सट्टा किंग क्या है? | Satta King kya Hai

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Satta King: आज के समय में हर कोई जल्द से जल्द अमीर (Rich) बन जाना चाहता है। ऐसे में कई बार लोग गलत संगत में भी पड़ जाते हैं। जिससे वो वापस नहीं आ पाते है। ऐसे ही पैसे कमाने का नशा है। सट्टा मटका का जुआ खेल दिखने में यह केवल यह एक गेम ही दिखता है। लेकिन असल में सट्टा किंग (Satta King) एक लीगल गेम नहीं होता है। जिसमें पैसे कमाने के लिए काफी लोग अपने पैसे खर्च कर देते है।

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सट्टा मटका एक प्रकार का जुआ है। जिसमें खिलाड़ी (Player) अपनी किस्मत आजमाते हैं। सट्टा मटका को सट्टा किंग भी कहा जाता है। इसका कारण यह है कि इसमें व्यापक पैमाने पर जुआ खेला जाता है। लेकिन भारत में जुआ गैर-कानूनी (Illegal) है। इसके बावजूद ऑनलाइन (Online) यह खेल एक बड़े पैमाने खेला जा रहा है। सट्टा मटका में जोखिम काफी है। लेकिन इससे लाभ भी अधिक होता है। इस कारण अधिकतर लोग इसकी ओर आकर्षित होते हैं और खेलते भी हैं। आप इसे खेलकर रातों-रात गरीब भी हो सकते हैं और अमीर (Rich) भी बन सकते है।

सट्टा किंग का मालिक कौन है?

सट्टा किंग के मालिक रतन खत्री (Ratan Khattri), कल्यानजी भगत और सुरेश भगत है। जो इसके फाउंडर है एक छोटी सी दुकान चलाने वाले कल्यानजी भगत ने 1962 कल्याण वोर्ली मटका के नाम से शुरू किया था। जिसके बाद रतन खत्री ने 1964 में दिल्ली में न्यू वोर्ली मटका के नाम से शुरू किया था। इसी तरह से इसकी शुरुआत हुई। और आज यह काफी बड़ा गेम बन गया है।

सट्टा मटका का इतिहास

सट्टा मटका (Satta Matka) का इतिहास के बारे में जानने में दिलचस्पी है। सट्टा मटका की शुरुआत सन 1962 के समय से हो चुकी थी। वहीं उस समय ज्यादातर लोग रुई के ओपनिंग और क्लोजिंग कीमतों पर सट्टा लगाते थे। काफी लोग इसे जीतते थे। वहीं कुछ हारते भी थे। सबसे पहले इसका मुख्यालय महाराष्ट्र, नई दिल्ली, औरंगाबाद और कानपुर में था।

उस समय सट्टा मटका में 0 से 9 तक के नंबर कागज (Paper) के टुकड़ों पर लिखे जाते थे। फिर उन्हें एक मटके में रखा दिया जाता था। इसके बाद एक व्यक्ति मटका में से एक कागज का टुकड़े को उठाता है। और जीतने वाली संख्या को पढ़ता है। समय के साथ सट्टा मटका लॉटरी भी बदली गई। अब ऑफलाइन खेलते समय ताश के पत्तों के एक पैकेट से 3 नंबर निकाले जाते है। वहीं टेक्नोलॉजी के युग में तो ऑनलाइन सट्टा मटका खेला जाता है।

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कैसे खेलते है सट्टा-मटका?

सट्टा मटका सालों से ऑनलाइन ही खेला जाता है। पेपर की कीमत चुनने वाले व्यक्ति के बजाय, जीतने वाले नंबर अब एक रैंडमली (Randomly) ऑनलाइन रूप से उत्पन्न होते हैं। लोग अब विभिन्न वेबसाइटों के माध्यम से सट्टा मटका लॉटरी में भाग लेते हैं। जिस पर सट्टा मटका लॉटरी खेल खेला जाता है। जैसे-जैसे समय बदला, अभ्यास भी हुआ, लेकिन मटका नाम अपरिवर्तित रहा। अब ताश खेलने के पैक से 3 नंबर निकाले जाते हैं। और फिर अपनी किस्मत (Destiny) आजमाई जाती है ऑनलाइन रिजल्ट के जरिए, ठीक इसी प्रकार सट्टा मटका से बहुत सारा धन जीतने वाले व्यक्ति को मटका राजा के रूप में जाना जाता है।

इंडिया में जुआ है गैर-कानूनी

सट्टा किंग या सट्टा मटका कानूनी नहीं है और भारत में प्रतिबंधित (Restricted) है। रतन खत्री सट्टा मटका के संस्थापक हैं। आज की डिजिटल दुनिया में सबसे लोकप्रिय लॉटरी (Lottery) आधारित गेम सट्टा मटका ने ऑनलाइन अपना स्थान बना लिया है। भारत में 1867 का सार्वजनिक गेमिंग अधिनियम के खिलाफ जाकर सट्टा खेलने वालों को 200 रुपये तक का जुर्माना या 3 महीने तक के कारावास का सामना करना पड़ सकता है। किसी अन्य प्रकार का जुआ या सट्टा खेल भारत में अवैध है।