उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
Subrata Roy: देश के जाने माने बिजनेस मैन और सहारा ग्रुप (Sahara Group) के मालिक सुब्रत रॉय (Subrata Roy) का गुरुवार को अंतिम संस्कार किया गया। सुब्रत रॉय के पोते ने उन्हें मुखाग्नि दी। हालांकि, इस दौरान उनके दोनों बेटे अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए। उनके पार्थिव शरीर को लखनऊ (Lucknow) के भैंसाकुंड लाया गया था, जहां उनके पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी गई। इससे पहले उनकी अंतिम यात्रा सहारा शहर से बैकुंठधाम पहुंची, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव, राज बब्बर, कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी सहित हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे।
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सुब्रत के दोनों बेटे क्यों नहीं पहुंचे अंतिम संस्कार में?
सुब्रत रॉय गुरुवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। उनका अंतिम संस्कार उनके पोते ने किया। उनके अंतिम संस्कार में उनके दोनों बेटे शामिल नहीं हुए जिसे लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे। सुब्रत की पत्नी स्वप्ना रॉय और दोनो बेटे सीमांतो और सुशांतो मेसेडोनिया में रहते हैं। सेबी और अन्य वित्तीय एजेंसियों की नजर उनके बेटों पर हैं इसलिए उनके दोनों बेटे भारत नहीं आए। सुब्रत की पत्नी अपने पोते के साथ भारत आई और उन्हें मुखाग्नि दी। सुब्रत की पत्नी और उनके दोनों बेटों के पास मेसेडोनिया की नागरकिता है। इससे एक दिन पहले बुधवार को उनका पार्थिव शरीर लखनऊ के गोमती नगर में स्थित उनके विला सहारा शहर लाया गया था, जहां अंतिम दर्शन के लिए काफी संख्या में लोग पहुंचे थे।
आपको बता दें कि सुब्रत रॉय का मंगलवार को मुंबई के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वे 75 साल के थे। रॉय काफी दिनों से गंभीर रूप से बीमार थे और उनका एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। सुब्रत के परिवार में पत्नी स्वप्ना रॉय और दो बेटे सुशांती रॉय और सीमांतो रॉय हैं।
बिहार के अररिया जिले में हुआ था जन्म
कंपनी के द्वारा जारी किए गए बयान के अनुसार रॉय का कार्डियोरेस्पिरेटरी अरेस्ट के कारण निधन हुआ है। सहारा प्रमुख का जन्म 10 जून, 1948 को बिहार के अररिया जिले में हुआ था। उन्होंने कोलकाता में शुरुआती पढ़ाई पूरी की। उसके बाद गोरखपुर के एक सरकारी कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। सुब्रत रॉय ने अपना पहला कारोबार गोरखपुर से ही शुरू किया था।
चिटफंड कंपनी का किया था अधिग्रहण
रॉय के जीवन की यात्रा गोरखपुर के सरकारी तकनीकी संस्थान से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा के साथ प्रारंभ हुई थी। साल 1976 में संघर्षरत चिटफंड कंपनी सहारा फाइनेंस का अधिग्रहण करने से पहले उन्होंने गोरखपुर में व्यवसाय में कदम रखाथ। 1978 तक उन्होंने इसे सहारा इंडिया परिवार में बदल दिया, जो आगे चलकर भारत के सबसे बड़े बिजनेस ग्रुप्स में से एक बन गया।
लंदन-अमेरिका में अधिग्रहित की थी संपत्तियां
रॉय के नेतृत्व में सहारा ने कई व्यवसायों में विस्तार किया। समूह ने 1992 में हिंदी भाषा का समाचार पत्र राष्ट्रीय सहारा लॉन्च किया। 1990 के दशक के अंत में पुणे के पास महत्वाकांक्षी एम्बी वैली सिटी परियोजना शुरू की और सहारा टीवी के साथ टेलीविजन क्षेत्र में प्रवेश किया, जिसे बाद में सहारा वन नाम दिया गया। 2000 के दशक में सहारा ने लंदन के ग्रोसवेनर हाउस होटल और न्यूयॉर्क शहर के प्लाजा होटल जैसी प्रतिष्ठित संपत्तियों को लेकर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं।