Noida: यमुना प्राधिकरण में प्लॉट लेने वालों के लिए अच्छी ख़बर

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Noida News: यमुना प्राधिकरण में प्लॉट लेने वालों के लिए अच्छी ख़बर सामने आ रही है। आपको बता दें कि यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (Muna Expressway Industrial Development Authority) यानी यीडा के सेक्टर-17 में एसडीएस बिल्डर की परियोजना में फंसे आवंटियों के लिए खुश कर देने वाली खबर आ रही है। यमुना प्राधिकरण (Yamuna Authority) परियोजना में फंसे और प्लॉट की रजिस्ट्री (Registry) करा चुके लगभग 56 आवंटियों का नक्शा पास करेगा, जिससे वह वहां निर्माण शुरू हो सके।
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यमुना प्राधिकरण की को होने वाली बोर्ड बैठक में भी यह प्रस्ताव रखा जाएगा। इसको लेकर प्राधिकरण ने खाका भी तैयार कर लिया है। यमुना प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. अरुणवीर सिंह (Dr. Arunveer Singh) ने कहा कि एसडीएस बिल्डर पर यमुना प्राधिकरण का 655 करोड़ रुपये बकाया है। इसके कारण परियोजना अधर में फंसी है।

आवंटियों को हो रही परेशानी को देखते हुए प्राधिकरण ने बीते साल अतिरिक्त मुआवजा राशि का सीधे प्राधिकरण को भुगतान कर रजिस्ट्री कराने की राहत दे दी थी। लेकिन इसके लिए बिल्डर से अनापत्ति प्रमाणपत्र (No Objection Certificate) लेना आवश्यक है। आपको बता दें कि अब तक 56 प्लॉटों की रजिस्ट्री हो चुकी है, लेकिन प्राधिकरण द्वारा नक्शा पास न किए जाने से आवंटी निर्माण कार्य शुरू नहीं करा पा रहे हैं। ऐसे में प्राधिकरण ने आवंटियों का नक्शा पास करने का निर्णय लिया है। बोर्ड की मुहर लगने के बाद नक्शा पास करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। 56 आवंटी नक्शा पास करा अपना घर बना सकेंगे।

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जल संचयन के इंतजाम न होने पर जारी हुआ नोटिस

जिला प्रशासन ने भूगर्भ जल स्तर (Ground Water Level) को बढ़ाने के लिए बिल्डर परियोजनाओं पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। भूगर्भ विभाग ने बारिश के जल जल संचयन के इंतजाम न कराने पर 6 परियोजनाओं को तीन माह का समय दिया है, जबकि मेफेयर रेसिडेंसी और आर सिटी रीजेंसी में वर्षा जल संचयन का व्यवस्था न होने पर दोनों को नोटिस जारी किया है।

कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने भूगर्भ जल प्रबंधन समिति की मीटिंग ली। इस दौरान भूगर्भ जल अधिकारी अंकिता राय ने कहा कि पोर्टल पर कुल बोरवेल के लिए 60 आवेदन प्राप्त हुए थे, इनमें से आवेदनों को अस्वीकृत किया गया है। जिलाधिकारी को बताया कि 37 परियोजनाओं की जल संचयन प्रणाली का निरीक्षण किया गया, जिसमें से छह में प्रणाली अक्रियाशील पाई गई। वहीं दो परियोजना मेफेयर रेसिडेंसी व आर सिटी रीजेंसी में वर्षा जल संचयन प्रणाली नहीं मिली।