मुख्यमंत्री का बयान – अवसरवादी नेताओं को कभी माफ नहीं करेंगे पंजाब के लोग
बाढ़ इंसानों की नहीं, बल्कि प्राकृतिक आपदा थी
केंद्र सरकार पर पंजाब के प्रति उदासीन रवैया अपनाने का गंभीर आरोप
प्रधानमंत्री का 1600 करोड़ का ऐलान पंजाबियों के साथ एक भद्दा मज़ाक
SDRF के 12,000 करोड़ रुपये केवल कुछ नेताओं की कल्पना
Punjab News: बाढ़ के मुद्दे के राजनीतिकरण को लेकर विपक्षी पार्टियों पर तीखा हमला करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहा कि संकट की इस घड़ी में प्रदेश से गद्दारी करने वाले संवेदनहीन और अवसरवादी राजनेताओं को पंजाब की जनता कभी माफ नहीं करेगी। पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान बाढ़ पर हुई चर्चा को समेटते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस संकट के समय एकजुटता दिखाने की बजाय विपक्षी नेता सरकार के खिलाफ ज़हर उगल रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये नेता सिर्फ अपने निजी राजनीतिक हित साधने के लिए इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं, जो कि बेहद अनुचित है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि जब राज्य के लोग राहत और पुनर्वास कार्यों में दिन-रात जुटे हुए थे, तब ये नेता मीडिया की सुर्खियां बटोरने के लिए होड़ में लगे हुए थे।उन्होंने कहा कि यह विशेष सत्र राज्य के पुनर्वास पर चर्चा के लिए बुलाया गया था, लेकिन विपक्ष की संकीर्ण मानसिकता के कारण यह सिर्फ आलोचना तक सीमित रह गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब पुनर्जीवित होने वाला प्रदेश है, लेकिन विपक्षी नेता हमेशा इसकी बरबादी की कोशिश करते रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक आपदाएं भी पंजाबियों की मेहनत और मजबूत इरादों के आगे झुक जाती हैं। उन्होंने सरागढ़ी और लॉन्गेवाला की ऐतिहासिक लड़ाइयों का उदाहरण देकर पंजाबियों की बहादुरी को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि जब भी देश पर संकट आया है, पंजाब ने ढाल बनकर उसकी रक्षा की है – चाहे वो अन्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना हो, सीमाओं की रक्षा करनी हो या आज़ादी का आंदोलन चलाना हो।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि जब पंजाब संकट में होता है, तब केंद्र सरकार उसकी समस्याओं के प्रति उदासीन रवैया अपनाती है और उसे उसके हाल पर छोड़ देती है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पठानकोट के पास हुए दीनानगर हमले के बाद, केंद्र ने राज्य से भारतीय सेना की तैनाती की कीमत मांग ली थी, जो पाकिस्तान से आए आतंकियों से लड़ने के लिए वहां भेजी गई थी। इस गंभीर संकट की घड़ी में मुख्यमंत्री ने सभी पंजाबियों से एकजुट होने की अपील की और कहा कि अगर जरूरत पड़ी, तो वे प्रधानमंत्री की रिहायश के बाहर भी प्रदर्शन करने से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि वे केंद्रीय एजेंसियों से डरने वाले नहीं हैं और राज्य के हितों के लिए लड़ते रहेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इतिहास केवल उन्हें याद रखेगा जिन्होंने संकट में राज्य के लिए काम किया, न कि उन्हें जो केवल रुकावटें पैदा करते रहे। उन्होंने कहा कि अब समय है कि हम सभी को एकजुट होकर अपने मतभेद भुलाकर पंजाब को इस संकट से बाहर निकालना चाहिए। सभी नेताओं को अपने रसूख का इस्तेमाल करके प्रभावित लोगों की मदद करनी चाहिए – यही असली पंजाब सेवा है। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि सरकार और समाजसेवियों के सामूहिक प्रयासों से वह दिन दूर नहीं जब पंजाब देश का अग्रणी राज्य बनकर उभरेगा।उन्होंने विपक्ष से बाढ़ के मुद्दे पर झूठी राजनीति बंद करने को कहा, क्योंकि यह एक प्राकृतिक आपदा थी। उन्होंने विपक्ष को चुनौती दी कि क्या हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और अन्य राज्यों में आई बाढ़ भी पंजाब सरकार द्वारा योजनाबद्ध थी?
