Bihar Politics: विपक्षी गठबंधन इंडिया से नाता तोड़ने और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा (Resign) देने के कुछ घंटे बाद 28 जनवरी को नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई और रिकॉर्ड 9वीं बार बिहार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में वापसी करने के बाद नई सरकार (Government) का गठन कर चुके हैं। लेकिन नीतीश की एनडीए वापसी कई मायनों में चौंकाने वाली रही। पढ़िए पूरी खबर…
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) एक बार फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में वापसी करने के बाद नई सरकार का गठन कर चुके हैं। लेकिन नीतीश की एनडीए वापसी कई मायनों में चौंकाने वाली रही। वे विपक्षी इंडिया गठबंधन के सबसे बड़े चेहरे माने जा रहे थे। यहां तक कि राजनीतिक हलकों में उन्हें विपक्ष का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार माना जा रहा था। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर नीतीश कुमार की एनडीए वापसी के लिए जमीन कैसे तैयार हुई।
विपक्षी गठबंधन इंडिया (Opposition Alliance India) से नाता तोड़ने और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के कुछ घंटे बाद 28 जनवरी को नीतीश कुमार ने बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई और रिकॉर्ड 9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इससे पहले वे महागठबंधन का हिस्सा थे जिसमें राजद और कांग्रेस भी शामिल है।
इस महागठबंधन (Grand Alliance) में बेचैनी के संकेत लगभग एक महीने पहले ही दिखाई देने लगे थे। लेकिन 13 जनवरी के एक घटनाक्रम ने नीतीश से एनडीए वापसी का रास्ता तय कर दिया। बीते रविवार को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद नीतीश कुमार ने कहा था कि उन्होंने इंडिया गठबंधन इसलिए छोड़ दिया क्योंकि सब कुछ ठीक नहीं था।
क्या अध्यक्ष बनना चाहते थे नीतीश कुमार?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विपक्षी गुट की एक ऑनलाइन मीटिंग (Online Meeting) के बाद ही नीतीश कुमार ने 13 जनवरी को संबंध तोड़ने का मन बना लिया था। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार पहले से ही सीट-बंटवारे की बातचीत को लंबा खींचने के लिए कांग्रेस से नाराज थे। इसके साथ ही वे इंडिया गठबंधन का संयोजक बनाए जाने की उम्मीद कर रहे थे।
इस बीच जब ममता बनर्जी के प्रस्ताव के बाद कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे को विपक्षी गठबंधन के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार ने उसी दिन तय कर लिया था कि वे इंडिया गठबंधन से रिश्ता तोड़ देंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान घटनाक्रम से नाराज नीतीश कुमार ने यह भी कहा था कि उन्हें यह (संयोजक) पद नहीं चाहिए और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को संयोजक बनाया जाना चाहिए।
ये नीतीश कुमार ही थे जिन्होंने भाजपा (BJP) के खिलाफ विपक्षी नेताओं को एकजुट किया। कुछ महीने पहले पटना में इंडिया ब्लॉक की पहली बैठक की मेजबानी भी नीतीश ने की थी। नीतीश कुमार राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति के इच्छुक रहे हैं। लेकिन उन्होंने खुद इन बातों से इनकार किया था।
तैयार नहीं थे बिहार बीजेपी के नेता
रिपोर्ट के अनुसार 13 जनवरी के बाद नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के एक बेहद करीबी ने एक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री से संपर्क साधा। मंत्री ने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से बातचीत की उन्होंने इसे हरी झंडी दे दी। लेकिन नीतीश के 2022 में एनडीए को छोड़कर राजद में वापस आने के बाद, बीजेपी के बिहार नेता एनडीए में नीतीश का स्वागत करने के लिए तैयार नहीं थे।
बता दें कि साल 2017 में नीतीश ने राजद (RJD) से नाता तोड़ लिया था और वापस एनडीए में चले गए थे। मामले को सुलझाने के लिए बीजेपी बिहार नेतृत्व को दिल्ली बुलाया गया।
नीतीश कुमार के ढुलमुल रवैये से वाकिफ बीजेपी ने सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाने का फैसला किया। माना जा रहा है कि ऐसा नीतीश कुमार पर लगाम कसने के लिए किया गया। ये नेता नीतीश कुमार के सबसे बड़े आलोचक रहे हैं।
केवल इतना ही नहीं था, 2020 सरकार गठन के दौरान अपनाए गए फॉर्मूले के मुताबिक मंत्रिमंडल में बीजेपी का अधिक प्रतिनिधित्व होगा। लेकिन गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास ही रहेगा। लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे पर भी चर्चा होगी। साल 2019 के फॉर्मूले के तहत जदयू को इस बार 17 सीटें बीजेपी शायद ही दे।
सीएम नीतीश कुमार जल्द करेंगे मंत्रिमंडल विस्तार
इसके साथ ही अब नीतीश कुमार (Nitish Kumar) द्वारा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने के एक दिन बाद विधानसभा अध्यक्ष पद और अन्य विधायकों को मंत्रिपरिषद में शामिल करने के लिए जोरदार गोलबंदी शुरू हो गई है। नीतीश कुमार ने विभागों के बंटवारे के लिए अपने नए मंत्रिमंडल की बीते सोमवार को बुलाई गई बैठक की अध्यक्षता की। बैठक के बाद विभागों के बंटवारे को लेकर राजग के घटक दलों के नेता चुप्पी साधे रहे।
जदयू के एक नेता ने नाम नहीं उजागर किए जाने की शर्त पर बताया कि नितीश कुमार मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले संभावित चेहरों में बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन, नितिन नवीन, रामप्रीत पासवान, जनक राम, श्रेयसी सिंह और जदयू नेता सुनील कुमार सिंह, मदन सहनी, लेसी सिंह, शीला मंडल, जयंत राज अशोक चौधरी और संजय झा के नाम की चर्चा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर नीतीश कुमार को बधाई दी। और कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार राज्य के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। मोदी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को भी बधाई दी जिन्हें बिहार का उपमुख्यमंत्री बनाया गया है।
वहीं जेपी नड्डा (JP Nadda) ने शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के बाद पटना में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार की यह नयी राजग सरकार राज्य को स्थायित्व और विकास को रफ्तार प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार पूरी ताकत के साथ बिहार को आगे बढ़ाने का कार्य करेगी और सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास और सबका विश्वास के मंत्र के साथ आगे बढ़ेगी।