उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
Maharashtra News: महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों में इन दिनों मौत का तांडव मचा हुआ है। नांदेड़ (Nanded), छत्रपति संभाजीनगर के बाद अब नागपुर (Nagpur) के सरकारी अस्पतालों में 25 लोगों की मौत हो गई है। महाराष्ट्र के नांदेड़ के बाद छत्रपति संभाजीनगर (Chhatrapati Sambhajinagar) में 24 घंटे में 19 लोगों की मौत हो गई थी। अब नागपुर के एक सरकारी अस्पतालों में पिछले 24 घंटे में 25 लोगों ने अपनी जान गवां दी। पिछले 24 घंटों में दो मेडिकल कॉलेज अस्पताल – इंदिरा गांधी सरकारी मेडिकल कॉलेज (Indira Gandhi Government Medical College) और सरकारी मेडिकल कॉलेज में 25 मरीजों की मौत हो गई है।
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महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के मौत को लेकर तहलका तब मच गया जब नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में एक ही दिन में 30 मरीजों की मौत हो गई थी। महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों में पिछले चार दिनों के अदंर कुल 94 लोगों की जान जा चुकी है। सूत्रों की मानें तो अस्पतालों में हो रही इन मौत के पीछे का कारण दवा की कमी है, लेकिन इस बात से अस्पताल और अधिकारी दोनों इंकार कर रहे हैं।
नागपुर के मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों ने स्वीकार किया कि पिछले 24 घंटों में नागपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (JMCH) में 14 मरीजों की मौत हो गई, जबकि इंदिरा गांधी सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (IGGMCH) में 9 अन्य मरीजों की जान चली गई। जीएमसीएच के डीन डॉ. राज गजभिए ने कहा है कि नागपुर में हुई मौतों की तुलना नांदेड़ प्रकरण से नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि जीएमसीएच में 1,900 बिस्तरों की क्षमता है और अस्पताल प्रतिदिन औसतन 10 से 12 मरीजों की मौत की रिपोर्ट करता है। बरसात के मौसम में मौसमी बीमारियों के कारण मासिक मृत्यु का यह आंकड़ा औसतन 15 तक बढ़ जाता है।
तो वहीं डॉ. गजभिए ने बताया कि जो मरीज अस्पताल में दम तोड़ देते हैं, वे ज्यादातर अंतिम समय में रेफर किए गए मरीज होते हैं, जिन्हें आईसीयू की सख्त जरूरत होती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन मरीजों को अक्सर गंभीर स्थिति में जीएमसीएच लाया जाता है। यह अस्पताल विदर्भ क्षेत्र के 11 जिलों सहित पूरे मध्य भारत के मरीजों की सेवा करता है। डॉ. गजभिये ने आश्वस्त किया कि अस्पताल दवाओं और अन्य सुविधाओं का पर्याप्त भंडार रखता है।
इंदिरा गांधी सरकारी मेडिकल कॉलेज में 9 मौत
इसी तरह, शहर के इंदिरा गांधी सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ने पिछले 24 घंटों में 9 मौतों की रिपोर्ट दी। नाम न छापने की शर्त पर अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर के अनुसार, अधिकांश मृतक मरीजों को गंभीर स्थिति में भर्ती कराया गया था, जिन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता थी।
IGGMCH की क्षमता 800 बिस्तरों की है और आम तौर पर प्रतिदिन औसतन छह मरीजों की मौत की रिपोर्ट आती है, क्योंकि अधिकांश मरीज अस्पताल में गंभीर अवस्था में लाए जाते हैं। अस्पताल विदर्भ क्षेत्र और मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के पड़ोसी जिलों के मरीजों को भी भर्ती करता है। वरिष्ठ डॉक्टर ने यह भी आश्वासन दिया कि अस्पताल उपलब्धता पर ध्यान रखता है और कम से कम तीन महीने के लिए पर्याप्त दवा स्टॉक रखता है।
दवा की कमी केवल अफवाह-जिला कलेक्टर
जिला कलेक्टर डॉ. विपिन इटनकर ने उन अफवाहों को भी खारिज कर दिया कि नांदेड़ मेडिकल कॉलेज की तर्ज पर नागपुर के दोनों मेडिकल कॉलेजों में पिछले 24 घंटों में बड़ी संख्या में मरीजों की मौत हो गई। उन्होंने जोर देकर दावा किया कि मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों दोनों में चिकित्सा आपूर्ति की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि मैंने दोनों मेडिकल कॉलेजों के डीन को बुलाया है और तथ्यों की पुष्टि की है। यह सरासर अफवाह है।
मंगलवार को अस्पताल पहुंचे थे सांसद, डीन से साफ करवा दी थी टॉयलेट
मंगलवार को सांसद आए थे और अस्पताल के डीन से टॉयलेट की सफाई करवा दी थी। सांसद गए तो डीन ने पुलिस में मामला दर्ज करवा दिया। सांसद पर केस दर्ज हुआ तो कहने लगे सफाई ही तो करवाई थी। इस घटनाक्रम को लेकर लोगों ने कहा कि आंसुओं की परवाह किसको है। हर तरफ सियासत की होड़ जरूर मची हुई है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर बीजेपी पर निशाना साधा है, वहीं शरद पवार ने भी इस घटना को दर्दनाक बताते हुए सरकार की आलोचना की।
अस्पताल में क्यों हो रही है दवाओं की कमी?
