Vrindavan: मथुरा के बांके बिहारी मंदिर (Banke Bihari Temple) में इन दिनों भक्तों की जमकर भीड़ हो रही है। संख्या इतनी ज्यादा है कि भीड़ को संभालने में प्रशासन के हाथ-पांव फूलने लगे हैं। आपको बता दें कि बांके बिहारी मंदिर के लिए 2 महिलाएं जा रही थीं। वीकेंड (Weekend) के चलते मंदिर से ढाई किलोमीटर तक श्रद्धालुओं की लंभी लाइन लगी हुई थी। इसी भीड़ में दोनों महिलाएं पैदल चल रहीं थीं। वो चलते-चलते थक गईं और बेहोश होकर गिर गईं। दोनों महिलाओं को अस्पताल ले जाया गया। जहां दोनों महिलाओं ने दम तोड़ दिया।
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महिलाओं की मौत की खबर मिलते ही कई समाचार एजेंसी मौके पर पहुंची और रूट का रियलिटी भी चेक की। एक न्यूज एजेंसी का रिपोर्ट मंदिर से 3 किलोमीटर पहले पहुंचा। फिर आम श्रद्धालु की तरह यहां से यात्रा शुरू की।
रास्ते में बहुत ज्यादा थी, ज्यादातर श्रद्धालु पैदल, कुछ ई-रिक्शा तो कुछ बाइक से मंदिर की तरफ जा रहे थे। मंदिर से 500 मीटर पहले गाड़ियों को रोक दिया जा रहा था। यहां से आगे भीड़ इतनी रही कि लोग एक-दूसरे को धक्का देते हुए आगे बढ़ रहे थे। कई लोग हांफते हुए भीड़ से निकलने की जद्दोजहद करते दिखे। मगर वो बाहर नहीं निकल सके। रिपोर्टर को बांके बिहारी पहुंचने में और दर्शन करने में 8 घंटे का लंबा समय लग गया।
जिला संयुक्त चिकित्सालय तिराहा से यात्रा
रिपोर्टर सबसे पहले एक्सप्रेस-वे और मथुरा (Mathura) से आने वाले रास्ते जिला संयुक्त चिकित्सालय तिराहा पर पहुंचा। यहां कई तरफ से श्रद्धालु आ रहे थे, फिर बांके बिहारी की ओर बढ़ते हैं। तिराहे से बांके बिहारी मंदिर की दूरी लगभग 3 किलोमीटर के आस पास है। ये 3 किमी की दूरी तय करने और दर्शन कर मंदिर से बाहर निकलने में करीब 7-8 घंटे लग गए।
जिला संयुक्त चिकित्सालय तिराहे (District Joint Hospital Tirahe) के आसपास लगे जाम से करीब 500 मीटर का सफर 40 मिनट में पूरा हुआ। जाम इतना कि वाहनों के पहिए थमे रहे। इसके आगे 4 पहिया और भारी वाहनों की एंट्री बैन है। रिपोर्टर आगे ढाई किलोमीटर का सफर बाइक से तय कर विद्यापीठ चौराहे पहुंचा। विद्यापीठ चौराहे पर हालात कुछ जिला संयुक्त चिकित्सालय तिराहा जैसा ही था। बस फर्क इता था कि वहां वाहनों का जाम था और यहां श्रद्धालुओं का। अगर आपात स्थिति में शहर से बाहर निकलना पड़े तो शायद ही कोई निकल पाता इतनी ज्यादा भीड़ थी।
मंदिर के गेट से 500 मीटर पहंचने में लगे 3 घंटे
विद्यापीठ से बांके बिहारी मंदिर की तरफ जाने वाले मुख्य रास्ते पर रिपोर्टर पहुंचा। यहां से मंदिर की मात्र 500 मीटर है। चौराहा पर तैनात पुलिसकर्मी भीड़ को लाइन से भेजने की कोशिश कर रहे थे। आगे बढ़े तो रेलिंग लगी दिखाई दी। लेकिन, भीड़ इतनी कि जितने लोग रेलिंग में थे, उससे ज्यादा कहीं रेलिंग से बाहर थे।
यही हालत जुगल घाट और गौतम पाड़ा से आने वाले रास्ते पर भी थे। बांके बिहारी मंदिर जाने के लिए एक रास्ते पर लाइन करीब 2 किलोमीटर लंबी थी। वहीं दो अन्य रास्तों पर आधा किलोमीटर तक श्रद्धालु लाइन में लगे रहे। लाइन में लगे श्रद्धालुओं को मंदिर तक पैदल पहुंचने में 3 घंटे का समय लग गया।
मंदिर में एक-दूसरे को ढकेलते रहे लोग
किसी तरह भारी भीड़ के साथ मंदिर में गेट नंबर-2 से रिपोर्टर को एंट्री मिली, लेकिन मंदिर परिसर में स्थिति बाहर से भी ज्यादा खतरनाक थी। मंदिर में भीड़ एक-दूसरे को ढकेलती रही। धक्का मुक्की के बीच कौन-कब गर्भगृह पहुंच गया, पता ही नहीं चला।
अंदर पहुंचे भगवान बांके बिहारी की एक झलक मिली और गेट नंबर-1 से रिपोर्टर बाहर आ आए। यहां से पुलिसकर्मी दूसरे रास्ते से बाहर भेज रहे थे। करीब 800 मीटर गलियों में घूमने के बाद रिपोर्टर परिक्रमा मार्ग पहुंचे। यहां जगह ज्यादा होने से कुछ राहत थी।
निधिवन और रंगनाथ मंदिर में भी अपार भीड़
बांके बिहारी मंदिर में ही नहीं इनके साथ ही निधिवन राज मंदिर (Nidhivan Raj Temple) में भी स्थिति बेकाबू रही। यहां भीड़ का आलम बांके बिहारी मंदिर से कम नहीं था। यहां स्थिति यह हो गई कि मंदिर के पुजारी को दो बार मेन गेट बंद करने पड़े। भीड़ का आलम रंगनाथ मंदिर में भी दिखा। जबकि निधिवन और रंगनाथ मंदिर काफी बड़े क्षेत्र में फैले हैं।
नए साल तक रहेंगे ऐसे ही हालात
मथुरा, वृंदावन,गोवर्धन और बरसाना में भीड़ की यह स्थिति अब से नए साल तक ऐसे ही रहने वाली है। यहां 30 दिसंबर से 1 जनवरी तक भारी भीड़ के आने की उम्मीद है। जानकार बताते हैं कि इस बार पिछले वर्षों के रिकॉर्ड टूटेंगे। इस बार 20 लाख से ज्यादा लोग धार्मिक पर्यटन मनाने यहां आ सकते हैं।