Lucknow News: लखनऊ की प्रतिष्ठित विधिक संस्था प्रोएक्टिव लीगल की ओर से प्रस्तुत मामले में माननीय सशस्त्र बल अधिकरण, क्षेत्रीय पीठ, लखनऊ ने लेफ्टिनेंट कर्नल डी. प्रकाश राव (सेवानिवृत्त) के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए, उनके विकलांगता पेंशन के दावे को स्वीकार कर लिया है।
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मामले की पृष्ठभूमि
लेफ्टिनेंट कर्नल डी. प्रकाश राव, जिन्हें वर्ष 2005 में सेना की मेडिकल कोर में नियुक्ति मिली थी, ने 28 दिसम्बर 2022 को निम्न चिकित्सकीय श्रेणी (लो मेडिकल कैटेगरी) में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली। उन्हें प्राथमिक उच्च रक्तचाप (प्राइमरी हाइपरटेंशन) की बीमारी हुई, जिसे रिलीज मेडिकल बोर्ड ने सैन्य सेवा से उत्पन्न एवं उससे बढ़ी हुई बीमारी माना और उनकी विकलांगता 30 प्रतिशत जीवनभर ऑकी फिर भी, तथाकथित सक्षम प्राधिकारी ने मेडिकल बोर्ड की राय को नज़रअंदाज़ करते हुए यह कहते हुए उनका दावा खारिज कर दिया कि यह बीमारी “न तो सैन्य सेवा से संबंधित है और न ही उससे बढ़ी है”
प्रोएक्टिव लीगल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राज कुमार मिश्रा तथा उनकी टीम ने इस मामले में जोरदार बहस की। उन्होंने उच्चतम न्यायालय के पूर्व सैपर मोहिन्दर सिंह तथा भारत संघ बनाम राम अवतार जैसे ऐतिहासिक निर्णयों का उल्लेख करते हुए तर्क दिया कि किसी मेडिकल बोर्ड की राय को बिना उच्चतर मेडिकल बोर्ड द्वारा पुनः परीक्षण के, कोई प्रशासनिक अथॉरिटी निरस्त नहीं कर सकती।
अधिकरण का निर्णय
माननीय अधिकरण ने प्रोएक्टिव लीगल के तर्कों को स्वीकार करते हुए आदेश दिया कि लेफ्टिनेंट कर्नल राव की विकलांगता सैन्य सेवा से उत्पन्न एवं उससे बढ़ी हुई मानी जाए तथा उन्हें 30 प्रतिशत विकलांगता पेंशन दी जाए, जिसे नियम अनुसार 50 प्रतिशत तक राउंडिंग ऑफ किया जाए। यह लाभ उन्हें सेवानिवृत्ति की अगली तिथि से प्राप्त होगा और आदेश चार माह के भीतर लागू किया जाएगा, अन्यथा 8 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देय होगा।
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यह फैसला केवल लेफ्टिनेंट कर्नल राव के लिए नहीं है, बल्कि उन सभी पूर्व सैनिकों के लिए मिसाल है, जिनकी मेडिकल बोर्ड की राय को प्रशासनिक आदेशों से दबा दिया जाता है। न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि सैनिकों के अधिकारों से समझौता नहीं किया जा सकता।” यह निर्णय उन सभी सैनिकों और अधिकारियों के लिए प्रेरणास्रोत है जो पेंशन एवं विकलांगता लाभों के लिए वर्षों से संघर्षरत हैं।

