Noida News: अप्रैल महीने के शुरुआत से स्कूलों में एडमिशन भी शुरू हो गया है। पैरेंट्स बच्चों के स्कूल एडमिशन किताब-कॉपी को लेकर काफी परेशान हैं। इसी बीच नोएडा (Noida) से एक चौकाने वाली खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) में पैरेंट्स एनसीईआरटी की किताबें न मिलने से परेशान हैं। जिले के सीबीएसई, सीआईएससीई और यूपी बोर्ड के स्कूलों में नये सत्र की शुरुआत हो गई है। प्राइवेट स्कूलों (Private Schools) में तीसरी से लेकर 12वीं कक्षा तक एनसीईआरटी की किताबें प्रयोग में लाने के लिए सरकार के निर्देश हैं। लेकिन बाजारों में एनसीईआरटी की किताबें (NCERT Books) उपलब्ध न होने के कारण पैरेंट्स को प्राइवेट प्रकाशन (Private Publication) की किताबें मोटे दामों पर खरीदनी पड़ रही हैं। शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन इससे अनजान बना हुआ है।
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आपको बता दें कि गौतमबुद्ध नगर जिले में माध्यमिक शिक्षा विभाग के 152, तो वहीं 300 से अधिक प्राइवेट स्कूल हैं। इनमें एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई कराई जाती है। प्राइवेट स्कूलों में नया सत्र चलने लगा है। पैरेंट्स बच्चों की पढ़ाई के लिए किताबें और अन्य चीजें खरीद रहे हैं। लेकिन एनसीईआरटी (NCERT) की तमाम विषयों की किताबें बाजारों से गायब हो गई हैं। जिन स्कूलों में यहां की किताबें लगी हैं, उनके विद्यार्थी और अभिभावक परेशान हैं।
प्राइवेट प्रकाशन से चला रहे काम
इसी मामले को लेकर एक अभिभावक ने बताया कि कि सत्र शुरू हो गया है, लेकिन बाजार में एनसीईआरटी (NCERT) की कई विषयों की किताबें नहीं आईं हैं। ज्यादातर स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें चलन में हैं। पुरानी किताबों को प्रयोग नहीं करने देते हैं। दूसरे अभिभावक ने बताया कि मेरा बच्चा छोटी क्लास में है। उसके लिए मजबूरी में प्राइवेट प्रकाशन की किताब खरीदी हैं। कॉपी, पेंसिल स्कूल से खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है।
सस्ती हैं एनसीईआरटी की किताबें
रॉयल बुक डिपो के संचालक राजेश कुमार ने जानकारी दी कि एनसीईआरटी की एक किताब 50 से 60 रुपये में मिल जाती है। वहीं प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें 300 से 400 रुपये में मिल रही हैं। तीसरी कक्षा में एनसीईआरटी की पांच किताबें 300 से 400 रुपये में मिल रही हैं। तो वहीं प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें चार से पांच हजार रुपये में मिल रही हैं। नया सत्र शुरू होते ही एनसीईआरटी की किताबों की डिमांड बढ़ जाती है। पहले के ऑर्डर और मांग के आधार पर ही किताबों को प्रिंट कराया जाता है। स्कूलों की ओर से दो-तीन माह पहले स्थिति स्पष्ट नहीं करने से हर साल परेशानी झेलनी पड़ती है।
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डॉ. धर्मवीर सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक ने कहा कि प्राइवेट स्कूलों के परिसर में किताबों को बेचने पर रोक नहीं है, लेकिन किसी भी अभिभावक को किताब लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। अभिभावक सीयूजी नंबर 9454457272 पर कॉल करके इसकी शिकायत कर सकते हैं। diosgbngamil.com पर ई-मेल भी कर सकते हैं। एनसीईआरटी की किताबें मुहैया कराने के लिए सामंजस बैठाने की दिशा में काम करेंगे।
पीक सीजन में स्कूल देते हैं ऑर्डर
इस मामले को लेकर एक किताब व्यापारी ने कहा कि बाजार और स्कूलों की ओर से दिए गए ऑर्डर पर ही एनसीईआरटी की ओर से पुस्तकों की प्रिंटिंग होती है। अधिकांश स्कूल पीक सीजन या स्कूल खुलने से पहले ही पुस्तकों का ऑर्डर देते हैं। पीक सीजन में अचानक किताबें उपलब्ध कराना संभव नहीं होता है। ऐसे ही तमाम विषयों की किताबें बाजार में कम हो जाती हैं।
सुखपाल सिंह, संस्थापक, एनसीआर अभिभावक असोसिएशन ने कहा कि एनसीईआरटी की किताब बाजार में नहीं है। अभिभावक मजबूरी में प्राइवेट प्रकाशन की बुक ले रहे हैं। हर बार स्कूलों में अप्रैल माह में सत्र शुरू होता है, लेकिन शिक्षा विभाग और एनसीईआरटी प्रबंधन इसपर ध्यान नहीं देता है। जिसका खामियाजा अभिभावक को उठाना पड़ता है। जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग ध्यान देने की जरूरत है।
जानिए क्या कहते हैं अभिभावक
अभिभावक रति गुप्ता ने कहा कि मैंने अपने बच्चे की 12वीं कक्षा की एनसीईआरटी की किताबें गाज़ियाबाद से ली हैं। यहां पर कोई किताब नहीं मिल रही है, स्कूल वाले प्राइवेट प्रकाशन की लेने के लिए बोल रहे हैं। प्राइवेट प्रकाशन की किताबें महंगी हैं। हालांकि अब स्कूल से मजबूरी कॉपी लेनी होगी, क्योंकि उनकी मोहर उस पर लगी होती है।