देश के प्रमुख हिंदी न्यूज़ चैनलों में शुमार न्यूज़ नेशन(News Nation) में हलचल तेज है। 100 से ज्यादा पत्रकारों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। सूत्रों के मुताबिक बचे-खुचे पत्रकारों का भविष्य क्या होगा उस पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। सवाल ये कि क्या चैनल को बेचने की तैयारी कर ली गई है या फिर वर्कफोर्स कम करके 5 पत्रकारों का काम 1 से करवाने की तैयारी है। वजह इसलिए भी क्योंकि यही वो चैनल है जहां 1 महीने पहले पत्रकारों को इंक्रीमेंट का तोहफा दिया गया था। तो अचानक तस्वीर बदल कैसे गई।
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क्यों संस्थान में काम करने वाले पत्रकारों को बदहाल जिंदगी जीने के लिए छोड़ दिया गया। क्यों नहीं सोचा गया कि जिस सैलरी से घर की EMI/रेंट, बच्चों की पढ़ाई, बुजुर्ग माता-पिता की दवाई का खर्चा..फैमिली सब चल रहा है, उन पत्रकारों के अचानक बेघर होने पर क्या होगा। लेकिन मालिकान को इससे फर्क पड़ता तो बात कुछ और होती। चैनल के नेशनल के साथ रीजनल, डिजिटल, टेक्निकल सब जगह कैंची चली है। जो बेरोजगार हुए अब उन्हें फिर से अपनी काबिलियत साबित करनी होगी। काबिलियत तो तब साबित करेंगे जब नौकरी मिलेगी। कितनी अजीब सी बिडंवना है, दूसरे के हक के लिए लड़ने वाले पत्रकार आज खुद सड़क पर हैं और उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। जरुरत है ऐसे में समय एकजुट होने की। नहीं तो अंधेरगर्दी जारी रहेगी। आज एक नपा है, कल बाकी सब भी नपेंगे।