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि ऐसे गंभीर समय में राजनीति करना विपक्ष की संवेदनहीनता दर्शाता है। बाढ़ की तबाही पर बोलते हुए उन्होंने बताया कि इससे 2300 से अधिक गांव डूब गए, 20 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए और 5 लाख एकड़ फसलें नष्ट हो गईं। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने दुख जताया कि इस आपदा में 56 लोगों की जान चली गई और करीब 7 लाख लोग बेघर हो गए। उन्होंने आगे बताया कि 3200 सरकारी स्कूलों को नुकसान पहुंचा, 19 कॉलेज मलबे में तब्दील हो गए, 1400 क्लीनिक और अस्पताल ध्वस्त हो गए, 8500 किलोमीटर सड़कें नष्ट हो गईं और 2500 पुल गिर गए। शुरुआती अनुमान के मुताबिक कुल नुकसान 13,800 करोड़ रुपये आंका गया है, जो असल में और अधिक भी हो सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने नालों की सफाई का काम पहले से कहीं बेहतर किया है – पिछली सरकारों ने जहाँ सिर्फ 2066 किलोमीटर नालों की सफाई की थी, वहीं मौजूदा सरकार ने 3825 किलोमीटर सफाई की है। उन्होंने भाखड़ा और पोंग डैम से गाद निकालने की भी ज़ोरदार मांग की और कहा कि पिछले 70 सालों से ये कार्य नहीं हुआ। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस साल घग्गर दरिया में गाद निकाले जाने के बावजूद अधिक पानी आने के बावजूद कोई बाढ़ नहीं आई, जो कि एक सकारात्मक संकेत है। IMD (भारतीय मौसम विभाग) की भविष्यवाणियों की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि इसकी सभी भविष्यवाणियाँ गलत साबित हुईं। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि एक दिन IMD की भविष्यवाणी से 1961% अधिक बारिश दर्ज हुई – जो इस एजेंसी की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि शायद केंद्र सरकार का कोई पसंदीदा अधिकारी, जिसे इस कार्य का ज्ञान नहीं है, इस एजेंसी का प्रभारी बना हुआ है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बताया कि इस साल पोंग डैम में 1988 के मुकाबले 60.4% अधिक पानी आया, वहीं भाखड़ा डैम में 2.65% अधिक और रंजीत सागर डैम में 65.3% अधिक पानी आया – यह स्थिति कल्पना से परे है। राज्य आपदा राहत कोष (SDRF) पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 25 वर्षों में – जिसमें 12 साल अकाली-भाजपा और 10 साल कांग्रेस की सरकार रही – पंजाब को सिर्फ 6190 करोड़ रुपये की राशि मिली। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के पास SDRF में 12,000 करोड़ रुपये होने की बात विपक्षी नेताओं की कल्पना मात्र है। उन्होंने कहा कि इसी आधार पर प्रधानमंत्री ने राज्य को केवल 1600 करोड़ रुपये देने की घोषणा की, जो मात्र औपचारिकता है। 2305 गांवों की बर्बादी के मुकाबले यह राहत राशि बहुत कम है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि यदि यह राशि 2305 गांवों में बांटी जाए, तो प्रति गांव केवल 80 लाख रुपये मिलते हैं – जो अत्यंत अपर्याप्त है। प्रधानमंत्री के राज्य दौरे पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने असली बाढ़ पीड़ितों से मिलने की बजाय भाजपा के “कांग्रेस विंग” से ही मुलाकात की, जिसे उन्होंने खुद चुना था। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री को देशवासियों की समस्याओं की कोई चिंता नहीं है – वे केवल विदेश यात्राओं में व्यस्त हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की विदेश नीति और विदेश यात्राओं का कोई ठोस परिणाम नहीं निकला।
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि राज्य सरकार ने बाढ़ के पहले चरण को सफलतापूर्वक पार कर लिया है। उन्होंने युवाओं, सेना और समाजसेवियों का धन्यवाद किया जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को बचाया। उन्होंने आलोचकों पर निशाना साधते हुए कहा कि जब सरकार राहत कार्यों में लगी थी, विपक्षी नेता “जौंगों” में बैठकर फोटो सेशन करवा रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब जनता दुख झेल रही थी, विपक्ष मगरमच्छ के आँसू बहा रहा था और सस्ती राजनीति कर रहा था। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय मंत्री भी फोटो सेशन के लिए ही पंजाब आए थे, जिसके परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री ने केवल 1600 करोड़ रुपये की नगण्य राहत की घोषणा कर दी – जो एक भद्दा मज़ाक है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने अप्रैल में ही पहली बाढ़ नियंत्रण बैठक कर ली थी, जबकि पिछली कांग्रेस सरकारें जुलाई में या उसके बाद करती थीं।उन्होंने बताया कि 2017 में यह बैठक 12 जून को, 2018 में 1 जुलाई को और 2019 में 19 जुलाई को हुई थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राहत और पुनर्वास प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए “रंगला पंजाब फंड” शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि इस फंड में प्राप्त प्रत्येक पैसे का उपयोग पूरी पारदर्शिता से बाढ़ प्रभावित लोगों की भलाई में किया जाएगा। मुख्यमंत्री राहत कोष की सीमाओं को देखते हुए यह नया फंड शुरू किया गया है, जिसमें CSR के माध्यम से दिए गए पैसे शामिल नहीं किए जा सकते थे।