नाम बड़े और दर्शन छोटे..कुछ ऐसा ही हाल है कानपुर के सिविल लाइन से प्रसारित JMD न्यूज़। ये हम नहीं बल्कि यहां काम कर रहे और खुद को शोषित बताने वाले पत्रकारों का कहना है। तेज तर्रार मौजूदा संपादक और कर्मचारियों की बदौलत चैनल तरक्की के मार्ग पर है. आगे और कर सकता है. परंतु यहां के मालिकान को कुछ उदार होने की जरूरत है. ऐसा बिलकुल नहीं है कि इनके पास धन की कमी है. ईश्वर कृपा से JMD के पास डेन अम्बे नेटवर्क, जेमडी स्कूल, होटल, जेएमडी चौराहा जैसी दुधारू संस्थाएं हैं. कई और भी व्यापार हैं लेकिन उनका यहां जिक्र निरर्थक होगा. भाइयों की जोड़ी पर शहर को नाज़ है लेकिन कमी वही उदारता वाली. खासकर उनके साथ उदारता निभानी बड़ी जरूरी होती है जो आपको बढ़ाने के लिए आपसे जुड़े हों. माने आपके कर्मचारी.
अब ये स्क्रीनशॉट देखिये. जेएमडी न्यूज से आई सैलरी का है. अपने दुर्दिन समय में मैं यहां नौकरी करने गया था. जिसके 15 दिन की एवज में मिली ये तनख्वाह है. 4333 रू. जबकि 10 हजार की तय सैलरी का आधा हुआ 5 हजार. तो बाकी का पैसा कहां गए?
इसका उत्तर भी है मेरे पास. जिस मुताबिक ये बाकी का पैसा उस मद में कटा जो मैं 9 घंटे की नौकरी में समय से पहले उठ आया. मैं नया था तो पता नहीं चला कि काम खत्म होने के बाद वहां बैठकर समय बिताना भी क्वालिटी है. थंब में घंटा 9 का ही टन्न बोलना है. इन लोगों को कर्मचारी, काम, रूटीन सब फन्नेखां चाहिए, लेकिन दमड़ी जितनी कम से कम लगे खास ख्याल रखा जाता है.
Disclaimer: ((ख़बरीमीडिया को भेजे गए पत्र के आधार पर। ख़बरीमीडिया सत्यता की पुष्टि नहीं करता है))