सूर्यांश सिंह, ख़बरीमीडिया
Jammu and Kashmir : जम्मू-कश्मीर में लश्कर ए तैयबा (Lashkar E Taiba) फिर से सक्रियता बढ़ाता नजर आ रहा है। इस साल जनवरी में राजौरी के गांव में हमला हुआ। जिसमें सात आम नागरिकों की मौत हो गई थी। पढ़िए पूरी खबर…
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आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में लश्कर ए तैयबा फिर से सक्रियता बढ़ाता नजर आ रहा है। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी को जांच के दौरान इस साल राजौरी और पुंछ में हुए 2 हमलों में लश्कर के शामिल होने के संकेत मिले हैं। लेकिन जांच एजेंसी ने इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है। जांच एजेंसी की रडार (Agency Radar) में आए आतंकवादियों के तार पाकिस्तान (Pakistan) से जुड़े हैं।
जानिए क्या थी पूरी घटना
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जनवरी में राजौरी के गांव में हमला हुआ। जिसमें 7 आम नागरिकों की मौत हो गई थी। वहीं अप्रैल में सेना के वाहन पर हमला हुआ। जहां 5 जवान शहीद हो गए थे। इन दोनों घटनाओं में एक ही समूह के वही लोग शामिल थे। कहा जा रहा है कि ये सभी पाकिस्तान में लश्कर के इशारे पर काम कर रहे थे।
बता दें कि एक जनवरी को धांगरी गांव में आतंकी हमला हुआ, जिसमें 7 लोगों की मौत हो गई थी। यहां एक आइईडी (IED) लगाया गया था, जो ब्लास्ट हो गया था। रिपोर्ट के अनुसार जांच में पता चला है कि दो आतंकियों ने वरिष्ठ अधिकारियों को निशाना बनाने के लिए आइईडी लगाया था। शुरुआत में जांच राजौरी पुलिस स्टेशन कर रहा था, लेकिन बाद में इसे एनआईए को सौंप दिया गया। एनआईए को जांच में पता चला है कि आतंकियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट स्थानीय स्तर पर ही मिला और आतंकी हमले के बाद अंडरग्राउंड हो गए थे।
एनआईए ने दो लोगों को किया गिरफ्तार
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सितंबर में एनआईए (NIA) ने दो लोगों निसार अहमद और मुश्ताक हुसैन (Nisar Ahmed and Mushtaq Hussain) को गिरफ्तार किया। दोनों पुंछ जिले के थे और धांगरी गांव में हुए हमले के आतंकियों को पनाह देने के आरोप उनपर थे। पूछताछ के बाद एनआईए को पता लगा कि निसार लश्कर के हैंडलर्स (Handlers) अबु कातल उर्फ कातल सिंधी के संपर्क में था। निसार को पहले भी गिरफ्तार किया जा चुका है। उसे 2014 में दो साल जेल में गुजारने के बाद रिहा कर दिया गया था।
निसार को धांगरी में हमले के बाद स्थानीय पुलिस ने पूछताछ के लिए भी बुलाया था। उसने जांचकर्ताओं को बताया कि घटना के बाद कातल ने उससे दोनों आतंकियों को पनाह देने के लिए कहा था। और मुश्ताक हुसैन को गुफा में ठिकाना बनाने के लिए 75 हजार रुपये दिए थे। निसार दोनों को घर का खाना पहुंचाता था। अप्रैल में पुंछ में सेना के जवानों पर हमले के दो दिन पहले ही आतंकवादियों ने 22 रोटियों की मांग की और उसे बगैर बताए वहां से चले गए।
एनआईए के एक अधिकारी ने कहा है कि ठिकाना छोड़े के 2 दिन बाद दोनों ने सेना के वाहन पर हमला कर दिया। इसमें राष्ट्रीय राइफल्स (Rashtriya Rifles) के 5 जवान शहीद हो गए थे और एक घायल हो गया था। कई सबूत जुटाने के बाद एनआईए को अब पता चला है कि दोनों घटनाओं में शामिल हमलावर एक ही थे और उन लोगों ने पाकिस्तान में बैठे लश्कर के हैंडलर्स सैफुल्लाह उर्फ साजिद जट, अबु कातल उर्फ कातल सिंधी और मोहम्मद कासिम के निर्देशों पर इन घटनाओं को अंजाम दिया था।