Punjab

Punjab: 20 साल बाद पंजाबी पिता से ऐसे मिला जापानी बेटा, कहानी इमोशनल कर देगी

पंजाब
Spread the love

Punjab के अमृतसर जिले में एक पिता और उसके जापानी बेटे का भावुक मिलन हुआ है।

Punjab: पंजाब के अमृतसर जिले में एक पिता और उसके जापानी बेटे का भावुक मिलन हुआ है। 20 साल पहले सुखपाल सिंह (Sukhpal Singh) अपने बेटे को उसकी मां के पास जापान छोड़ आए थे। कॉलेज में मिले एक असाइनमेंट के कारण, 21 वर्षीय रिन तकाहाता ने अमृतसर में अपने पिता को ढूंढ निकाला। रिन तकाहाता (Rin Takahata) ओसाका यूनिवर्सिटी ऑफ़ आर्ट्स का छात्र है। वो रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) से एक दिन पहले 18 अगस्त को अमृतसर पहुंचा। पढ़िए पूरी खबर…
ये भी पढ़ेः Punjab के डिपो होल्डर्स को Maan सरकार का बड़ा तोहफा..डिटेल पढ़िए

Pic Social Media

ख़बरीमीडिया के Whatsapp ग्रुप को फौलो करें https://whatsapp.com/channel/0029VaBE9cCLNSa3k4cMfg25

पंजाब के अमृतसर में सुखपाल सिंह (Sukhpal Singh) अपने परिवार के साथ रहता है। अचानक से उसके सामने एक लड़का आया। उसे पापा कहते ही गले लग गया। सुखपाल की भी आंखों से आंसू छलक आए। पास में खड़ी उसकी बीवी गुरविंदरजीत कौर यह देख हैरान परेशान थी। वो समझ नहीं पा रही थी कि आखिर ये क्या हो रहा है। कौन है ये लड़का जो मेरे पति को अपना पिता कह रहा है। हमारी तो बस एक ही बेटी है, जिसका नाम अवलीन पन्नू है।

गुरविंदरजीत (Gurvinderjeet) की आंखों में सवाल था, जिसे देख सुखपाल ने कहा कि ये मेरा ही बेटा है। मेरी पहली बीवी और मेरा बेटा। हम दोनों पूरे 20 साल बाद मिल रहे हैं। गुरविंदरजीत ने उससे जानना चाहा कि माजरा आखिर है क्या? तब 21 साल के रिन तकाहाता, जो कि सुखपाल को अपना पिता बता रहा था, उसने कहानी सुनानी शुरू की। कहा कि मैं जापान से आया हूं। मेरी मां साची तकाहाता भी जापानी हैं।

बेटे को बीच में ही टोकते हुए सुखपाल ने कहा

ये सच कह रहा है गुरविंदर। करीब 21-22 साल पहले मैं थाईलैंड (Thailand) में रहता था। वहां साची तकाहाता से मुझे प्यार हो गया। हमने साल 2002 में जापान में शादी कर ली और टोक्यो के पास चिबा केन में रहने लगे। सुखपाल ने बताया कि रिन का जन्म 2003 में हुआ था।

लेकिन, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और हमारी शादी मुश्किलों में पड़ गई। मैं 2004 में भारत लौट आया। उसी साल साची भी भारत आई और हम दोनों फिर जापान चले गए। हालांकि, सुलह के हमारे तमाम प्रयासों के बावजूद, गलतफहमियां बनी रहीं। आखिरकार मैंने अलग रहना शुरू कर दिया और 2007 में भारत लौट आया। बाद में मैंने तुमसे शादी कर ली।

Pic Social Media

ये भी पढ़ेः 39वां राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा..नेत्रदान जरूर करें: Dr Balbir Singh

अवलीन ने रिन को राखी बांधी

सुखपाल की बातें सुनकर गुरविंदर (Gurvinder) ने भी रिन को गले लगाया। कहा कि तुम अब मेरे भी बेटे हो। बेटी अवलीन से रिन को राखी भी बंधवाई। वो भी अपना भाई पाकर बहुत खुश हुई। सुखपाल ने रिन से पूछा- बेटा तुमने मुझे ढूंढा कैसे?

तब रिन (Rin) ने बताया- कॉलेज में मिले एक असाइनमेंट के कारण, मैंने अमृतसर में आपको ढूंढ निकाला। मैं ओसाका यूनिवर्सिटी ऑफ आर्ट्स का छात्र हूं। मुझे यहां फैमिली ट्री बनाने का असाइनमेंट मिला था। मेरे पास मां तो थी। लेकिन पिता नहीं। मुझे मां ने आपके बारे में बताया था। मेरे पास आपकी बस एक पुरानी फोटो और पुराना पता था। बस उसे लेकर मैं 18 अगस्त को यहां पहुंचा।

रिन ने बताया

फतेहगढ़ चूड़ियां रोड पर मैं घर-घर और दुकान-दुकान घूमता रहा। आखिरकार, कुछ स्थानीय लोगों ने पुरानी तस्वीरों से आपको (सुखपाल) को पहचान लिया। उन्होंने फिर अमृतसर के लोहारका रोड पर आपके नए पते के बारे में बताया।

‘बयां नहीं कर सकता फीलिंग्स’

सुखपाल (Sukhpal) ने बताया कि मैं रक्षाबंधन के लिए अपने ससुराल गया था। तभी मेरे भाई का फोन आया कि मेरा बेटा जापान से आया है। मैं हैरान रह गया और अपने भाई से उसका ख्याल रखने को कहकर तुरंत वापस आ गया। उन्होंने कहा कि जब हम आखिरकार एक-दूसरे से गले मिले, तो उस समय जो भावनाएं और एहसास थे उन्हें शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।