नीलम सिंह चौहान, खबरीमीडिया
Who Is The Owner Of Connaught Place: Connaught Place यानी ‘सीपी’ इसे दिल्ली का दिल भी कहा जाता है. सीपी को देश का एक मशहूर प्रतिष्ठान केंद्र भी है. ये क्या आपको ये पता है कि ये आखिरकार कैसे बसा, इसके डिज़ाइन को किसने रेडी किया, यहाँ सबसे रहने आया तो कौन आया? जैसे कई सारे सवाल आपके मन में उठते होंगें. लेकिन क्या आपको पता है कि Connaught Place का मालिक कौन है. इसे दिल्ली का दिल क्यों कहा जाता है. और जो इमारत या दुकानें यहाँ बनीं हैं उनका किराया कौन वसूलता है.यदि नहीं तो आज हम आपको बतायेंगें , इसलिए खबर को अंत तक जरूर पढ़ें.
दरअसल, कनॉट प्लेस का निर्माण ब्रिटिश शाषन के दौरान सन 1929 में शुरू हुआ था और ये केवल पांच सालों में बनकर रेडी हो गया था. तब ब्रिटिश राजघराने के सदस्य ड्यूक ऑफ कनॉट और स्ट्रेथर्न के नाम पर इसका नाम कनॉट प्लेस रखा गया था.
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किसने डिज़ाइन किया था कनॉट प्लेस (Connaught Place)
कनॉट प्लेस को एक ब्रिटिश आर्किटेक्ट रोबर्ट टोर रसेल ने डब्लयू एच निकोलस की हेल्प से इसका डिज़ाइन को रेडी किया था. इन्होने ही सीपी के मॉडल को तैयार किया था. Connaught Place को इस तरह से बनाया गया था कि ये हूबहू इंग्लॅण्ड में मौजूद भवन रॉयल क्रीसेंट और रोमन कोलोसियम की तरह नजर आए. भारत को आजादी मिलने के बाद ये धीरे-धीरे आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बनती चली गई. Connaught Place की बात करें तो ये आज दुनिया कि सबसे कॉस्टली मार्केट प्लेस में से एक माना जाता है. वहीं, यदि आप इस एरिया के किसी भी ऑफिस या दफ्तर में काम कर रहे हैं तो समझिए कि आप दुनिया के सबसे महंगे दफ्तर में काम कर रहे हैं. लेकिन इन बिल्डिंग का मालिक है कौन?
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आखिकार यहाँ का मालिक कौन है
भारत की सरकार दरअसल, यहाँ की असली मालिक है. वहीं, पुरानी दिल्ली किराया नियन्तण अधिनियम के मुताबिक, आजादी से पहले किराये पर दी गई सम्पत्तियों में आधार मूल्य से हर वर्ष 10 प्रतिसत की बढ़ोतरी होनी थी. तो सोच के देखिए कि एक मालिक जिसने 1945 में 50 रुपये में दुकान को किराये पर दिया था, उसे इस अधिनियम का पालन करना होगा और किराये को केवल 10 प्रतिसत तक बढ़ा सकता है. इसका मतलब ये हुआ कि वो केवल 100 रुपये ही किराया दे रहा होगा. 70 वर्षों के बाद भी इसमें कोई बदलाव नहीं आया.
किरायेदार हर वर्ष कमा रहे हैं इतने रूपये
किराये पर संपत्ति लेने वालों ने महंगी पिज्जा हट, स्टारबक्स, वेयरहाउस कैफ़े के जैसी कंपनी, बैंकों के दफ्तर बनाने के लिए ये जगह दे दिया है और हर महीने लाखों रुपयों की कमाई कर रहे हैं. मतलब ये हुआ कि मूल मालिक को तो बस कुछ पैसे मिल रहे हैं, वहीं दूसरी और किरायेदार करोड़ों रूपये कमा रहे हैं. जानकारी के लिए बताते चलें कि ये सारी जानकारी इंटरनेट में अवलेबल आकड़ों के अनुसार है.