उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
Noida News: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के करीब बसे नोएडा के 54,603 फ्लैटधारकों के लिए खुश कर देने वाली ख़बर है। इन फ्लैटधारकों के फ्लैट की रजिस्ट्री (Registry) का रास्ता साफ होने वाला है। बता दें कि बिल्डरों से बकाया वसूलने में नाकाम प्राधिकरण अब उन्हें करीब 3,000 करोड़ रुपये की छूट देने की सोच रहा है। यदि ऐसा हुआ तो इन फ्लैटधारकों (Flatholders) को फ्लैट पर जल्दी ही कब्जा मिल जाएगा और जिन्हें पहले ही कब्जा मिल चुका है, उनके फ्लैटों की रजिस्ट्री हो जाएगी। यदि ऐसा हुआ तो इसका फायदा ग्रेटर नोएडा वेस्ट (Greater Noida West) या नोएडा एक्सटेंशन के फ्लैट खरीदारों को भी फायदा होगा।
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सूत्रों से मिली सूचना के आधार पर यह छूट नीति आयोग के पूर्व सीईओ रहे अमिताभ कांत (Amitabh Kant) की सिफारिशों के आधार पर बिल्डरों को दी जा सकती है। हो सकता है कि बिल्डरों को कोरोना काल के दो वर्ष की अवधि का ब्याज माफ करने के साथ ही कई तरह की छूट मिल जाए। खबर है कि प्राधिकरण (Authority) में लंबे समय तक चले मंथन के बाद इस विश्य में मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। अब इस रिपोर्ट के आधार पर तैयार प्रस्ताव को शासन को भेजने की तैयारी चल रही है।
कैबिनेट की लगेगी मुहर
आधिकारिक सूत्रों की मानें तो प्रस्ताव पर कैबिनेट की मंजूरी चाहिए। यदि इस प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लगी तो 54,603 खरीदारों को फ्लैटों पर कब्जा मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा। इससे उन फ्लैटधारकों की रजिस्ट्री भी हो जाएगी, जो बरसों से इसकी बाट जोह रहे हैं। इससे सिर्फ नोएडा के फ्लैट खरीदारों को ही लाभ नहीं होगा बल्कि ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के बिल्डरों को भी राहत मिलेगी। जाहिर है कि इससे फ्लैट खरीदारों को लाभ मिलेगा।
कौन से फ्लैट फंसे हैं
नोएडा (Nodia) में 31 बिल्डर परियोजनाएं , जिनमें फ्लैटों का काम तो पूरा हो गया है लेकिन, बकाया भुगतान न करने की वजह से प्राधिकरण ने कंप्लीशन रोक दिया है। इनमें 29,603 फ्लैट हैं। इनमें से सात हजार फ्लैटों पर कब्जा नहीं दिया गया है। बाकी पर कब्जा तो दे दिया गया है, लेकिन उनकी रजिस्ट्री न होने से खरीदारों को मालिकाना हक नहीं मिल पाया है। प्राधिकरण का इन बिल्डरों पर 1,400 करोड़ रुपये पर बकाया है। बताया जाता है कि दो वर्ष की अवधि का ब्याज करीब 700 करोड़ रुपये होता है, जो प्राधिकरण माफ कर सकता है। वहीं 26 प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जिनमें निर्माण अधूरा है। इनमें 25 हजार खरीदारों ने फ्लैटों की बुकिंग करा रखी है। किसी भी खरीदार को अभी ‘तक कब्जा नहीं मिला है, जबकि प्राधिकरण का बिल्डरों पर 6,000 करोड़ रुपये बकाया है। इनका भी करीब 2,300 करोड़ रुपये का ब्याज माफ किए जाने पर विचार चल रहा है।
अमिताभ कांत कमेटी की है रिपोर्ट
केंद्र सरकार ने बिल्डर और खरीदारों की समस्याओं के समाधान के लिए कुछ समय पहले अमिताभ कांत की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी। कमेटी ने स्थायी और अविलंब समाधान की सिफारिश करते हुए बिल्डरों को ब्याज में छूट देने के लिए शून्य अवधि करने, निर्माण के लिए तीन वर्ष की समयावृद्धि और करने एवं कुल बकाया राशि का 25 प्रतिशत जमा कराकर शेष राशि अगले तीन में जमा करने के लिए और समय देने की बात कही थी। जो बिल्डर निर्माण पूरा करने की स्थिति में नहीं है, उनके लिए को-डेवलपर लाने के लिए एक पॉलिसी बनाने की भी सिफारिश अमिताभ कांत कमेटी ने की है। प्रदेश सरकारों को इसे लागू करना है। उत्तर प्रदेश सरकार नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में इसका मूल्यांकन करा रही है। मूल्यांकन में देखा जाएगा कि बिल्डरों को वित्तीय छूट देने से प्राधिकरणों पर कितना भार बढ़ेगा।
नोएडा प्राधिकरण ने कर लिया है मूल्यांकन
सूत्रों के मुताबिक प्राधिकरण एनजीटी चलते बिल्डरों को दो वर्ष के ब्याज की छूट पहले ही दे चुका है। अब कोरोना काल की दो वर्ष की अवधि का ब्याज न लेने पर भी मंथन चल रहा है। हालांकि, इस पर अंतिम निर्णय प्रदेश कैबिनेट लेगी। नोएडा प्राधिकरण के इस प्रस्ताव पर यदि शासन की मंजूरी मिलती है तो बाकी प्राधिकरणों में भी इसे लागू करने पर विचार किया जा सकता है। इससे ग्रेटर नोएडा वेस्ट के हजारों फ्लैट खरीदारों को भी फायदा होगा।