Jayant Chaudhary: राजनीति में कहते हैं कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और बिहार (Bihar) के रास्ते से ही होकर जाता है और भारतीय जनता पार्टी (BJP) उसे मंजिल को पूरी करने के लिए पहले बिहार में अपने पुराने साथी नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को एक बार फिर अपने साथ लाई है तो वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में 80 में 80 सीट जीतने के इरादे से निकली बीजेपी अपने कुनबे में ओमप्रकाश राजभर, अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) के साथ पिछले 2 चुनाव में अखिलेश यादव के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाले राष्ट्रीय लोकदल (RLD) प्रमुख जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) को अपने पाले में लाने की पूरी तैयारी कर चुकी हैं और जयंत चौधरी बहुत जल्द एनडीए का हिस्सा हो जाएंगे।
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में यूसीसी बिल पास होने पर कैसे मना जश्न..देखिए वीडियो
जयंत चौधरी का वर्चस्व आज भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी बड़ा है और भारतीय जनता पार्टी इसी बात को ध्यान में रखते हुए पश्चिमी यूपी के वोटरों को अपने तरफ लाने के लिए जयंत चौधरी को अपने पाले में लाने की कोशिश में है ताकि जो 80/80 का लक्ष्य है उसे आसानी से पूरा किया जा सके।
जयंत के एनडीए (NDA) में शामिल होने से सबसे बड़ा झटका INDI गठबंधन को लगेगा क्योंकि INDI गठबंधन की नींव रखने वाले नीतीश कुमार पहले ही साथ छोड़ चुके हैं और अब यूपी जैसे बड़े राज्य में जयंत चौधरी का गठबंधन से अलग होना किसी सदमे से कम नहीं होगा। सियासी जानकारों की मानें तो समाजवादी पार्टी की ओर से राष्ट्रीय लोकदल को दी गईं सात लोकसभा की सीटों पर सहमति नहीं बनी है जो अलग होने का मुख्य कारण बन रही है। वहीं सूत्रों के हवाले से जो खबर सामने आ रही है उसके अनुसार बीजेपी ने जयंत चौधरी को 4 लोकसभा सीट और 1 राज्यसभा की सीट देने का ऑफर दिया है, तब से आरएलडी की ओर से ना तो खंडन आया है और ना ही आधिकारिक बयान आया है। अब खबर है जयंत चौधरी सपा नेता के फोन नहीं उठा रहे हैं।
जयंत चौधरी और अखिलेश यादव का साथ पांच साल पुराना है। दोनों मिलकर पहले लोकसभा और फिर विधानसभा का चुनाव साथ लड़ चुके हैं। अगला लोकसभा चुनाव भी साथ लड़ने का वादा था। दोनों पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा भी हो गया था। समाजवादी पार्टी ने आरएलडी के लिए सात सीटें छोड़ने की घोषणा की थी। ये बात अलग है कि ये सात सीटें कौन हैं इसका एलान नहीं हुआ। लेकिन ऐसा लगता है कि अब जयंत चौधरी और अखिलेश यादव के रास्ते अलग अलग हैं। ऐसा भी हो सकता है कि समाजवादी पार्टी और आरएलडी के नेता एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ते नजर आये।
सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय लोकदल और भाजपा के बीच बहुत कुछ तय हो चुका है। सीटों के समझौते से लेकर सभी सियासी समीकरण और राजनीतिक गुणा गणित भी लगाई जा चुकी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल के नेताओं में चर्चा इस बात की हो रही है कि छपरौली में चौधरी अजीत सिंह की प्रतिमा अनावरण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरकत कर सकते हैं। दरअसल इस प्रतिमा का अनावरण 12 फरवरी को होना था, लेकिन बाद में इसे टाल दिया गया। जानकारों के मुताबिक प्रतिमा अनावरण के टाले जाने की प्रमुख वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों अनावरण की तैयारी है। सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चौधरी अजीत सिंह की प्रतिमा का अनावरण कर सकते हैं। ऐसी दशा में न सिर्फ राष्ट्रीय लोकदल, बल्कि भाजपा भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मजबूत सियासी दांव खेलकर आगे बढ़ने की तैयारी कर रही है और दावा यही किया जा रहा है कि जयंत चौधरी प्रतिमा अनावरण से पहले एनडीए का हिस्सा हो जाएंगे।
RLD को इतनी सीट दे सकती है BJP
जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी ने लोकसभा चुनाव के लिए 4 सीटें मांगी हैं, जबकि बीजेपी ने दो सीट का ऑफर दिया है। इसके पीछे बीजेपी का तर्क है कि 2019 में आरएलडी ने सपा-बीएसपी गठबंधन में सिर्फ तीन सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें मथुरा, बागपत और मुजफ्फरनगर शामिल थे। लिहाजा, माना जा रहा है कि 2+1 सीट शेयरिंग के मुद्दे पर बात बन सकती है। RLD को लोकसभा की 2 और राज्यसभा की 1 सीट भाजपा दे सकती है।