उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
Lok Sabha Elections: देश में एक बार फिर से चुनावी दौर शुरू हो गया है। चुनाव के आते ही तमाम छोटी-बड़ी पार्टियां गठबंधन के फिराक में आ जाती हैं। अभी लोकसभा चुनाव को लगभग एक साल का समय बचा हुआ है लेकन सभी पार्टियां अपनी तैयारियों में लग गयी हैं। इसी को लेकर देश के सबसे बड़े सूबे के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी गठबंधन को लेकर बड़ा बयान दिया है।
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सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान बसपा प्रमुख मायावती से गठबंधन के सवाल को लेकर बड़ी बात कही। बसपा से सपा के गठबंधन पर अखिलेश यादव ने कहा की आने वाले चुनाव में वो कोई कन्फ्यूजन नहीं चाहते हैं वो एक स्पष्ट रणनीति चाहते हैं। अगर स्पष्ट रणनीति के साथ चुनाव में जाएंगे तभी जीत मिल सकती है।
अखिलेश ने आगे कहा कि मायावती और भाजपा की रणनीति एक-दूसरे से मिलती-जुलती है। मायावती से आखिरी बार बात कब हुई थी? इस सवाल के जवाब में अखिलेश यादव ने कहा कि 2019 के चुनाव के बाद मायावती से गठबंधन टूटा था, तभी उनकी आखिरी बार बातचीत हुई थी। अखिलेश ने आगे कहा कि जब वे एक सभा के दौरान आजमगढ़ में थे, तभी उन्हें ये सूचना मिली थी।
भाजपा को हराना मकसद-अखिलेश
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सपा प्रमुख ने कहा कि गठबंधन के सभी नेता तैयार है। हमारी मीटिंग के बाद भाजपा ने 40 लोगों की मटिंग बुलाई है। ऐसे दलों को भाजपा ने बुलाया, जिनका अस्तित्व तक नहीं है। सपा से गठबंधन वाले दलों के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि हमारे साथ जितने भी दल है वो अपने-अपने राज्यों में ताकतवर हैं। किस दल को कितनी सीट दी जाएगी? इस अखिलेश ने कहा, ये मायने नहीं रखता है, उनका मकसद केवल भाजपा को हराना है। हम सीट शेयरिंग के मुद्दे पर चुनाव की तारीख आने पर करेंगे।
जहां कहें वहां से लडूंगा लोकसभा चुनाव
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा नेता जहां से बताएं वहां से लड़ लूंगा। अखिलेश यादव से जब लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, चुनाव लड़ना है या नहीं? ये तो पार्टी तय करेगी, लेकिन अगर भाजपा नेता जहाँ से कह दें वहां से चुनाव लड़ लूंगा। इससे साफ दिख रहा है कि अखिलेश चुनाव लड़ने के पूरे मूड में हैं।
कभी कम नहीं हुआ समाजवादियों का वोट
अखिलेश यादव ने कहा कि हर चुनाव में सपा का वोट बढ़ा है। सपा ने चुनाव आयोग में जितनी भी शिकायतें की, किसी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। विधानसभा चुनाव में जानबूझकर सपा समर्थकों के वोट काटे गए। मतदाता सूची से क्यों यादव और मुस्लिम के वोट काट दिए गए। सन 2019 के लोकसभा चुनाव में वोट डालने वाले हजारों मतदाताओं के नाम 2022 के विधानसभा चुनाव में काट दिए गए ऐसे 18 हजार से अधिक मतदाताओं की सूची चुनाव आयोग को दी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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