रवीश के फैंस के लिए बड़ा झटका, NDTV तो होगा लेकिन रवीश कुमार नहीं

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‘मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी’.. आखिरकार वही हुआ जिसका अंदेशा बहुत पहले से जताया जा रहा था।  अडानी ग्रुप की एंट्री के बाद NDTV में इस्तीफों का दौर शुरू हो गया है। प्रणय रॉय और उनकी पत्नी ने मंगलवार को मीडिया हाउस को अलविदा कहा था। बुधवार देर शाम हिंदी चैनल के पत्रकार रवीश कुमार (Ravish kumar) ने भी इस्तीफा दे दिया।  

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार NDTV ग्रुप की प्रेसिडेंट सुपर्णा सिंह ने इस मेल में लिखा है कि ‘रवीश ने NDTV से इस्तीफा दे दिया है और कंपनी ने उनके इस्तीफे को तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है। रविश जितना लोगों को प्रभावित करने वाले कुछ ही पत्रकार हैं। यह उनके बारे में मिलने वाली अपार प्रतिक्रिया में दिखता है, वो भीड़ जिन्हें वे अपने इर्द-गिर्द जमा करते हैं, भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें मिले प्रतिष्ठित पुरस्कारों और पहचान में दिखता है; और उनकी हर दिन की रिपोर्ट में, जो उन लोगों के अधिकारों और जरूरतों को पूरा करता है जो सेवा से वंचित हैं। रवीश दशकों से NDTV का एक अभिन्न हिस्सा रहे हैं और उनका योगदान बहुत अधिक रहा है. हम जानते हैं कि जब वह एक नई शुरुआत कर रहे हैं, वे बेहद सफल होंगे।’

रवीश कुमार को जानिए

रवीश कुमार एनडीटीवी इंडिया के संपादक थे. रवीश चैनल के प्रमुख कार्यक्रमों जैसे ‘हम लोग’ और ‘रवीश की रिपोर्ट’ के होस्ट रहे. ये दोनों कार्यक्रम काफ़ी लोकप्रिय रहे हैं. रवीश कुमार का प्राइम टाइम शो ‘देस की बात’ भी काफी लोकप्रिय कार्यक्रम रहा है।

वो एनडीटीवी इंडिया के सबसे पॉपुलर चेहरों में से एक थे.। एनडीटीवी में रवीश अक्सर अपने सत्ता विरोधी स्टैंड के लिए चर्चा में रहते थे. अपनी रिपोर्टों में वह देश में बेरोज़गारी, शिक्षा और सांप्रदायिकता के सवाल उठाते रहे.

“द इंडियन एक्सप्रेस” ने 2016 में उन्हें अपनी ‘100 सबसे प्रभावशाली भारतीयों’ की सूची में भी शामिल किया था.

रवीश कुमार को साल 2019 में प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे सम्मान दिया गया था. यह सम्मान एशिया में साहसिक और परिवर्तनकारी नेतृत्व के लिए दिया जाता है.

अवॉर्ड देने वाले संस्थान ने कहा था, ‘रवीश कुमार अपनी पत्रकारिता के ज़रिए उनकी आवाज़ को मुख्यधारा में ले आए, जिनकी हमेशा उपेक्षा की जाती है.’

“कहां आंसुओं की ये सौग़ात होगी ..नए लोग होंगे नई बात होगी

मैं हर हाल में मुस्कुराता रहूंगा
तुम्हारी मोहब्बत अगर साथ होगी

चराग़ों को आंखों में महफ़ूज़ रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी

परेशां हो तुम भी परेशां हूं मैं भी
चलो मय-कदे में वहीं बात होगी

चराग़ों की लौ से सितारों की ज़ौ तक
तुम्हें मैं मिलूंगा जहां रात होगी

जहां वादियों में नए फूल आए
हमारी तुम्हारी मुलाक़ात होगी

सदाओं को अल्फ़ाज़ मिलने न पाएं
न बादल घिरेंगे न बरसात होगी

मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी”

((बशीर भद्र)

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