Bulandshahr News: यूपी का ये शहर दिल्ली से दोगुना बड़ा होगा और नोएडा से 15 गुना बड़ा होगा। उत्तर प्रदेश (Up) सरकार ने बुलंदशहर-खुर्जा (Bulandshahr-Khurja) प्राधिकरण के 55 गांवों को यमुना प्राधिकरण में जोड़ा है। वर्तमान में 1242 गांव इस प्राधिकरण के अधीन हैं। यहां निवेश का बेहतर मौका भी हैं। पढ़िए पूरी खबर…
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प्रदेश सरकार ने बुलंदशहर जिले के 55 गांवों को यमुना प्राधिकरण (Yamuna Authority) में अधिसूचित कर दिया है। यह गांव खुर्जा और सिकंदराबाद के हैं। इन गांवों के शामिल होने से यमुना प्राधिकरण में अधिसूचित गांवों की संख्या 1242 हो गई है। इसके साथ ही यमुना प्राधिकरण क्षेत्र का दिल्ली हावड़ा रेल मार्ग, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और न्यू नोएडा तक विस्तार हो गया है।
यमुना सिटी नामक एक नया औद्योगिक शहर (New Industrial Town) यमुना प्राधिकरण द्वारा बनाया जा रहा है। इसका क्षेत्रफल 3000 वर्ग किलोमीटर होगा, जबकि राष्ट्रीय राजधानी 1484 वर्ग किलोमीटर है। यह आकार में दिल्ली से दोगुना होगा। यमुना सिटी गुड़गांव और नोएडा से 4 गुना बड़ी होगी। नोएडा का क्षेत्रफल 203 वर्ग मीटर है, जबकि गुड़गांव 732 वर्ग मीटर है। साथ ही, इसका आकार सिर्फ 380 वर्ग किलोमीटर होने के कारण यह फरीदाबाद से 16 गुना बड़ा होगा और ग्रेटर नोएडा से 8 गुना बड़ा होगा।
यह देश का पहला एयरोट्रोपोलिस होगा
यूपी सरकार बुलंदशहर (Bulandshahr), अलीगढ़, हाथरस, मथुरा और आगरा के गांवों को मिलाकर यमुना सिटी बनाएगी। यहां नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी बनाया जाएगा। यह देश का पहला एयरोट्रोपोलिस होगा। इसके अलावा, शिक्षा, मेडिकल टूरिज्म, फिल्म मेकिंग, लॉजिस्टिक्स, टॉय-मेकिंग, आईटी और लॉजिस्टिक्स से जुड़ी गतिविधियां भी होंगी, जो इस शहर को आर्थिक महाशक्ति बनाएंगी। यमुना सिटी के 3 शहरी केंद्र होंगे। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना सिटी। इस शहर में एक विस्तृत सार्वजनिक परिवहन प्रणाली भी होगी।
1242 हुए अधिसूचित गांव
यमुना प्राधिकरण (Yamuna Authority) में 6 जिले के अभी तक 1187 गांव अधिसूचित थे, इसका क्षेत्रफल 268862 हेक्टेयर है, लेकिन बुलंदशहर जिले के 55 गांव शामिल होने के बाद इनकी संख्या बढ़कर 1242 हो गई है। खुर्जा के 13 व सिकंदराबाद तहसील के 42 गांव शामिल होने से क्षेत्रफल भी गया है। प्राधिकरण में बुलंदशहर के अधिसूचित गांव की संख्या भी 40 से बढ़कर 95 हो गई है।
2050 तक इस शहर का काम पूरा करने का लक्ष्य
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का यह प्रोजेक्ट कई मामलों में खास होगा। इसे पॉल्यूशन से मुक्त करने के लिए उसमें कोई सिग्नल नहीं होगा। ऊर्जा के मामले में यह शहर आत्मनिर्भर होगा। इससे स्थानीय पर्यावरण के संरक्षण में भी मदद मिलेगी। 2050 तक इस शहर का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
आपको बता दें कि एयरोट्रोपोलिस (Aerotropolis) एक महानगरीय उपसमूह होता है। इसका बुनियादी ढांचा, भूमि उपयोग और अर्थव्यवस्था एक हवाइ अड्डे पर केंद्रित होते हैं। इसका मतलब यह होता है कि एयरपोर्ट और उसके साथ संचालित होने वाली तमाम गतिविधियां एयरोट्रोपोलिस का हिस्सा होती हैं।