आपकी सेहत को मालामाल करने वाली ‘दाल’

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अंडा-पनीर छोड़िए! ये दालें आपके शरीर को बना देंगी ताकतवर

गरिमा सिंह, खबरी मीडिया

एक प्रसिद्ध जुमला है- दाल-चावल नहीं खाए तो क्या खाए..दाल हर भारतीय की पहली पसंद है। दाल-चावल ना खाएं, तो जैसे भोजन अधूरा लगता है। दाल की कई वेरायटी होती है और हर दाल के अपने पोषक तत्व होते हैं। दालें सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती हैं क्योंकि दालों में भारी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है जो शरीर में होने वाली कई तरह की कमियों को दूर कर देते हैं। ऐसे में बच्चे से लेकर बड़ों तक को रोजाना दाल खाने की सलाह दी जाती है। दाल बच्चों की आंखों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। आप चाहें तो एक साथ 4-5 दालों को मिलाकर भी बना सकते हैं।  

अरहर की दाल

यूं तो मार्केट में खई तरह की दालें मिलती हैं लेकिन सबसे पहले हम आपको अरहर की दाल के बारे में बताने जा रहे हैं. अरहर की दाल.. वेट लॉस के लिए भी काफी अच्छी मानी जाती है. शाकाहारी लोंगों के लिए यह दाल प्रोटीन का काफी अच्छा सोर्स होती है. अरहर की दाल को देश के कुछ हिस्सों में तुअर की दाल के नाम से भी जाना जाता है। यह दाल तासीर यानी प्राकृतिक रूप से ठंडक देने वाली होती है।

अरहर दाल के फायदे

ब्लड शुगर करे कंट्रोल- अरहर की दाल पोटेशियम से भरपूर होती है. यह ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मददगार होता है

वजन घटाने में मददगार- अरहर दाल में प्रोटीन होन के कारण इसे खाने के बाद लंबे समय तक पेट भरा रहता है. इससे आप कुछ एक्स्ट्रा नहीं खा पाते. जिससे वजन कर करने में मदद मिलती है.

पाचन शक्ति बढ़ाए- अरहर की दाल फाइबर का भरपूर स्त्रोत है जो पाचन तंत्र को बढ़ाने में योगदान देती है. इसलिए एक कटोरी अरहर की दाल अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।

मसूर की दाल

इसे साबुत मसूर दाल के रूप में भी जाना जाता है. इसे कई जगह खड़ी मसूर भी कहा जाता है।

साबुत मसूर को पीसकर मसूर की दाल बनाई जाती है। यह दो तरह की होती है। एक छिलके सहित और दूसरी बिना छिलके की। बिना छिलके की मसूर की दाल गुलाबी रंग की होती है। इसे मसूर की धुली दाल भी कहते हैं। इसके आधा कप में 9 ग्राम प्रोटीन होता है। यह कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, आयरन और फोलेट का एक बड़ा स्रोत है. प्रोटीन की कमी पूरी करने के लिए आप इसका सेवन जरूर करें।

मसूर की दाल प्राकृतिक रूप से बहुत गर्म होती है। जबकि साबुत मसूर ठंडी होती है।

मूंग की दाल

हरी दाल को मूंग की दाल भी कहा जाता है, क्योंकि इसके छिलके हरे रंग के होते हैं। यह भी दो तरह की होती है। एक छिलके सहित और दूसरी बिना छिलके के। बिना छिलके की दाल हल्के पीले रंग की होती है और इसे मूंग की धुली दाल कहा जाता है। इस दाल के हर आधे कप में 9 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है. हरी दाल भी आयरन का एक शक्तिशाली स्रोत है.  मूंग दाल में पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है. ये इम्यूनिटी बूस्ट करने से लेकर कई बीमारियों से हमें बचाती है और वजन कम करने में मददगार है. 

उड़द की दाल

उड़द की दाल को काली दाल भी कहा जाता है। साबुत उड़द को पीसकर बनाई जाती है। यह भी दो तरह की होती है। छिलके सहित और बिना छिलके की। बिना छिलके की दाल उड़द की धुली दाल भी कहलाती है।

उड़द की दाल के हर आधे कप में 12 ग्राम प्रोटीन होता है.  यह दाल फोलेट और जिंक का एक शक्तिशाली स्रोत है. यही वजह है कि रोजाना एक कटोरी उड़द की दाल का सेवन करना चाहिए. 

चने की दाल

काले चनों को पीसकर चने की दाल बनाई जाती है। इन चनों को देसी चना भी कहते हैं। चने की दाल को किसी भी मौसम में खाया जा सकता है। बस रात को खाने से बचें।  

काबुली चना

आम तौर पर चने दो प्रकार के होते हैं – काबुली चना और काला चना. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि काला चना लगभग काले रंग का होगा लेकिन काबुली चना सफ़ेद रंग लिए हुए होता है. यही नहीं काबुली चने का आकार भी काले चने से बड़ा होता है. 

