Loksabha Election: लोकसभा चुनाव को लेकर सभी दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। सीट बंटवारे और टिकट को लेकर कभी दल पुराने दलों का साथ छोड़कर नए दल का साथ पकड़ रहे हैं। कुछ ऐसी ही खबर आ रही है महाराष्ट्र से। माना जा रहा है कि एमएनएस चीफ राज ठाकरे लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एक बार फिर से अपनी निष्ठा बदलने की कोशिश को अंतिम रूप देने में लगे हैं। बता दें कि राज ठाकरे (Raj Thakrey) ने अपने बेटे अमित ठाकरे के साथ दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मुलाकात की है।
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मुलाकात को लेकर यह चर्चा हो रही है कि वहह बीजेपी के खेमे में जाना चाह रहे हैं। आपको बता दें कि उनकी पार्टी अमित शाह से ठाकरे की मुलाकात को सकारात्मक पहले ही बता चुकी है। लेकिन सवाल उठता है कि पिछले चुनाव में नरेंद्र मोदी का विरोध कर राज ठाकरे इस बार क्यों उनके लिए बैटिंग करना चाहते हैं और बीजेपी को उन्हें साथ लेने से क्या फायदा होगा। आइए इस सवाल का जवाब विस्तार से जानते हैं..
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2014 में नरेंद्र मोदी का किया था समर्थन
आपको बता दें कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में राज ठाकरे (Raj Thakrey) ने नरेंद्र मोदी के पक्ष में ताबड़तोड़ बल्लेबाजी कर रहे थे और राहुल गांधी पर हमला बोल रहे थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी का पुरजोर समर्थन करते हुए शिवसेना के खिलाफ उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन, उनका यह दांव चला नहीं था। इससे पहले भी 2011 में जब नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे तो राज ठाकरे गुजरात सरकार के काम की तारीफ किया करते थे। 2012 में वह नरेंद्र मोदी के शपथ समारोह शामिल भी हुए थे।
ठाकरे पर मंडरा रहा यह खतरा
राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर 2006 में नयी पार्टी एमएनएस बनाई थी। तब से वह कोई शानदार प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। शिवसेना एक बार महाराष्ट्र की सत्ता में भी आ गई और आज भी राजनीति में बनी हुई है। लेकिन, राज ठाकरे पर महाराष्ट्र की राजनीति में अप्रासंगिक होने का खतरा मंडरा रहा है। इससे बचने के लिए शायद वह बीजेपी के साथ में तलाशना चाहते हैं।
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लगातार गिरता जा रहा है एमएनएस के प्रदर्शन का ग्राफ
साल 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में एमएनएस (MNS) ने 143 उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन, 288 सदस्यीय विधानसभा में एमएनएस के 13 विधायक ही बन पाए। इन सबको कुल महज 5.71 फीसदी वोट मिले। साल 2012 के मुंबई महानगर निकाय चुनाव में एमएनएस के 22 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की।
2009 लोकसभा चुनाव में एमएनएस 11 सीटों पर चुनाव लड़ी, पर कोई भी सीट पर जीत नहीं पाई। उसका वोट शेयर भी कम होकर 4.07 फीसदी रह गया। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में एमएनएस की हालत और खराब हो गई। केवल 1.5 प्रतिशत वोट मिले और सीट एक भी नहीं (दस पर लड़ी थी)। साल 2014 विधानसभा चुनाव में भी एमएनएस का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा। 239 सीटों पर लड़ने के बाद भी केवल एक सीट जीती और 3.1 प्रतिशत वोट पा सकी। 2019 का लोकसभा चुनाव पार्टी ने नहीं लड़ा।
बीजेपी को क्या हो सकता है फायदा?
आपको बता दें कि महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा 48 सीट हैं। बीजेपी की महत्वाकांक्षा है कि साथियों समेत 45 सीटें पर वह चुनाव लड़े। 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 25 सीटों पर लड़ कर 23 पर जीत हासिल की थी। शिवसेना ने 23 लड़ कर 18 जीती थीं। कांग्रेस को केवल एक सीट मिली थी (25 पर लड़ने के बाद)। एनसीपी ने 19 उम्मीदवार उतारे थे और चार पर जीत पाई थी।
2019 से 2024 के बीच शिवसेना और एनसीपी टूट गई है और दोनों का मजबूत धड़ा बीजेपी के साथ ही है। इसके साथ ही बीजेपी की अगुआई वाले गठबंधन में रामदास आठवले की आरपीआई, हितेंद्र ठाकुर के नेतृत्व वाली बहुजन विकास अघाड़ी, प्रहार जनशक्ति पार्टी, पीपुल्स रिपब्लिकन पार्टी, रैयत क्रांति संगठन, जनसुराज्य पार्टी, राष्ट्रीय समाज पार्टी शामिल हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी ने एनडीए के लिए ‘400 पार’ का की बात लगातार कर रहे हैं। साथ ही, पार्टी चाह रही है कि वोट फीसदी का आंकड़ा भी 50 फीसदी तक ले जाया जाए। ऐसे में पार्टी बूंद-बूंद से घड़ा भरने की नीति पर चलती लग रही है। ज्यादा से ज्यादा पार्टियों को साथ लेना इस दिशा में कारगर नीति साबित हो सकती है।
इस बात को लेकर किया था पीएम मोदी विरोध
साल 2023 के जनवरी में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर थे। डॉ. डी.वाय. पाटिल यूनिवर्सिटी और जागतिक मराठी अकेडमी द्वारा पिंपरी में आयोजित जागतिक मराठी सम्मेलन में ठाकरे ने बोला था कि प्रधानमंत्री को सभी राज्यों को अपने बच्चों की तरह समझना चाहिए और सबके साथ एक ही जैसा बर्ताव करना चाहिए। वह गुजरात से आते हैं, केवल इसलिए उन्हें गुजरात के पक्ष की बात नहीं करनी चाहिए। यह उनके कद को शोभा नहीं देता है।
ठाकरे ने इस बात को क्यों कहा था? कुछ लोग इस बात के पीछे की वजह साल 2022 की एक घटना को मानते हैं। बता दें कि तब वेदांता समूह और ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन ने गुजरात में अपना नया सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित करने के लिए गुजरात सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे।
पीएम मोदी ने एमओयू को “भारत की सेमीकंडक्टर विनिर्माण महत्वाकांक्षाओं को गति देने वाला एक महत्वपूर्ण कदम” बताया था। पीएम ने कहा था कि 1.54 लाख करोड़ रुपये का निवेश अर्थव्यवस्था और नौकरियों को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव पैदा करेगा। इससे सहायक उद्योगों के लिए एक विशाल पारिस्थितिकी तंत्र भी बनेगा और हमारे एमएसएमई को सहायता मिल सकेगी।
तब कुछ अधिकारियों ने इसको लेकर कहा था कि असल में यह प्लांट महाराष्ट्र में लगने वाला था। उनका कहना था कि गुजरात सरकार के साथ करार से लगभग दो महीने पहले महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ एक बैठक में प्लांट लगाने की योजना को करीब करीब अंतिम रूप दिया जा चुका था। विपक्षी दलों ने तब कहा था कि गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र से परियोजना को गुजरात ले जाने के पीछे बीजेपी का हाथ है।