UP Weather: उत्तर भारत में गर्मी फिर से अपना असर दिखाना शुरू कर दी है। अभी गर्मी से राहत मिलने की कोई खबर सामने नहीं आ रही है। मौसम विभाग (IMD) ने अगले तीन दिन यानि 17 से 19 मई के बीच प्रदेश में कई स्थानों पर लू चलने की चेतावनी जारी कर दी है। लू चलने से दिन के तापमान में बढ़ोतरी भी होगी। आंचलिक मौसम विज्ञान केन्द्र से प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस लू और तपन से 21 मई से पूर्वी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के जनजीवन को कुछ राहत मिलने के आसार बन रहे हैं। 17 मई से हिमालयी क्षेत्र में एक नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो सकता है जो आगे चलकर 21 मई से पूर्वी उत्तर प्रदेश में बारिश और गरज चमक के साथ बौछारें करा सकता है।
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बुधवार को यूपी (UP) के ज्यादातक स्थानों पर दिन का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा। कानपुर (Kanpur) में दिन में पारा 43 डिग्री, कन्नौज में 42 सेल्सियस रिकार्ड किया गया। वहीं आगरा और फिरोजाबाद में 44 डिग्री रहा। प्रदेश में सर्वाधिक गर्म स्थान मथुरा रहा जहां अधिकतम पारा 44.7 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।
यूपी के अलावा बिहार,राजस्थान, पंजाब (Punjab) और हरियाणा में भी तापमान बढ़ने और लू चलने के आसार दिखाई दे रहे हैं।
हालांकि दक्षिण और पूर्वी भारत के कई राज्यों में बारिश होने का मौसम विभाग ने आसार बताया है। अगले चार दिनों के दौरान, उत्तर-पश्चिम और पूर्वी भारत के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान में लगभग 3-4 डिग्री सेल्सियस, मध्य भारत और गुजरात में अगले चार-पांच दिनों के दौरान लगभग दो-चार डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो सकती है।
लू से सर्वाधिक मौतें भारत में
लू के कारण पूरी दुनिया में हर साल 1.53 लाख से अधिक मौतें होती हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 20 फीसदी मौतें भारत देश में ही होती हैं। एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। पिछले 30 सालों से अधिक के आंकड़ों के आधार पर यह अध्ययन किया गया। भारत के बाद चीन और रूस दूसरे और तीसरे स्थान पर है, जिनमें से प्रत्येक में क्रमश: लगभग 14 फीसदी और आठ फीसदी मौतें भीषण गर्मी से जुड़ी होती हैं। मोनाश विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में जानकारी सामने आई है कि लू से जुड़ी मौतें गर्मी से संबंधित सभी मौतों का लगभग एक तिहाई और वैश्विक स्तर पर कुल मौतों का एक प्रतिशत है।
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जलवायु परिवर्तन है भयंकर गर्मी का कारण
जलवायु वैज्ञानिकों ने मौसम के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि बीते अप्रैल में जिस तरह गर्मी पड़ी, उसके पीछे जलवायु परिवर्तन बड़ा कारण है। इसी प्रकार की भीषण गर्मी का सामना प्रत्येक 30 साल में एक बार करना पड़ सकता है और जलवायु परिवर्तन के कारण पहले से ही इसकी संभावना लगभग 45 गुना अधिक हो गई है।
वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन समूह नामक वैज्ञानिकों की टीम ने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन के कारण प्रचंड लू पूरे एशिया में गरीबी में रहने वाले लोगों के जीवन को और अधिक मुश्किल बना रही है।