क्या आप कभी सोच सकते हैं कि सिर्फ आइसक्रीम खाने से तीन बच्चों की मौत हो जाएगी। लेकिन ये सच है। राजस्थान के नागौर तीन बच्चों की जान नकली-जहरीली आइसक्रीम खाने से हो गई। मरने वाले बच्चों में 13 साल की सरिता, 7 साल का रूपाराम और 4 साल की लक्ष्मी शामिल हैं। शुरुआत में मौत की वजह लू बताई गई, बाद में पता चला कि बच्चों की जान नकली-जहरीली आइसक्रीम खाने से हुई थी।
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क्या है पूरा मामला ?
आइसक्रीम खाने से बच्चों की मौत कैसे हुई?
बच्चों ने जो कुल्फी और आइसक्रीम खाई, वो लोकल फैक्ट्रियों की बनी हुई थी। दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक जब टीम ने इस फैक्ट्रियों का पता लगाया। तब सच सामने आया।
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इन फैक्ट्रियों में जिस दूध से आइसक्रीम बनाई जाती है, उसमें से कीचड़ जैसी बदबू आ रही थी और उस पर मक्खियां भिनभिना रही थीं। आइसक्रीम-कुल्फी बनाने के लिए एक्सपायरी डेट वाला सालों पुराना रंग और फ्लेवर डाल रहे थे। जिस बाल्टी में मिक्सचर डाल रहे थे, वो कचरे की बाल्टी लग रही थी।
असली और नकली की पहचान कैसे करें?
हर साल लाखों लोग सिर्फ मिलावटी चीजें खाने से बीमार पड़ते हैं।
भारत सरकार ने फूड सेफ्टी और क्वालिटी से जुड़े कई मानक तय किए गए हैं। सरकार ने सामान की क्वालिटी तय करने के लिए उन पर कुछ स्पेशल चिह्न या मुहर लगाई हैं।
आइसक्रीम या किसी भी प्रकार के सामान को खरीदते समय इन फूड प्रॉडक्ट्स की पैकिंग पर FSSAI और IS के टैग्स होते हैं जो इसके शुद्ध होने की पहचान बताते हैं।
आइसक्रीम खरीदते समय यह जरूर देखें कि उसके डिब्बे या पैकेट पर IS 2802 मार्क हो। यह कोड आइसक्रीम कंपनियों को ब्यूरो ऑफ सर्टिफिकेशन देता है। जोकि आइसक्रीम के शुद्ध होने का प्रमाण देता है।
आइसक्रीम खरीदते समय ये बातें याद रखिए
- आइसक्रीम खरीदते समय ध्यान से लेबल पढ़ें। लेबल में लिखे गए आइसक्रीम की क्वालिटी से जुड़ी डिटेल में उसके रंग और फ्लेवर का कंटेंट आइसक्रीम के कुल वजन के 5% हिस्से से कम होना चाहिए।
- वनीला फ्लेवर वाली सफेद आइसक्रीम या बेसिक आइसक्रीम, कॉफी, मैपल और कैरेमल आइसक्रीम की वैराइटीज को प्लेन आइसक्रीम में गिना जाता है। प्लेन आइसक्रीम खरीदते समय जहां 5% का यह फॉर्मूला ध्यान में रखा जाता चाहिए वहीं, फ्लेवर्ड आइसक्रीम में शक्कर और कलर आदि की मात्रा कम ज्यादा हो सकती है।
- चॉकलेट आइसक्रीम खरीदते समय देखें कि उसमें चॉकलेट या कोको पाउडर की मात्रा 3-4% है या नहीं। इससे, कम मात्रा में कोको पाउडर होने पर वह खराब क्वालिटी की आइसक्रीम मानी जाती है। स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें आर्टिफिशियल फ्लेवर्स का प्रयोग किया जा सकता है।