कई बार ख़तरनाक आतंकी आपके आस-पास रहते हैं..वो ख़तरनाक प्लानिंग बना रहे होते हैं और पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को कानों कान भनक तक नहीं लगती। मुंबई आतंकी घटना जैसी वारदात से बचा जा सके इसके लिए ग्रेटर नोएडा के तीन इंजीनियरों ने एक ऐसा ड्रोन तैयार किया है जो जो छिपकर वार करने वाले दुश्मनों की सही लोकेशन व संख्या का पता लगाकर सुरक्षा बल या सेना को लाइव अपडेट देगा।
इनके नाम हैं..अंकुर, मयंक व व्योम जिन्होंने सेना की मदद के लिए बना अब तक सबसे छोटा ड्रोन बताते हैं। इसका नाम रखा गया है “दूत’ जिसकी लंबाई मात्र छह इंच, वजन तीन सौ ग्राम है। यह दो किलोमीटर दूर तक पहुंचकर दुश्मनों की जानकारी जुटाने में सक्षम है। अब तक सेना को दस ड्रोन दिए जा चुके हैं। दस और देने की तैयारी है। सेना के कई ऑपरेशन में ड्रोन मददगार साबित हुआ है। विदेश से भी ड्रोन लेने की इच्छा जताई गई है।
छह माह में मिली सफलता
यह ड्रोन बनाने की कहानी भी रोचक है। इंजीनियर मयंक बताते हैं कि उनके एक रिश्तेदार सेना में हैं। बातों-बातों में उनसे पता चला कि सेना के ऑपरेशन में प्रयोग होने वाले ड्रोन विदेश से मंगाए जाते हैं और खासे महंगे होते हैं।
इनके दुर्घटनाग्रस्त होने पर ऑपरेशन बाधित होता है और मरम्मत में भी काफी व्यय होता है। नेटवर्क टूटने के कारण किसी इमारत के भीतर ये ड्रोन काम नहीं करते हैं।
ये समस्याएं जानने के बाद तीनों दोस्तों ने सस्ता व अत्याधुनिक सुविधायुक्त ड्रोन बनाने की ठानी। तीनों ने सबसे पहले कई प्रकार के ड्रोन का अध्ययन किया और फिर छह माह में पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से ड्रोन तैयार कर दिया।
दीवार से टकराने के बाद भी ड्रोन न गिरे, इसके लिए चारों तरफ प्रोपगार्ड लगाया है। इससे दीवार से टकराने के बाद ड्रोन पीछे हट जाता है और फिर से काम आरंभ कर देता है।
कैसे काम करेगा ड्रोन ?
ब्लूटूथ से कनेक्ट होने के बाद ऑपरेशन में शामिल छह लोगों को एक साथ दुश्मन की पल-पल की लाइव लोकेशन मिलती है।इमारत के अंदर या बाहर संपर्क कायम रहने के लिए ड्रोन में विशेष डिवाइस लगाई गई है। आकार में छोटा होने के कारण हथेली से ही ड्रोन को उड़ाया जा सकता है। प्रति घंटा 25 किलोमीटर की रफ्तार पर भी ड्रोन आसानी से काम करता है। यह माइनस 5 डिग्री से 50 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी सूचना देता रहता है।