काबुली चना किसी जमाने में काबुल से आया हुआ माना जाता है। इसीलिए उसका नाम काबुली चना है। इसे बादी प्रकृति का माना जाता है। यानी जिन लोगों को गैस की समस्या अधिक रहती है, उन्हें इसका सेवन कम करना चाहिए।

काबुली चने के फायदे

शरीर की मजबूती के लिए
यदि आप चाहते हैं कि आपका शरीर बेहद सख्त और मजबूत बने तो आपको काबुली चने की सहायता लेनी चाहिए। इसके लिए आपको काबुली चने को अंकुरित करके रोज सुबह खाना चाहिए।

दिल की बिमारियों को दूर करने में
काबुली चने का इस्तेमाल आप दिल की मजबूती और इसे कई तरह की परेशानियों से बचाने के लिए भी कर सकते हैं। इसलिए यदि आप अपने दिल को मजबूत और स्वस्थ बनाना चाहते हैं तो आज से ही काबुली चना का सेवन शुरू कर दीजिए.

फेफड़े की मजबूती के लिए
काबुली चना को अंकुरित करके खाने के चमत्कारिक फायदे हैं। फेफड़ों की मजबूती इन्हीं में से एक है। यदि आप अपने फेफड़े की मजबूती चाहते हैं तो तो आपको काबुली चने अंकुरित करके नियमित रूप से खाने चाहिए.

खून बढ़ाने के लिए
कई लोगों के शरीर में खून की कमी हो जाती है। यदि आप इसे दूर करना चाहें तो इसके लिए आपको काला चना का सेवन करना होगा. इसके नियमित सेवन से आपके शरीर में खून की वृद्धि होने लगती है.

 कोलेस्ट्राल को कम करने में
खून में कोलेस्ट्राल की अनावश्यक वृद्धि कई तरह की परेशानियों का कारण बन सकता है। इसलिए ये बेहद जरुरी है कि खून में से कोलेस्ट्राल की अनावश्यक वृद्धि को रोका जाए। इसके लिए आपको काबुली चना का नियमित सेवन करना चाहिए.

वजन बढ़ाने के लिए
जो लोग अपने कम वजन या दुबले-पतले शरीर को लेकर परेशान रहते हैं, काबुली चना उनकी परेशानी दूर आर सकता है. इसके लिए आपको काबुली चने को अंकुरित करके इसका नियमित इस्तेमाल करना चाहिए. इससे आपके वजन में निश्चित रूप से वृद्धि होती है.

राजमा

राजमा में मैग्नीशियम अच्छी मात्रा में पाया जाता है। जो दिल की सेहत और हड्डियों के लिए लाभदायक है। राजमा के सेवन से कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है।  राजमा अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बनाने में भी मदद करता है

राजमा अपनी शेप के कारण Kidney Beans के रूप में भी जाना जाता है। राजमा तासीर में ठंडा होता है। सर्दियों में इसे दिन के वक्त या कहिए जिस दिन धूप हो उस दिन खाना चाहिए। आमतौर पर इसे गर्मियों में अधिक खाया जाता है।

छोले

छोले मटर को सुखाकर बनाए जाते हैं। ये देसी छोले भी कहलाते हैं। वहीं छोले-कुल्चे वाले छोले हरी मटर को सुखाकर और छीलकर तैयार किए जाते हैं। ताकि इन्हें स्टोर किया जा सके। ये प्रोटीन और विटमिन्स से भरपूर होते हैं।

लोबिया

लोबिया को भी दाल की कैटेगरी में गिना जाता है। इसे सर्दी और गर्मी कभी भी खाया जा सकता है। यह सुपाच्य होता है यानी पचाने में आसान। लेकिन अगर पेट दर्द या लूज मोशन की शिकायत हो तो इसे नहीं खाना चाहिए।

रात के समय क्यों नहीं खाना चाहिए दाल
विशेषज्ञों की मानें तो भोजन की तासीर के हिसाब से ही उसके सेवन के समय को तय किया जाता है। रात के समय हमेशा हल्के भोजन का ही सेवन करना चाहिए। चूंकि दाल भारी होती है और रात में खाना खाने के बाद अक्सर जल्दी ही हम सोने के लिए चले जाते हैं ऐसे में शरीर दाल का पाचन सही से नहीं कर पाता है। ऐसी स्थिति में अपच जैसी पाचन संबंधी समस्याओं के होने का खतरा बना रहता है। रात में हमेशा हल्के भोजन करने के बाद कुछ देर तक टहलना जरूर चाहिए, जिससे इनका पाचन ठीक तरीके से हो सके।

रोज कितना प्रोटीन खाना चाहिए

  • 4 साल से कम उम्र के बच्चों को दिनभर में 13 ग्राम
  • 4 से 8 साल के बच्चों को 19 ग्राम
  • 9 से 13 साल के बच्चों को 34 ग्राम
  • 14 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाएं और लड़कियों को 46 ग्राम
  • 14 से 18 साल के लड़कों को 52 ग्राम
  • 19 वर्ष और उससे अधिक आयु के पुरुषों को 56 ग्राम

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