Uttarakhand: उत्तराखंड के लिए विशेष आर्थिक सहयोग जरूरी, CM धामी ने वित्त आयोग को दी अहम जानकारी
Uttarakhand News: उत्तराखंड के लोगों के लिए बड़ी और अहम खबर है। आपको बता दें कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) की अध्यक्षता में 16वें वित्त आयोग की बैठक हुई। 16वें वित्त आयोग की बैठक (16th Finance Commission Meeting) में अगले 5 सालों के लिए राज्यों को मिलने वाले अनुदान और करों में हिस्सेदारी तय करने के लिए धामी सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक हुई। वित्त आयोग की टीम के सामने प्रदेश सरकार की ओर से एक प्रेजेंटेशन भी दिया गया। सीएम पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में राज्य सरकार ने वित्त आयोग के समक्ष अपने प्रस्ताव रखे। इसके बाद वित्त आयोग (Finance Commission) नगर निकाय, पंचायत प्रतिनिधियों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ भी बैठक करेगी।
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सीएम धामी (CM Dhami) सोमवार को राज्य सचिवालय में आयोग के अध्यक्ष डॉ.अरविंद पनगढ़िया और दूसरे सदस्यों के साथ बैठक में राज्य का पक्ष रखे। उन्होंने राज्य की वित्तीय परिस्थितियों, चुनौतियों एवं विकास की आवश्यकताओं पर विस्तार से रोशनी डाली। सीएम ने आयोग के सदस्य ऐनी जॉर्ज मैथ्यू, डॉ.मनोज पांडा, डॉ.सौम्या कांति घोष, सचिव ऋत्विक पाण्डेय, संयुक्त सचिव केके मिश्रा का स्वागत किया। सचिव वित्त दिलीप जावलकर ने राज्य की विभिन्न चुनौतियों पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। इस दौरान डॉ.पनगढ़िया ने कहा कि जिन चुनौतियों का सामना उत्तराखंड (Uttarakhand) समेत दूसरे पर्वतीय राज्य कर रहे हैं, उनके समाधान के लिए व्यापक स्तर पर विचार विमर्श होगा। बैठक में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, एल. फैनई, आर.मीनाक्षी सुंदरम, सचिव और अपर सचिव उपस्थित थे।
जल विद्युत परियोजनाओं की क्षतिपूर्ति का मैकेनिज्म बनाया जाए
मुख्यमंत्री धामी (CM Dhami) ने बैठक में कहा कि गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करने के बाद लागू होने वाले नियमों के कारण उत्तराखंड में जल विद्युत उत्पादन की संभावनाएं सीमित हो गई हैं। जल विद्युत क्षेत्र, विभिन्न वजहों से आर्थिकी में बहुत कम योगदान कर रहा है, जिससे राजस्व के साथ-साथ रोजगार की भी भारी क्षति हो रही है। उन्होंने प्रभावित परियोजनाओं की क्षतिपूर्ति की राशि और संबंधित मैकेनिज्म निर्धारित करने का इस दौरान अनुरोध किया।
फ्लोटिंग पापुलेशन की अवस्थापना के लिए मिले विशेष सहायता
सीएम ने आगे कहा कि उत्तराखंड निरंतर आने वाली आबादी (फ्लोटिंग पापुलेशन) के कारण परिवहन, पेयजल, स्वास्थ्य, कचरा प्रबंधन और दूसरी सेवाओं के लिए अतिरिक्त अवस्थापना विकसित करनी पड़ती है। इसलिए जटिल भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से उत्तराखंड में इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में ज्यादा लागत को ध्यान में रखते हुए विशेष सहायता प्रदान की जाए।

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आपदा राहत एवं पुनर्वास के लिए आर्थिक सहयोग जरूरी
उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड राज्य भूकंप, भूस्खलन, बादल फटने और हिमस्खलन जैसी तमाम प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यंत संवेदनशील है। इन आपदाओं से प्रभावी ढंग से बचने के लिए लगातार आर्थिक सहायता की जरूरत है।
सीएम धामी ने कर-हस्तांतरण के तहत राज्यों के बीच हिस्सेदारी के मानदंडों में राजकोषीय अनुशासन को भी डिवोल्यूशन फॉर्मूले में एक घटक के रूप में शामिल करने की वकालत की। उन्होंने कहा कि राजस्व घाटा अनुदान के स्थान पर राजस्व आवश्यकता अनुदान लागू करना युक्तिसंगत रहेगा। प्रदेश की भौगोलिक संरचना के कारण पूंजीगत खर्च तथा अनुरक्षण लागत दोनों ही अधिक होते हैं। राज्य में क्रेडिट-डिपॉजिट अनुपात भी कम है।
वन संरक्षण में होता है ज्यादा खर्च
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने आगे कहा कि उत्तराखंड के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 70 प्रतिशत से ज्यादा भाग वनों से आच्छादित होने के कारण वनों के संरक्षण के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ता है। वन क्षेत्र में किसी अन्य विकास गतिविधि पर रोक के कारण ईको सर्विस लागत भी चुकानी पड़ती है।
पहाड़ के लिए करनी पड़ती है विशेष बजट की व्यवस्था
मुख्यमंत्री ने बैठक में बताया कि साल 2010 में औद्योगिक रियायत पैकेज के खत्म होने बाद राज्य को आवंटन संबंधी नुकसान की भरपाई करने में कठिनाई आ रही है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों और दूसरे व्यावहारिक समस्याओं के कारण उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्राइवेट क्षेत्र की भागीदारी अत्यंत सीमित है। इस कारण इन क्षेत्रों के लिए विशेष बजट प्रावधान करने पड़ते हैं।
जल संरक्षण के लिए विशेष अनुदान की मांग
सीएम ने जल संरक्षण के लिए विशेष अनुदान पर भी विचार करने का वित्त विभाग से अनुरोध किया। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने उत्तराखंड को प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से अत्यंत संवेदनशील राज्य बताया। साथ ही कहा कि इन आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपटने और राहत तथा पुनर्वास कार्यों के लिए राज्य को सतत आर्थिक सहयोग की आवश्यकता होती है। उन्हों जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए स्थापित सारा और आम नागरिकों की सहभागिता के लिए भागीरथ एप की जानकारी दी।

