्टी इस बिल का समर्थन करेगी, लेकिन इसमें एससी, एसटी महिलाओं के साथ ओबीसी महिलाओं को भी आरक्षण मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसे पहले से निर्धारित कोटे में शामिल नहीं किया जाना चाहिए.
गौरतलब है कि 2019 लोकसभा चुनाव में बसपा और सपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था जिसमे बसपा को 10 सीट और सपा को सिर्फ 5 सीट ही मिली थी जिसके कुछ ही महीनों बाद मायावती ने गठबंधन से दूर रहने का फैसला किया और 2022 का विधानसभा चुनाव अकेले लड़ा। आज भी जहां सभी पार्टियां किसी न किसी दल में मिलने के लिए कतार में खड़ी है तो मायावती अभी अभी भी यही कहती हुई नज़र आ रही है कि वो 2024 का लोकसभा चुनाव अकेले ही लड़ेंगी।
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