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Work Load: दुनिया के वो देश जहां काम के प्रेशर में लोग पड़ रहे हैं बीमार!

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Work Load: लंबे कामकाजी घंटों का बोझ दुनिया भर में लोगों की सेहत (Health) पर भारी पड़ रहा है। हालिया डेटा से पता चलता है कि कई देशों में कर्मचारी (Employee) सप्ताह में 49 घंटे से अधिक काम कर रहे हैं, जिससे बर्नआउट, तनाव और नींद की कमी जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। गांवों से लेकर शहरों के दफ्तरों तक, थकान की यह चुप्पी हर जगह सुनाई दे रही है। आइए, उन देशों पर नजर डालते हैं जहां काम का दबाव लोगों को बीमार बना रहा है।

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भूटान:- हैप्पीनेस मॉडल के बावजूद थकान

भूटान में 61% कर्मचारी हर हफ्ते 49 घंटे से अधिक काम करते हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण, कृषि और सरकारी नौकरियों में लंबे समय तक काम करना आम है। आर्थिक मजबूरी और सीमित कार्यबल के कारण कर्मचारियों पर दबाव बढ़ रहा है। भले ही भूटान का ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस मॉडल दुनिया भर में प्रशंसित हो, लेकिन वर्क-लाइफ बैलेंस की कमी के चलते कर्मचारियों की मुस्कान थकी हुई नजर आती है।

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भारत:- हर दूसरा कर्मचारी काम में डूबा

भारत (India) में लगभग आधे कामकाजी लोग सप्ताह में 49 घंटे से ज्यादा काम करते हैं। आईटी, बीपीओ और स्टार्टअप कल्चर में 10-12 घंटे की शिफ्ट आम बात है। इस लंबे कार्य समय के कारण बर्नआउट, तनाव और नींद की कमी जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। शहरी दफ्तरों से लेकर तकनीकी क्षेत्र तक, कर्मचारी लगातार काम के दबाव में जी रहे हैं।

बांग्लादेश:- गारमेंट इंडस्ट्री में मेहनत की कीमत

बांग्लादेश में 47% से अधिक कर्मचारी सप्ताह में 49 घंटे से ज्यादा काम करते हैं। विशेष रूप से रेडीमेड गारमेंट उद्योग में मजदूर 12-14 घंटे की लंबी शिफ्ट करते हैं। यहां सोशल सिक्योरिटी और कार्यस्थल सुरक्षा की कमी भी एक बड़ी समस्या है। विश्व प्रसिद्ध ब्रांड्स के कपड़े यहीं बनते हैं, लेकिन मजदूरों का पसीना अक्सर अनदेखा रह जाता है।

पाकिस्तान:- फैक्ट्री और ट्रांसपोर्ट में थकान

पाकिस्तान में 40% से अधिक कर्मचारी अत्यधिक लंबे समय तक काम करते हैं। फैक्ट्री, ट्रांसपोर्ट और मार्केटिंग उद्योगों में कर्मचारी थकाऊ शिफ्ट्स का सामना करते हैं। इन क्षेत्रों में लंबे कार्य घंटों के कारण कर्मचारियों की सेहत और निजी जीवन पर बुरा असर पड़ रहा है।

चीन:- 9-9 वर्क कल्चर का दबाव

चीन में सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक का ‘9-9’ वर्क कल्चर टेक और मैन्युफैक्चरिंग उद्योगों में युवाओं पर भारी दबाव डाल रहा है। इस अत्यधिक कार्यभार के खिलाफ युवा अब ‘टांग पिंग’ (लेट फ्लैट) आंदोलन के जरिए विरोध जता रहे हैं, जो न्यूनतम मेहनत और सादगी भरे जीवन की वकालत करता है।

तुर्की:- निर्माण और हॉस्पिटैलिटी में ओवरलोड

तुर्की दुनिया के उन टॉप 5 देशों में शामिल है जहां कर्मचारी सबसे ज्यादा काम करते हैं। निर्माण और हॉस्पिटैलिटी उद्योगों में कर्मचारी अत्यधिक कार्यभार से जूझ रहे हैं, जिससे उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत पर असर पड़ रहा है।

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काम ज़रूरी है, लेकिन ज़िंदगी उससे भी ज़्यादा

काम जरूरी है, लेकिन एक्सपर्ट का कहना है कि सुख और शांति जिंदगी की सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। लंबे कार्य घंटों का बोझ न केवल सेहत को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि परिवार और निजी जीवन को भी प्रभावित करता है। सरकारों और कंपनियों को वर्क-लाइफ बैलेंस सुनिश्चित करने के लिए नीतियां बनाने की जरूरत है जिससे कर्मचारी स्वस्थ और संतुष्ट रह सकें।