Jyoti Shinde,Editor,Khabrimedia.com
Noida: गौतमबुद्ध नगर के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर महेश शर्मा (Dr Mahesh Sharma) नोएडा-ग्रेटर नोएडा के विकास के लिए प्रयासरत हैं। उनके प्रयास, पीएम मोदी (PM Modi) के निर्देश और यूपी के सीएम योगी (CM Yogi) के सहयोग से आज नोएडा (Nodia) की पहचान सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हो रही है। मेट्रो, वेदवन पार्क (Vedavan Park) एक्सप्रेसवे, फ्लाईओवर, अंडरपास सब विकास की गति की तरफ साफ इशारा कर रहे हैं।
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इसी कड़ी में गौतमबुद्ध नगर के सांसद डॉक्टर महेश शर्मा की ड्रीम प्रोजेक्टों में से सबसे अहम प्रोजेक्ट है, ग्रेटर नोएडा में 289 करोड़ की लागत से पंडित दीनदयाल उपाध्याय पुरातत्व संस्थान की स्थापना है। आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा में स्थित एक नई पहल ने सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक नया मानदंड स्थापित किया है। इस पहल के तहत, ग्रेटर नोएडा में 289 करोड़ रुपये की लागत से पंडित दीनदयाल उपाध्याय पुरातत्व संस्थान की स्थापना की गई है। यह संस्थान एक महत्वपूर्ण केंद्र है जो स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण, अध्ययन, और प्रचार को समर्थन दे रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य सांस्कृतिक विरासत को बचाना और लोगों को उसके महत्व को समझाना है।
संस्थान में विभिन्न क्षेत्रों में शोध और विकास के लिए लैब, पुस्तकालय, और अध्ययन केंद्र स्थापित किए गए हैं। इसके साथ ही, संस्थान विभिन्न कार्यक्रमों, सेमिनारों, और कार्यशालाओं का आयोजन करके सांस्कृतिक धरोहरों के महत्व को बढ़ावा दे रहा है। इस पहल के माध्यम से, ग्रेटर नोएडा ने सांस्कृतिक धरोहरों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः प्रकट किया है, और इससे समृद्धि और संवेदनशीलता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
ग्रेटर नोएडा में स्थापित पंडित दीनदयाय उपाध्याय पुरातत्व संस्थान (पंडित दीनदयाल उपाध्याय Institute of Archaeology, PDIA) भारत का एक अग्रणी शिक्षण संस्थान है जो पुरातत्व शिक्षा, अनुसंधान और संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए समर्पित है। 289 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित यह संस्थान 25 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है और 2019 में इसका उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था।
जानिए संस्थान का उद्देश्य
इस संस्थान का उद्देश्य पुरातत्व के क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षण और अनुसंधान को बढ़ावा देना है। साथ ही भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और संवर्धन करने के साथ पुरातत्वविदों और संरक्षकों की एक नई पीढ़ी को तैयार करना है। इसके साथ सामाजिक जागरूकता और पुरातत्व के महत्व को बढ़ावा देना भी इसका महत्पूर्ण मकसद है।
संस्थान की विशेषताएं
अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त 3-स्टार ग्रीन बिल्डिंग।
1000 लोगों के बैठने की क्षमता वाला सभागार।
ओपन-एयर थिएटर।
पुरातत्व संग्रहालय।
पुस्तकालय और सूचना केंद्र।
आधुनिक प्रयोगशालाएं।
छात्रावास और भोजन की सुविधा।
शैक्षणिक कार्यक्रम के बारे में जानिए
पुरातत्व में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (PGDA)
पुरातत्व में एम.फिल
पुरातत्व में पीएच.डी
पुरातत्व में प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम
विभिन्न विषयों पर कार्यशालाएं और सेमिनार
आपको बता दें कि संस्थान पुरातत्व के विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान परियोजनाओं का संचालन करता है। इसमें उत्खनन, पुरावस्तुओं का संरक्षण, डेटिंग तकनीक, और पुरातात्विक डेटा का विश्लेषण शामिल है।
संस्थान भारत के विभिन्न राज्यों में पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण और संवर्धन के लिए भी कार्य कर रहा है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय पुरातत्व संस्थान ने पुरातत्व शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
इसने पुरातत्वविदों और संरक्षकों की एक नई पीढ़ी को तैयार करने का जिम्मा लिया है और भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है।
आने वाले कुछ ही सालों में पंडित दीनदयाल उपाध्याय पुरातत्व संस्थान भारत में पुरातत्व शिक्षा और अनुसंधान का एक प्रमुख केंद्र होगा। यह संस्थान भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसे जीवंत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।