पैरेंट्स ना लें टेंशन..चुपके से फीस बढ़ाने वाले स्कूलों पर होगा ऐक्शन

एजुकेशन
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नए अकैडमिक सेशन की शुरुआत हो चुकी है। बच्चे जोश से भरे हैं। लेकिन पैरेंट्स की टेंशन बढ़ गई है। क्योंकि वो फीस के नए बोझ से परेशान हैं। वहीं प्राइवेट स्कूलों का कहना है कि फीस जरूरत और नियम के हिसाब से बढ़ाई गई है।

हालांकि, शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों के मुताबिक, नए सेशन की फीस बढ़ाने के लिए स्कूलों से अभी प्रस्ताव मांगे गए हैं और इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है, ऐसे में नए सेशन की फीस बिना शिक्षा निदेशक की अनुमति के नहीं बढ़ाई जा सकती है। सिर्फ वही स्कूल फीस बढ़ा सकते हैं, जिनके पिछले फीस वृद्धि के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।

क्या कहता है कानून ?

इस पूरे मामले पर ऑल नोएडा स्कूल पैरेंट्स एसोसिएशन(ANSPA) के महासचिव के अरुणाचलम का कहना है कि 2018 Fee Regulatory Act के अंतर्गत कोई भी स्कूल ज्यादा से ज्यादा 8% फीस बढ़ा सकता है। जिसमें 5 फीसदी फीस और 3 फीसदी CPI(Cumulative price index) लेकिन स्कूल को फीस बढ़ाने का ब्योरा और शिक्षकों की सैलरी का पूरा ब्योरा अप्रैल में नया सेशन शुरू होने से 90 दिन पहले वेबसाइट पर अपलोड करना होता है। यानी जनवरी में ही डिटेल वेबसाइट पर डालनी जरूरी है। जिसकी लिस्ट जिला शिक्षा अधिकारी Director controller of school(Dios) को जाती है। अगर कोई स्कूल ऐसा नहीं करता तो ये अधिनियम के खिलाफ़ है। और अगर पैरेंट्स इसकी शिकायत गौतमबुद्ध नगर के DFRC यानी District fee regulatory committee में शिकायत कर सकते हैं।

वहीं सुपरटेक इकोविलेज-1 में रहने वाले रिटायर्ड अधिकारी शशिभूषण ने केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की योगी सरकार से स्कूलों पर नकेल कसने और शिक्षा के व्यवसायीकरण को फौरन बंद करवाने की अपील की है।

 नए सेशन के लिए अभी लिए गए हैं प्रस्ताव

शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी का कहना है कि बिना इजाजत प्राइवेट स्कूल फीस नहीं बढ़ा सकते। एजुकेशन डायरेक्टर किसी अधिकारी या टीम के जरिए सभी प्रस्ताव की स्क्रूटनी करवाएंगे। अगर स्कूल फीस बढ़ाने का प्रस्ताव नहीं देता है, तो वो इस सेशन के लिए फीस भी बढ़ा नहीं सकता। बिना इजाजत फीस बढ़ाने की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए ऐसे स्कूलों पर एक्शन लिया जाएगा।  

शिकायत पर हो सकता है ऑडिट

किसी भी प्राइवेट स्कूल के स्टूडेंट के अभिभावक अगर स्कूल की बढ़ाई गई फीस या किसी दूसरे चार्ज से परेशान हैं, तो वे उस स्कूल का ऑडिट करवा सकते हैं।

वहीं पैरेंट्स का कहना है कि कोरोना काल के बाद स्कूलों की फीस में नियमित रूप से बढ़ोतरी हो रही है। कमाई व आय का जरिया जस का तस है। ऐसे में बच्चों को बेहतर ढंग से शिक्षित करने में जेब पर अधिक बोझ पड़ रहा है। इसी तरह नियमित रूप से फीस बढ़ी तो भविष्य में बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की उम्मीदों पर पानी फिर जाएगा।