उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
Jet Airways: अगर हम आपसे कहें कि एक रुपये की क्या कीमत हो सकती है, या एक रुपया क्या कर सकता है, तो आपको जवाब होगा कुछ नहीं। लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है, एक घटना हम आपको बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे कि एक रुपया ये भी कर सकता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा लेकिन एक रुपये के चलते जेट एयरवेज तबाह हो गया।
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जेट एयरवेज, एक ऐसी एयरलाइन, जिसने भारतीय यात्रियों को कम कीमत पर हवाई यात्रा का लुत्फ दिया। बेहतर सुविधा, फ्लाइट में खाना जैसी तमाम सर्विस के मशहूर जेट एयरवेज अब संकट में है। पिछले कई साल में जेट एयरवेज ने आर्थिक संकट की जिस दहलीज पर कदम रखा, उससे वापस न लौट सकी। देश की सबसे पुरानी निजी विमानन कंपनी के हालात बद से बदतर होते चले गए। जिसके बाद कंपनी खड़ी करने वाले नरेश गोयल को चेयरमैन पद से इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन, जेट एयरवेज की बर्बादी की कहानी कहां से शुरू हुई और क्यों इतना बड़ा आर्थिक संकट उसे देखना पड़ा। आइये जानते हैं..
1 रुपए की लड़ाई में बर्बाद हुई एयरलाइन
जेट एयरवेज की बर्बादी की कहानी की शुरुआत सिर्फ एक रुपये से हुई। कभी 300 रुपये महीने की सैलरी पाने वाले जिस नरेश गोयल ने जेट एयरवेज एयरलाइन (Jet Airways Airlines) की शुरुआत की, खुद की गलती से उसे डूबो भी दिया। जेट एयरवेज की बर्बादी की कहानी साल 2015 से शुरू हुई। देश की सबसे पुरानी निजी एयरलाइंस में से एक जेट एयरवेज ने अपने प्रतिद्वंदी एयरलाइन इंडिगो (Indigo) से मुकाबला करने के लिए एक ऐसा फैसला लिया, जो कंपनी पर भारी पड़ गया।
कर्ज के फेर में फंस गई कंपनी
इंडिगो के मुकाबले जेट एयरवेज का किराया एक रुपये प्रति किलोमीटर अधिक था। इस अंतर को खत्म करने के लिए जेट एयरवेज ने अपने टिकट सस्ते कर दिए। सस्ते टिकट से कंपनी को बड़ा नुकसान हुआ। टिकट के दाम घटाने के चक्कर में कंपनी कर्ज के फेर में फंसती चली गई। इंडिगो ने जेट एयरवेज को पछाड़ने के लिए अपने ऑपरेशन्स 2.5 गुना तेज कर दिए। टिकटों पर छूट का ऑफर देना शुरू कर दिया। जेट एयरवेज पर कर्ज को बोझ बढ़ता चला गया। कंपनी किस्ते नहीं चुका पा रही थी। हालत ऐसी हो गई कि उसके पास पायलटों और कर्मचारियों को सैलरी देने के पैसे कम पड़ रहे थे।
सैलरी देने तक के पैसे नहीं
सैलरी में देरी के बाद एयरलाइन के स्टाफ ने हड़ताल की धमकी देनी शुरू कर दी। बिना पायलट और कर्मचारियों के फ्लाइट्स रद्द होने लगे। जेट एयरवेज के विमान हवाई अड्डे पर खड़े रह गए। स्थिति उस वक्त और बिगड़ने लगी जब उन्हें यात्रियों के टिकट बुकिंग के पैसे वापस करने पड़े।
कर्ज के बोझ को झेल नहीं पाई कंपनी
बची हुई कसर ईंधन के रेट्स ने पूरी कर दी। सितंबर 2017 में ईंधन की कीमतें अचानक बढ़नी शुरू हुईं । हालांकि इसका असर पूरी एविएशन इंडस्ट्री पर पड़ा, लेकिन जेट एयरवेज के लिए ये स्थिति गंभीर इसलिए हो गई, क्योंकि कर्ज के साथ-साथ उसपर खर्च का बोझ बढ़ता जा रहा था। 25 सालों तक एयरलाइन के ऑपरेशन में सफलतापूर्वक काम करने के बाद साल 2019 से कंपनी कर्ज में डूबती चली गई। अप्रैल 2019 में वित्तीय कारणों से कंपनी को बंद करना पड़ा। उसके बाद कंपनी एनसीएलटी में इन्सोल्वेंसी की प्रक्रिया से गुजरी। कंपनी को फिर से उड़ान भरने के लिए फरवरी 2022 तक का वक्त दिया गया। कंपनी को एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट मिला था, लेकिन कंपनी ने परिचालन शुरू नहीं किया।
मैं का घमंड ले डूबा
एक दौर था जब कम कीमत पर फ्लाइट टिकट ऑफर करने वाली जेट एयरवेज इतनी फेमस हो गई कि बाकी एयरलाइन को खतरा महसूस होने लगा था। नरेशन गोयल ने सिर्फ एक गलती नहीं की, बल्कि कई गलतियां की। उन्होंने जिन लोगों को हायर किया, उसपर भी भरोसा नहीं कर रहे थे। मैं का घमंड उन्हें ले डूबा। नरेश गोयल को घमंड था कि उनके मुंह से निकली हर बात सही होती है। इसी अहंकार ने उन्हें बर्बाद कर दिया।
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