गहलोत सरकार के कार्यकाल में दायर किया गया था ये मुकदमा
Rajasthan: राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा (CM Bhajan Lal Sharma) ने बड़ा फैसला लिया है। वहीं फोन टैपिंग (Phone Tapping) मामले में केंद्र सरकार के खिलाफ दायर मुकदमा वापस लेने का फैसला लिया है। राज्य सरकार की ओर से एएजी शिवमंगल शर्मा ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में केस वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र दायर किया है। पढ़िए पूरी खबर…
ये भी पढ़ेः पत्रकारों के लिए राजस्थान के CM भजनलाल शर्मा की बड़ी घोषणाएं
ख़बरीमीडिया के Whatsapp ग्रुप को फौलो करें https://whatsapp.com/channel/0029VaBE9cCLNSa3k4cMfg25
राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार (Bhajanlal Sharma Sarkar) ने बड़ा निर्णय लेते हुए गजेंद्र सिंह शेखावत फोन टैपिंग मामले में केंद्र सरकार के खिलाफ दायर मुकदमा वापस ले लिया है। ये मुकदमा पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल में दायर किया गया था।
यह था मामला
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने राजस्थान के फोन टैपिंग मामले (Phone Tapping Case) में 25 मार्च 2021 को गजेन्द्र सिंह शेखावत की एफआईआर दर्ज की। इसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 409 व 120 बी, भारतीय तार अधिनियम 1885 की धारा 26 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 72 और 72ए के तहत आरोप लगाए गए।
इसके खिलाफ राज्य सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत सुप्रीम कोर्ट में दावा पेश किया, जिसमें दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई। दावे में कहा था कि इस फोन टैपिंग प्रकरण में केवल राजस्थान राज्य को ही एफआईआर दर्ज का अधिकार है। दिल्ली पुलिस को जांच करने का अधिकार नहीं है।
ये भी पढ़ेः प्रदेश के विकास के लिए सबको एक साथ आगे आना होगा: CM भजनलाल शर्मा
बता दें कि एएजी शिवमंगल शर्मा (Shivmangal Sharma) ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट में केस वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र दायर करते हुए कहा है कि इस केस में कोई मैरिट नहीं बनती है। फोन टैपिंग कांड के बाद पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में यह तर्क दिया गया था कि फोन टैपिंग की जांच दिल्ली पुलिस के पास क्षेत्राधिकार नहीं है और केवल राजस्थान पुलिस को इस एफआईआर की जांच करनी चाहिए।
मामला वापस लेने का किया निर्णय
शिवमंगल शर्मा (Shivmangal Sharma) ने बताया कि रिकॉर्ड और मामले के तथ्यों व परिस्थितियों की जांच की गई। इसमें सामने आया कि मैरिट पर मामला सुप्रीम कोर्ट में चलने लायक नहीं है। इस कारण इसे आगे बढ़ाने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा। इन वजह से न्याय हित में सुप्रीम कोर्ट का समय बचाने के लिए मामला वापस लेने का निर्णय किया।