दरअसल, हाफकिन संस्था (Halfkin) द्वारा दवाओं की खरीद बंद करने की वजह से महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की भारी कमी हो रही है। समय पर दवाओं की सप्लाई नहीं हो पा रही है। इस वजह से मरीजों को जान तक गंवानी पड़ रही है। नांदेड़ के शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल (Shankarrao Chavan Government Hospital) बीते दिनों में 37 मरीजों की जान जा चुकी है। इनमें 12 नवजात शिशु भी शामिल हैं। 70 लोगों की हालत गंभीर है। अस्पताल में मौतों की घटना से नांदेड़ में सनसनी फैल गई है।
मौतों को लेकर अस्पताल के अधीक्षक ने क्या कहा
इस मामले में अस्पताल के अधीक्षक वाकोडे ने कहा है कि तबादले होने की वजह से थोड़ी परेशानी हुई है। हाफकिन नाम की संस्था से दवाइयों की खरीद होने वाली थी, लेकिन वह नहीं हो सकी। इस कारण परेशानी हुई है। दवाओं के लिए जारी बजट को देखते हुए मरीजों की संख्या बढ़ गई। इस कारण बजट में थोड़ी कमी आई। ऐसी स्थिति में गंभीर मरीजों को दवाई न होने से मौत हो, ऐसा कभी नहीं होने देते। जरूरत पड़ने पर स्थानीय स्तर पर दवाएं खरीदकर उन्हें दी जाती हैं। बजट के हिसाब गंभीर मरीजों के लिए दवाइयां उपलब्ध हैं।
अस्पताल में मौजूद मरीजों के परिजन क्या बोले ?
घटना के बाद अस्पताल में मौजूद शख्स ने कहा कि हम नांदेड़ के धनेगाव निवासी हैं। मेरी पत्नी की डिलीवरी हुई है। हमने सरकारी अस्पताल में बच्चे को भर्ती कराया है। बच्चे को कांच में रखा है। अभी कुछ पता नहीं चल रहा है कि क्या ट्रीटमेंट कर रहे हैं। हमें बच्चे के पास भी जाने नहीं दे रहे। सब दवा बाहर से लेकर आ रहे हैं। बच्चे की धड़कन सब कुछ ठीक थी। यहां लापरवाही हो रही है। डॉक्टर कुछ देख नहीं रहे हैं।
कांग्रेस ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
इस मामले को लेकर कांग्रेस ने बुधवार को सरकार पर निशाना साधा और कहा कि मरीजों के लिए दवाएं समय पर क्यों नहीं खरीदी गई। वहीं महाराष्ट्र सरकार ने मौतों के कारणों की विस्तृत जांच के बाद उचित कार्रवाई की बात कही, इसी के साथ सरकार ने अस्पताल में दवाओं की किसी भी कमी से इनकार किया है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने क्या कहा?
घटना के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि मुझे खबर पता चलते ही मैं तुरंत अस्पताल पहुंचा हूं। यह घटना सरकार ने गंभीरता से लेनी चाहिए और इसकी जांच होनी चाहिए। अस्पताल में दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। कई मरीज गंभीर हालत में हैं। इस घटना का जिम्मेदार अस्पताल प्रशासन और सरकार है।
क्या बोले महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री?
महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा कि मौतों की वजह का पता लगाने के लिए जांच की जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि अगले 15 दिनों में अस्पताल में सुविधाओं में सुधार होगा। मुश्रीफ ने यह भी कहा कि अस्पताल में दवाओं की कोई कमी नहीं है। अगर किसी की लापरवाही के कारण मौतें हुईं तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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