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Greater Noida West: सुपरटेक इकोविलेज 1 वालों के लिए राहत भरी खबर

ग्रेटर नोएडा- वेस्ट दिल्ली NCR नोएडा
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Greater Noida West: सुपरटेक इकोविलेज वालों के लिए बड़ी खबर, पढ़िए पूरी खबर

Greater Noida West: ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सोसाइटी सुपरटेक इकोविलेज 1 सोसाइटी के लोगों के लिए बड़ी और अच्छी खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि सुपरटेक इकोविलेज 1 (Supertech Ecovillage 1) और आसपास की कई सोसाइटियों में कुछ दिन से दूषित पानी (Polluted Water) सप्लाई होने के कारण से महामारी फैलने का खतरा काफी बढ़ गया है।
सुपरटेक इकोविलेज-1 (Supertech Ecovillage 1) के निवासियों ने इस गंभीर समस्या को उजागर करते हुए कहा कि पानी के सैंपल को विभिन्न स्थानीय लैब (Lab) से जांच कराया गया, जिसमें यह पाया गया कि सप्लाई किया जा रहा पानी पीने योग्य नहीं है। एक परीक्षण रिपोर्ट में कॉलिफोर्म और ईकोलाई बैक्टीरिया (E. coli bacteria) का पता चला है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं।

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दूषित पानी सप्लाई का यह हाल सिर्फ सुपरटेक इकोविलेज वन का ही नहीं बल्कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट की तमाम सोसाइटियों में दूषित पानी सप्लाई हो रहा है। इनमें सुपरटेक इकोविलेज-1, अरिहंत आर्डेन, पंचशील हाइनिश, हवेलिया वेलेंसिया सोसाइटी प्रमुख हैं। अरिहंत आर्डेन सोसाइटी (Arihant Arden Society) में बीते एक सप्ताह से लोगों को उल्टी और पेट दर्द की समस्या हो रही है। सोसाइटी में दूषित पानी (Polluted Water) की सप्लाई हो रही है। इसके कारण से ही लोग बीमार हो रहे हैं। सोसाइटी के टावर-J के प्रतिनिधि आलोक रस्तोगी ने कहा कि एक सप्ताह से लोग उल्टी, दर्द और बुखार की शिकायतें कर रहे हैं। 2-3 परिवार ऐसे हैं, जिनके बच्चों या अन्य परिजनों की हालत ज्यादा खराब हो गई थी।

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इकोविलेज 1 में इस दूषित पानी के कारण 100 से ज्यादा लोग बीमार हो चुके हैं। जिनमें उल्टी, दस्त और पेट दर्द जैसी समस्याएं ज्यादा बढ़ गई हैं। इस मामले में सोसाइटी के निवासी जीत बहादुर सिंह ने कहा कि पानी के गुणवत्ता की जांच से यह साफ हो गया है कि यह पानी किसी भी तरह से पीने योग्य नहीं है, और इसके कारण महामारी फैलने का खतरा बढ़ गया है।

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इस गंभीर स्थिति की सूचना मिलने पर स्थानीय प्राथमिक चिकित्सा केंद्र बिसरख के सीएमओ (CMO) सचिंद्र कुमार मिश्रा, स्वास्थ अधिकारी अरविंद चौधरी और उनकी टीम ने इकोविलेज 1 का निरीक्षण किया। CMO ने सोसाइटी के चीफ फैसिलिटी मैनेजर मनु त्यागी से पानी की सप्लाई व्यवस्था (Supply System) की जानकारी ली और पाया कि पानी की गुणवत्ता में बहुत कमियां हैं। CMO ने महामारी के फैलाव को रोकने के लिए और इलाज के लिए सोसाइटी में 5 फरवरी से 25 तक एक कैंप लगाने का निर्देश दिया है।

इस बीच, सोसाइटी के निवासियों ने आरोप लगाया है कि ग्रेविटी फैसिलिटी एजेंसी, जो इकोविलेज 1 के मेंटेनेंस का काम देख रही है, ने पानी की सप्लाई व्यवस्था में गंभीर लापरवाही बरती है। निवासियों का कहना है कि पानी के मेन स्टोरेज टैंक और टॉवरों के अंदर बने अलग-अलग स्टोरेज टैंकों की स्थिति ज्यादा खराब है। इन टैंकों की सफाई कई महीनों से नहीं हुई, जिस वजह से टैंकों में कीचड़ जमा हो गया है और यही दूषित पानी निवासियों को सप्लाई किया जा रहा है।

निवासियों के इसको लेकर विरोध किया, जिसके बाद ग्रेविटी फैसिलिटी एजेंसी ने अब टैंकों की सफाई का काम शुरू कर दिया है। इस दौरान यह भी सामने आया है कि टैंकों के फर्श पर बिछी सुरक्षा टाइलें टूटी हुई हैं और गड्ढे हो गए हैं, जिनमें पानी का कीचड़ जमने लगा है। इस स्थिति से निवासियों में आक्रोश की लहर है और वे ग्रेविटी फैसिलिटी एजेंसी को हटाने की मांग कर रहे हैं।

निवासी शशि भूषण ने बताया कि इस गंभीर समस्या के शीघ्र समाधान की उम्मीद कर रहे हैं और स्वास्थ्य और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता महसूस कर रहे हैं।

लैब टेस्ट की रिपोर्ट कर रही है हैरान

सुपरटेक इकोविलेज-1 (Supertech Ecovillage-1) के निवासी जेबी सिंह ने सोसायटी के पानी का लैब टेस्ट करवाया। लैब टेस्ट (Lab Test) के बाद जो रिपोर्ट निकलकर सामने आई वो बेहद चौंकाने वाली है। रिपोर्ट के मुताबिक RO से लिए गए पानी में 5% बैक्ट्रिया जबकि बिना RO के पानी में 10% खतरनाक E-coli तथा coliform बेक्टैरिया वायसस दोनों पाए गए हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार 75 % बैक्टीरिया को RO रोक सकता है। 25 % बैक्टीरिया को RO भी रोक नही सकता । रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि ये पानी किसी भी लिहाज से सेहत के लिए ठीक नहीं है। सोसायटी का आलाम ये है कि यहां 500 से ज्यादा लोग बीमार हैं। उन्हें उल्टी-दस्त की शिकायत हो रही है। कई लोगों को तो अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। हालांकि मामले की गंभीरता को देखते हुए वाटर टैंक की सफाई करवाई जा रही है लेकिन ये कदम पहले उठाया जाता तो शायद ये नौबत नहीं आती।

पिछले साल सामने आया था ऐसा मामला

आपको बता दें कि बीते साल सितंबर में ग्रेटर नोएडा वेस्ट के ईको विलेज-2 सोसाइटी में भी ऐसा ही मामला सामने आया था। दूषित पानी पीने से 1 हजार से ज्यादा लोग बीमार हो गए थे। बीमार लोगों में बच्चे भी शामिल थे, जिनको इलाज के लिए अलग-अलग अस्पतालों में दाखिल करवाया गया था। बताया गया था कि सोसाइटी के टैंक की सफाई केमिकल से की गई थी। केमिकल टंकी से पूरी तरह साफ नहीं किया गया था। इसकी वजह से ही लोग बीमार हुए। सोसायटी के लोगों ने बाहर से पानी मंगवाकर काम चलाया था।